आज के इस पोस्ट में हमलोग कक्षा 10वीं इतिहास का पाठ ‘व्यापार और भूमंडलीकरण’ का नोट्स को देखने वाले है। vyapar aur bhumandalikaran
| व्यापार और भूमंडलीकरण |
प्रश्न 1. व्यापार (Trade) किसे कहते है?
उत्तर– जब दो या दो से अधिक व्यक्ति, समूह या देश आपस में वस्तुओं और सेवाओं की खरीद-बिक्री करते हैं, तो उसे व्यापार कहा जाता है।
प्रश्न 2. भूमंडलीकरण (Globalization) किसे कहते है?
उत्तर– जब विश्व के सभी देश आपसी व्यापार, संचार, परिवहन और तकनीक के माध्यम से एक-दूसरे से जुड़ जाते हैं, तो इस प्रक्रिया को भूमंडलीकरण कहा जाता है। यह देशों के बीच आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक एकता बढ़ाता है।
☞ “भूमंडलीकरण” शब्द का सबसे पहले इस्तेमाल जॉन विलियम्सन ने 1990 में किया। सबसे पहले इसे दक्षिण अमेरिका में अमेरिका की एक आर्थिक नीति के रूप में लागू किया गया। ताकि अपनी आर्थिक मंदी को दूर कर सके। भूमंडलीकरण की शुरूआत 1990 के दशक में हुआ।
☛ प्राचीन काल में सिंधु घाटी सभ्यता का व्यापारिक संबंध मिश्र और मेसोपोटामिया की सभ्यता के साथ था। उस समय दिलमुन (आधुनिक बहरीन) और मेंलुहा (मकरान तट) बड़े व्यापारिक केंद्र थे।
⪼ सबसे प्रमुख व्यापारिक मार्ग रेशम मार्ग (सिल्क रूट) था। इसे रेशम मार्ग इसलिए कहा जाता था; क्योंकि इसी मार्ग द्वारा चीनी रेशम को विभिन्न देशों में ले जाते थे। रेशम मार्ग चीन से आरंभ होकर जमीनी मार्ग द्वारा मध्य एशिया होते हुए यूरोप तक जाता था।
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प्रश्न 3. विश्व बाजार किसे कहते है?
उत्तर– वैसा बाजार जहां विश्व के सभी देशों की वस्तुएं आम लोगों के लिए उपलब्ध हो उसे विश्व बाजार कहते हैं। जैसे –मुंबई
➣ दुनिया का सबसे पहला विश्व बाजार अलेक्जेंड्रिया था। अलेक्जेंड्रिया को लाल सागर के मुहाने (वत्तर्मान मिश्र के उत्तरी क्षेत्र) पर यूनानी विश्व विजेता सिकंदर ने स्थापित किया था। अलेक्जेंड्रिया अफ्रीका, यूरोप और एशिया का व्यापारिक केंद्र था।
⪼ विश्व बाजार का विस्तार आधुनिक काल में 18वीं शताब्दी से आरंभ हुआ। 1820 से 1914 के बीच विश्व व्यापार 25 से 40 गुना तक बढ़ गया। जिसमें 60% व्यापार कृषि, कोयला (खनन) और कपड़ा उद्योग से जुड़ा था।
प्रश्न 4. वाणिज्यिक क्रांति किसे कहते है?
उत्तर– वाणिज्यिक क्रांति वह प्रक्रिया है जिसमें व्यापार और वाणिज्य के क्षेत्र में अभूतपूर्व विकास और विस्तार हुआ। इसका मुख्य केंद्र इंग्लैंड था और यह भौगोलिक खोजों, पुनर्जागरण तथा राष्ट्रीय राज्यों के उदय के कारण उत्पन्न हुई।
प्रश्न 5. औद्योगिक क्रांति किसे कहते है?
उत्तर– औद्योगिक क्रांति वह प्रक्रिया है जिसमें वाष्प शक्ति से चलने वाली मशीनों का उपयोग कर बड़े कारखानों में व्यापक पैमाने पर वस्तुओं का उत्पादन शुरू किया जाता है। इसका मुख्य केंद्र इंग्लैंड था।
☞ औद्योगिक क्रांति के कारण औपनिवेशवाद की शुरुआत हुई। आधुनिक युग में अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में होने वाली सबसे बड़ी क्रांति औद्योगिक क्रांति थी।
प्रश्न 6. उपनिवेशवाद किसे कहते है?
उत्तर– किसी शक्तिशाली देश द्वारा अपने आर्थिक हितों की प्राप्ति के लिए किसी कमजोर देश पर राजनीतिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक आधिपत्य स्थापित करने की प्रक्रिया को उपनिवेशवाद कहते है।
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☛ उपनिवेशवाद का उद्देश्य आर्थिक शोषण करना होता था। इंग्लैंड को अपने उपनिवेशों से कच्चा माल और बाजार दोनों मिल जाता था। इंग्लैंड के मैनचेस्टर, लिवरपूल, लंदन जैसे शहर उपनिवेशवाद का ही परिणाम था।
प्रश्न 7. गिरमिटिया मजदूर किसे कहते है?
उत्तर– औपनिवेशिक देश के ऐसे श्रमिक जिन्हे एक निश्चित समझौता द्वारा निश्चित समय के लिए अपने शासित क्षेत्रों में ले जाकर कृषि या अन्य काम करवाया जाता था, उसे गिरमिटिया मजदूर कहा जाता था।
➣ भारत के पूर्वी उत्तर प्रदेश, पश्चिम बिहार,
पंजाब, हरियाणा से गन्ना की खेती के मजदूर को फिजी, मॉरीशस, जमैका, टोवेगो, त्रिनिदाड आदि देशों में ले जाया जाता था।
विश्व बाजार की उपयोगिता (महत्त्व)
(i) यह पूरे विश्व को जोड़ता है। व्यापार, मजदूरों आदि सभी वर्ग को विश्व बाजार से फायदा होता है।
(ii) किसानों को उनकी फसल का अच्छा पैसा मिलता है।
(iii) अच्छे काम करने वाले मजदूरों को विश्व स्तर पर काम और पहचान मिलती है।
(iv) नए-नए रोजगार मिलते हैं।
विश्व बाजार के लाभ
(i) व्यापार और उद्योग का तेजी से विकास:- विश्व बाजार ने व्यापार को बहुत बढ़ा दिया। इससे उद्योगों का विकास हुआ और उत्पादन बड़े पैमाने पर होने लगा।
(ii) व्यापार और उद्योग बढ़ने से तीन नए वर्ग बने — पूँजीपति वर्ग (उद्योगों में पैसा लगाने वाले लोग), मजदूर वर्ग (काम करने वाले लोग), मध्यम वर्ग (छोटे व्यापारी, कर्मचारी आदि)
(iii) बैंकिंग व्यवस्था का विकास:- व्यापार के बढ़ने से बैंकों की ज़रूरत पड़ी और आधुनिक बैंकिंग प्रणाली का जन्म हुआ।
(iv) मशीन और नई तकनीक का विकास हुआ।
(v) नई फसलें और उत्पादन बढ़ा।
(vi) शहरीकरण और जनसंख्या वृद्धि:- व्यापार बढ़ने से शहरों का विस्तार हुआ और जनसंख्या भी तेजी से बढ़ी।
विश्व बाजार की हानि
(i) उपनिवेशवाद और साम्राज्यवाद का जन्म:- यूरोपीय देशों ने एशिया और अफ्रीका के देशों पर कब्ज़ा कर लिया ताकि वहाँ से कच्चा माल लिया जा सके।
(ii) छोटे उद्योग और कुटीर काम खत्म हो जाते हैं।
(iii) बेरोजगारी बढ़ गई।
(iv) गरीबी और भुखमरी की समस्या फैलने लगी:- भारत में 1850 से 1920 के बीच कई भयानक अकाल पड़े, लाखों लोग मर गए।
(v) भारतीय उद्योगों का पतन:- भारत का सूती कपड़ा उद्योग बर्बाद हो गया। 1800 में जहाँ भारतीय निर्यात का 30% सूती कपड़ा था, 1815 में यह 15% रह गया और 1870 तक सिर्फ 3% बचा। वहीं भारत से कच्चे कपास का निर्यात 1800 से 1872 के बीच 5% से बढ़कर 35% हो गया। यानी भारत अब तैयार माल नहीं बल्कि कच्चा माल देने वाला देश बन गया।
(vi) साम्राज्यवादी प्रतिस्पर्धा और युद्ध:- यूरोपीय देशों में आपसी प्रतिस्पर्धा बढ़ गई। जिसका नतीजा था —प्रथम विश्व युद्ध (1914-1918)।
प्रश्न 8. साम्राज्यवाद किसे कहते हैं?
उत्तर– जब कोई देश अपनी ताकत (सैन्य, राजनीतिक या आर्थिक) के बल पर दूसरे देश या क्षेत्र पर कब्जा करके वहाँ शासन करता है, तो उसे साम्राज्यवाद कहते हैं। यूरोपीय देशों द्वारा एशिया और अफ्रीका के क्षेत्र को साम्राज्यवाद के अधीन रखा गया।
प्रथम विश्व युद्ध का प्रभाव
(i) युद्ध के कारण यूरोप के देशों की अर्थव्यवस्था तबाह हो गई।
(ii) युद्ध के बाद अमेरिका की संपत्ति और ताकत बढ़ गई।
(iii) भारत में इस समय कपड़ा, जूट और खनन उद्योग का विस्तार भारतीय उद्योगपतियों (जैसे टाटा, बिड़ला, जमनालाल बजाज) के प्रयास से हुआ।
(iv) युद्ध से पहले ब्रिटेन दुनिया की सबसे बड़ी
आर्थिक शक्ति थी, लेकिन युद्ध के बाद उसके सभी आर्थिक केंद्र नष्ट हो गए।
प्रश्न 9. आर्थिक मंदी किसे कहते है?
उत्तर– जब कृषि, उद्योग और व्यापार बंद हो जाएँ, और लाखों लोग बेरोजगार हो जाए तथा बाजार में वस्तुओं और पैसे की कीमत गिर जाएँ, तो ऐसी स्थिति को आर्थिक मंदी कहते है।
☛ विश्व व्यापी आर्थिक मंदी 1929 ईस्वी में आया था। दि कॉमर्स ऑफ़ नेशन पुस्तक के लेखक काडलीफ है। आर्थिक संकट (मंदी) के कारण यूरोप में फासीवादी-नाजीवादी शासन प्रणाली का उदय हुआ।
1929 के आर्थिक महामंदी के कारण
(i) कृषि का अधिक उत्पादन हुआ, जिससे
फसलों के दाम गिर गए।
(ii) उत्पादों के मूल्य में कमी आई, इसलिए व्यापारी और किसान नुकसान में रहे।
(iii) उपभोक्ता की कमी हो गई, यानी लोग चीज़ें कम खरीद रहे थे।
(iv) अमेरिका से लिए गए कर्ज की वापसी = यूरोपीय देशों ने अमेरिका से कर्ज लिया था।
जब अमेरिका ने कर्ज वापस माँगा, तो यूरोप की
अर्थव्यवस्था ढह गई।
1929 की आर्थिक मंदी का विश्व पर प्रभाव
(i) अमेरिका के बैंक बंद हो गए = 1933 तक 4000 बैंक और 1,10,000 कंपनियाँ बंद हो गईं।
(ii) गरीबी और बेरोजगारी बढ़ गई।
(iii) ब्रिटेन और जर्मनी बहुत अधिक प्रभावित हुए और आर्थिक संकट झेला = जर्मनी पहले से ही युद्ध हर्जाने से कमजोर था। 1929 की मंदी ने उसे फिर से तबाह कर दिया। 60 लाख लोग बेरोजगार हो गए। इसी हालात का फायदा उठाकर हिटलर सत्ता में आया। ब्रिटेन ने भी संरक्षणवाद की नीति अपनाई, जिससे विश्व व्यापार घट गया। और 35 लाख लोग बेरोजगार हो गए।
(iv) फ्रांस पर मंदी का असर कम पड़ा।
(v) अमेरिका, जापान और सोवियत रूस नई शक्तियाँ बन गईं।
1929 की आर्थिक मंदी का भारत पर प्रभाव
(i) भारत में व्यापार में भारी गिरावट आई।
(ii) कृषि उत्पादन के मूल्य कम हो गए, किसानों की आमदनी घट गई।
(iii) ब्रिटेन ने भारत से सोना निर्यात करवाना शुरू किया।
(iv) मंदी सविनय अवज्ञा आंदोलन करने में
एक महत्वपूर्ण कारण बनी।
प्रश्न 10. शेयर बाजार किसे कहते है?
उत्तर– वैसा स्थान जहाँ व्यापारिक और औद्योगिक कंपनियों के बाजारों का मूल्य तय किया जाता है, और उनका लेन-देन होता है, उसे शेयर बाजार कहते हैं।
प्रश्न 11. सट्टेबाजी किसे कहते है?
उत्तर– वह प्रक्रिया जिसमें किसी कंपनी के शेयर या पूंजी में निवेश किया जाता है और उनके मूल्य बढ़ने पर उसे बेचकर लाभ कमाया जाता है, तो उसे सट्टेबाजी कहते है।
➣ अमेरिका में अमीर लोग शेयर बाजार में सट्टा लगाने लगे। पहले तो बहुत मुनाफा हुआ, लेकिन 1929 में न्यूयॉर्क के “वाल स्ट्रीट” बाजार के गिरने से सब कुछ खत्म हो गया।
प्रश्न 12. संरक्षणवाद किसे कहते है?
उत्तर– संरक्षणवाद वह नीति है जिसमें किसी देश की वस्तुओं को विदेशी वस्तुओं से होने वाले नुकसान से बचाने के लिए उन पर आयात शुल्क लगाया जाता है। अमेरिका ने आयातित वस्तुओं पर दो गुना शुल्क लगा दिया।
प्रश्न 13. न्यू डील किसे कहते है?
उत्तर– न्यू डील एक बड़ी जन कल्याण योजना थी, जिसमें आर्थिक, राजनीतिक और प्रशासनिक नीतियों को सुधारकर व्यवस्था को मजबूत किया गया। यह नीति फ्रैंकलिन डी रूजवेल्ट द्वारा लाया गया था। यह 1932 में अमेरिका का राष्ट्रपति बने।
आर्थिक मंदी को दूर करने के लिए यूरोपीय देशों के प्रयास
(i) ओटावा समझौता (1932) — कुछ देशों जैसे
बोल्गारिया, हंगरी, रूमानिया ने तय किया कि वे आपस में व्यापार बढ़ाएँगे, ताकि बाहर के देशों पर निर्भर न रहना पड़े।
(ii) ओस्लो गुट — कुछ देशों ने एक छोटा ग्रुप बनाया ताकि आपसी व्यापार और सहयोग बढ़ाया जा सके।
(iii) लोजान सम्मेलन (1932) — इसमें तय हुआ कि जर्मनी से युद्ध का जुर्माना कुछ कम किया जाए।
(iv) ब्रिया का सुझाव — फ्रांस के विदेश मंत्री
ब्रिया ने कहा कि सभी यूरोपीय देश मिलकर एक
आर्थिक संघ बनाएं, पर यह योजना सफल नहीं हुई।
(v) लंदन सम्मेलन (1933) — इसमें 67 देशों ने भाग लिया। इसका उद्देश्य पैसों की कीमत स्थिर करना और व्यापार की रुकावटें हटाना था। लेकिन देशों के झगड़ों के कारण यह असफल रहा।
प्रश्न 14. अधिनायकवाद किसे कहते है?
उत्तर– अधिनायकवाद वह व्यवस्था है जिसमें सारी शक्ति एक व्यक्ति के हाथ में केंद्रित होती है
और वह व्यक्ति जनता में नायक की छवि बनाकर शासन करता है।
☞ आर्थिक संकटों ने लोगों को परेशान किया, जिससे हिटलर (जर्मनी) और मुसोलिनी (इटली) जैसे नेता उभरकर आए।
1950 के दशक के बाद परिवर्तन
1945 में द्वितीय महायुद्ध समाप्त होने के बाद दुनिया के सामने दो चुनौतियाँ थीं —
(i) युद्ध से हुई भारी तबाही से उबरना।
(ii) अर्थव्यवस्था को दोबारा खड़ा करना।
इन समस्याओं को हल करने के लिए 1945 में हुए याल्टा सम्मेलन (अब रूस में) के फैसले के अनुसार संयुक्त राष्ट्र संघ (UNO) की निगरानी में पुनर्निर्माण का काम शुरू हुआ।
संयुक्त राष्ट्र की संस्थाएँ
(i) यूनेस्को (UNESCO) – शिक्षा और संस्कृति हेतु
(ii) विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) – स्वास्थ्य हेतु
(iii) अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) – मजदूरों के हितों हेतु
(iv) अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) – देशों के विवाद सुलझाने हेतु
☛ जुलाई 1944 में अमेरिका के न्यू हैम्पशायर स्थित ब्रेटन वुड्स में एक बड़ा सम्मेलन हुआ, जिसे वुड्स सम्मेलन कहा जाता है।
⪼ इसमें दो महत्वपूर्ण संस्थाएँ बनीं —
(i) अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) – देशों को उधार देता है ताकि आर्थिक स्थिति सुधरे और संतुलन बना रहे।
(ii) विश्व बैंक (IBRD) – युद्ध से तबाह देशों को स्कूल, सड़कें, पुल, अस्पताल, बिजली जैसी सुविधाएँ बनाने हेतु धन देता है।
➣ इन दोनों को “जुड़वां संतान” कहा गया। इनका काम 1947 से शुरू हुआ। इन पर अमेरिका का प्रभाव बहुत अधिक था और आज भी है।
साम्यवादी और पूँजीवादी देशों के बीच प्रतिस्पर्धा
⪼ द्वितीय विश्व युद्ध के बाद दुनिया दो हिस्सों में बँट गई — एक तरफ साम्यवादी देश थे, जिनका नेतृत्व सोवियत रूस कर रहा था, और दूसरी तरफ पूँजीवादी देश थे, जिनका नेतृत्व अमेरिका के हाथ में था।
☞ साम्यवादी देशों (जैसे — हंगरी, पोलैंड, रोमानिया, बुल्गारिया, पूर्वी जर्मनी, वियतनाम, उत्तर कोरिया) में सरकार हर चीज़ पर नियंत्रण रखती थी। वहाँ की अर्थव्यवस्था राज्य के अधीन होती थी और उद्देश्य था कि समाज में सब लोग बराबर रहें।
☛ दूसरी ओर, पूँजीवादी देश (जैसे — ब्रिटेन, फ्रांस, जापान, कनाडा) मानते थे कि व्यापार और उद्योग लोगों के हाथ में होना चाहिए। अमेरिका का लक्ष्य था कि साम्यवाद को रोका जाए और पूँजीवादी व्यवस्था को मजबूत किया जाए।
➣ इस तरह दोनों गुटों के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ती गई — आगे चलकर इसी को शीत युद्ध (Cold War) कहा गया। इसमें सीधी लड़ाई नहीं हुई, लेकिन राजनीतिक और आर्थिक तनाव लंबे समय तक बना रहा।
☞ अमेरिका ने अपने पूँजीवादी गुट को मजबूत करने के लिए दक्षिण अमेरिका में अपनी खुफिया संस्था CIA (Central Intelligence Agency) के ज़रिए कई देशों की सरकारें गिराईं।
⪼ अमेरिका ने मध्य और पश्चिम एशिया में तेल पर नियंत्रण रखने और इज़रायल (1948) की स्थापना में बड़ी भूमिका निभाई।
➣ मध्य और पश्चिम एशिया के तेल वाले देश – इराक, ईरान, सऊदी अरब, जॉर्डन, यमन, सीरिया, लेबनान।
यूरोप में एकीकरण की शुरुआत
☛ 1944 में नीदरलैंड, बेल्जियम और लग्ज़मबर्ग ने मिलकर बेनेलेक्स संघ बनाया। और 1948 में ब्रेसेल्स संधि के ज़रिए यूरोपीय देशों ने उद्योगों में सहयोग शुरू किया।
⪼ 1957 में फ्रांस, पश्चिमी जर्मनी, इटली, बेल्जियम, हॉलैंड, लक्ज़मबर्ग ने मिलकर EEC (यूरोपीय आर्थिक समुदाय) बनाया। बाद में ब्रिटेन भी इसका हिस्सा बना।
1914 से 1991 तक भूमंडलीकरण धीमा पड़ने के कारण
(i) दो विश्व युद्ध हुए = देशों की अर्थव्यवस्था बर्बाद हो गई।
(ii) सोवियत संघ का उभरना — दुनिया दो विचारधाराओं में बँट गई।
(iii) उपनिवेशवाद का अंत — एशिया और अफ्रीका के देश आज़ाद हुए और व्यापार कम हो गया।
(iv) आर्थिक महामंदी (1929) — फैक्ट्रियाँ बंद होने से व्यापार रुक गया।
(v) शीत युद्ध और आर्थिक गुटबाज़ी — अमेरिका और सोवियत संघ के तनाव से अंतरराष्ट्रीय व्यापार घट गया।
भूमंडलीकरण को फैलाने में कई अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं और बड़ी कंपनियों का बड़ा योगदान रहा
(i) विश्व बैंक (World Bank)
(ii) अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF)
(iii) विश्व व्यापार संगठन (WTO) — जो 1995 में बना।
(iv) बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ (MNCs)
(v) क्षेत्रीय संगठन – इसके साथ ही अमेरिका और अन्य पूँजीवादी देशों ने अपने हितों की रक्षा के लिए G-8, OPEC, SAARC (सार्क), यूरोपीय संघ (EU), G-15, G-77 जैसे संगठन बनाए। द्वितीय महायुद्ध के बाद यूरोप में यूरोपीय संस्था का उदय आर्थिक दुष्प्रभावों को समाप्त करने के लिए हुआ।
प्रश्न 15. पूंजीवाद किसे कहते है?
उत्तर– पूंजीवाद एक ऐसी आर्थिक व्यवस्था है जिसमें व्यक्ति या निजी कंपनियाँ अपनी पूंजी लगाकर उत्पादन और व्यापार करती हैं, और इनका मुख्य उद्देश्य अधिक मुनाफा कमाना होता है।
प्रश्न 16. शीतयुद्ध से आप क्या समझते है?
उत्तर– वैसा युद्ध जिसमें किसी भी प्रकार का
अस्त्र-शस्त्र का प्रयोग नहीं किया जाता है, बल्कि बातों-बातों से एक-दूसरे राष्ट्र को नीचा दिखाने का वातावरण तैयार किया जाता है, उसे शीत युद्ध (वाक् युद्ध) कहते हैं। ऐसा युद्ध सोवियत रूस और अमेरिका के बीच हुआ था।
प्रश्न 17. बहुराष्ट्रीय कंपनी किसे कहते है?
उत्तर– ऐसा कंपनी जो एक से ज्यादा देशों में
व्यापार और उत्पादन करती है, उसे बहुराष्ट्रीय कंपनी कहते हैं। जैसे — सैमसंग, कोका-कोला,
नोकिया, टाटा मोटर्स आदि।
भूमंडलीकरण और आजीविका
➣ आज आर्थिक भूमंडलीकरण का असर हर व्यक्ति के जीवन पर दिखता है — 1991 के बाद सेवा क्षेत्र बहुत तेजी से बढ़ा और इससे लोगों के लिए नए-नए रोजगार बने।
⪼ इसमें यातायात (बस, हवाई जहाज, टैक्सी), बैंक और बीमा, मोबाइल / इंटरनेट / कम्प्यूटर जैसी सूचना-प्रौद्योगिकी सेवाएँ, होटल, रेस्टोरेंट,
शॉपिंग मॉल और कॉल सेंटर जैसी सुविधाएँ शामिल हैं।
☛ 1991 के बाद जब सोवियत संघ टूटा, तो अमेरिका के नेतृत्व में एक नई आर्थिक व्यवस्था बनी, जिसे भूमंडलीकरण, उदारीकरण और निजीकरण (Liberalization & Privatization) कहा गया।
☞ अब पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था का केंद्र अमेरिका बन गया। उसकी मुद्रा (डॉलर) विश्व की मानक मुद्रा बन गई। अमेरिकी कंपनियों को पूरी दुनिया में काम करने की आज़ादी मिल गई।
BHARATI BHAWAN
कॉर्न लॉ (Corn Law) और उसका प्रभाव
➣ ब्रिटेन में कॉर्न लॉ नाम का एक कानून बनाया गया था। इस कानून के तहत दूसरे देशों से अनाज (खाद्यान्न) लाने पर प्रतिबंध था।
☛ इसका असर यह हुआ कि ब्रिटेन में अनाज की कीमतें बढ़ गईं। और इसका फायदा बड़े ज़मींदारों और किसानों को हुआ, क्योंकि वे अपने महंगे दाम पर अनाज बेच सकते थे।
☞ लेकिन आम जनता को इससे नुकसान हुआ,
क्योंकि खाना महँगा हो गया। इसलिए जनता और उद्योगपतियों ने कॉर्न लॉ के खिलाफ विरोध किया। आख़िरकार सरकार को कॉर्न लॉ निरस्त करना पड़ा।
कॉर्न लॉ हटने के बाद कई बड़े बदलाव हुए
(i) ब्रिटेन में अनाज का आयात बढ़ा —
अब दूसरे देशों से सस्ता अनाज आने लगा।
(ii) किसानों का पलायन — ब्रिटेन के कई किसान खेती छोड़कर शहरों या दूसरे देशों में काम ढूँढने लगे।
(iii) उपभोग क्षमता में वृद्धि — सस्ता अनाज मिलने से लोगों के पास बाकी चीज़ों पर खर्च करने के लिए ज़्यादा पैसा बचा।
(iv) कृषि का विस्तार और श्रम का प्रवाह —
दूसरे देशों (जैसे अमेरिका, रूस, भारत) में खेती बढ़ी, ताकि ब्रिटेन जैसे देशों को अनाज भेजा जा सके। इससे मज़दूरों की माँग भी बढ़ी।
(v) परिवहन और पूँजी का विकास — रेलवे, जहाज़ और नहरों का निर्माण हुआ, ताकि अनाज और अन्य वस्तुएँ आसानी से एक जगह से दूसरी जगह पहुँच सकें।
☞ इन सब कारणों से 19वीं सदी के अंत तक व्यापार बढ़ा, मज़दूर देशों के बीच आने-जाने लगे और पूँजी (पैसा) दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में लगाई जाने लगी।
☛ इससे 1890 तक वैश्विक कृषि अर्थव्यवस्था (Global Agricultural Economy)
का निर्माण हुआ — यानि अब खेती-बाड़ी, व्यापार और मजदूरी सिर्फ एक देश तक सीमित न रहकर पूरी दुनिया में जुड़ गई।
पंजाब में खेती का विस्तार
⪼ ब्रिटिश शासन के समय अविभाजित पंजाब प्रांत में खेती को बढ़ाने पर ज़ोर दिया गया। अंग्रेज़ों ने अर्द्ध-रेगिस्तानी (सूखे) और परती ज़मीनों को
खेती योग्य बनाने का फैसला किया।
➣ इसके लिए नहरें बनवाई गईं। मुख्य उद्देश्य गेहूँ और कपास की खेती बढ़ाना था, ताकि इन फसलों का निर्यात ब्रिटेन जैसे देशों को किया जा सके।
☛ इस योजना के तहत पंजाब के अलग-अलग इलाकों से किसानों और मजदूरों को लाकर
नई बस्तियाँ बनाई गईं, जिन्हें “केनाल कॉलोनी” कहा गया — यानी नहरों के किनारे बनी नई खेती-बस्तियाँ।
अफ्रीका में औपनिवेशिक विस्तार
⪼ अफ्रीका में बहुत सारे प्राकृतिक संसाधन (जैसे सोना, हीरे, रबर आदि) और उपजाऊ ज़मीनें थीं।
हर यूरोपीय देश वहाँ औपनिवेशिक शासन बनाना चाहता था ताकि वह वहाँ से धन और कच्चा माल ले सके।
☞ इसलिए 1885 में जर्मनी के बर्लिन शहर में एक बैठक हुई, जिसे बर्लिन सम्मेलन कहा जाता है। इसमें यूरोपीय देशों ने अफ्रीका को आपस में बाँट लिया।
☛ “कुली” शब्द अंग्रेज़ों के समय में उन भारतीय मजदूरों के लिए इस्तेमाल होता था, जिन्हें अनुबंध (गिरमिट) के आधार पर दूसरे देशों में काम करने के लिए भेजा जाता था।
☞ जब भारतीय गिरमिटिया मजदूर त्रिनिदाद (कैरीबियाई द्वीपों में एक देश) पहुँचे, तो वे अपनी धार्मिक परंपराएँ साथ लाए। उनमें से एक थी मुहर्रम की परंपरा।
➣ वहाँ उन्होंने मुहर्रम के मौके पर एक बड़ा जुलूस और उत्सव मनाना शुरू किया। उन्होंने इस जुलूस को “होसे मेला” नाम दिया, जो “हुसैन” (इमाम हुसैन) से लिया गया है।
☞ रास्ताफारियानवाद एक धार्मिक और सामाजिक आंदोलन है, जो जमैका (कैरीबियाई द्वीपों में एक देश) में 1930 के दशक में शुरू हुआ था।
हेनरी फोर्ड और बृहत उत्पादन
☛ अमेरिका के प्रसिद्ध मोटरकार निर्माता हेनरी फोर्ड ने बृहत उत्पादन की नीति अपनाई। उन्हें ही इसका प्रणेता (Initiator) कहा जाता है।
☞ असेंबली लाइन प्रणाली उत्पादन की एक ऐसी पद्धति थी, जिसमें चलती बेल्ट (Conveyor Belt) पर किसी वस्तु को धीरे-धीरे अलग-अलग हिस्सों में जोड़कर तैयार किया जाता था।
➣ हेनरी फोर्ड ने इसी प्रणाली से अपनी पहली कार बनाई — जिसका नाम था “टी-मॉडल (T-Model)”।
आर्थिक महामंदी के समय भारत की स्थिति
☛ आर्थिक महामंदी के समय पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था बहुत खराब हो गई थी। और उस समय भारत ब्रिटिश शासन के अधीन था। इसलिए ब्रिटिश सरकार ने भारत की आर्थिक संपत्ति का उपयोग अपने लाभ के लिए किया।
⪼ प्रसिद्ध अर्थशास्त्री जॉन मेनार्ड कीन्स (J. M. Keynes) ने कहा कि — भारत से जो सोना
बाहर भेजा गया, उसने विश्व अर्थव्यवस्था को
संभालने में मदद की।
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दोस्तों उम्मीद करता हूं कि ऊपर दिए गए कक्षा 10वीं के इतिहास के पाठ 07 व्यापार और भूमंडलीकरण (vyapar aur bhumandalikaran) का नोट्स और उसका प्रश्न को पढ़कर आपको कैसा लगा, कॉमेंट करके जरूर बताएं। धन्यवाद !









