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Bihar Board Ncert Class 9th Social Science History Chapter 4 Notes vishwa yudh ka itihas | विश्व युद्धों की इतिहास Objective Question

आज के इस पोस्ट में हमलोग कक्षा 9वीं इतिहास का पाठ ‘विश्व युद्धों की इतिहास’ का नोट्स को देखने वाले है। vishwa yudh ka itihas

Bihar Board Ncert Class 9th Social Science History Chapter 4 Notes vishwa yudh ka itihas | विश्व युद्धों की इतिहास Objective Question

विश्व युद्धों की इतिहास

👉 प्रथम विश्व युद्ध (1st World War)

(i) यह युद्ध 28 जुलाई 1914 से 11 नवंबर 1918 तक चला।

(ii) यह युद्ध धुरी राष्ट्र (जर्मनी, ऑस्ट्रिया हंगरी, इटली, ऑटोमन साम्राज्य, बुलगारिया) तथा मित्र राष्ट्र (इंग्लैंड, रूस, फ्रांस, संयुक्त राज्य अमेरिका) के बीच हुआ था।

(iii) इसमें लगभग 90 लाख लोग प्रत्यक्ष रूप से मारे गए तथा 45 करोड लोग अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित हुए थे।

प्रथम विश्व युद्ध के कारण

(i) साम्राज्यवाद
(ii) उग्र राष्ट्रवाद
(iii) सैन्यवाद
(iv) गुटों का निर्माण

साम्राज्यवाद

(i) इंग्लैंड, फ्रांस, स्पेन, डच इत्यादि देश अनेक देशों अपना कब्जा कर लिए थे। जबकि जर्मनी, इटली इस काम में पीछे रह गए थे।

(ii) 1914 तक जर्मनी औद्योगिक क्षेत्र में काफी प्रगति कर ब्रिटेन और फ्रांस को काफी पीछे छोड़ दिया था। जर्मनी को भी उद्योग के लिए कच्चे माल और तैयार माल के लिए बाजार की आवश्यकता थी, किंतु एशिया और अफ्रीका के अधिकांश हिस्से को इंग्लैंड, फ्रांस ने कब्जा लिया था।

(iii) अपने उद्योग को बढ़ाने के लिए जर्मनी ने बर्लिन से बगदाद तक रेलवे लाइन बिछाने की योजना बनाई, किंतु फ्रांस तथा रूस ने इसका विरोध किया।

(iv) रूस और जापान के बीच 1905 ईस्वी में युद्ध हुआ, जिसमें जापान जीत गया। रूस जैसे बड़े देश को हराने के बाद जापान ने अन्य देश पर कब्जा करने का निश्चय किया।

(v) 19वीं शताब्दी के अंत तक संयुक्त राज्य अमेरिका भी एक शक्तिशाली राष्ट्र बन चुका था और वह नहीं चाहता था कि दूसरा कोई देश ताकतवर बनकर उभरे।

उग्र राष्ट्रवाद

(i) 19वीं शताब्दी के बाद यूरोप के लोगों में राष्ट्रवादी भावना जगी, और समान जाति, धर्म, भाषा वाले लोग एक साथ मिलकर अलग देश का निर्माण चाहते थे।

(ii) तुर्की और ऑस्ट्रिया-हंगरी साम्राज्य अपना विस्तार चाहती थी। और स्लाव जाति के लोग अपना एक अलग राष्ट्र का निर्माण चाहते थे।

(iii) सर्वजर्मन आंदोलन का मकसद था कि जर्मनी अपनी ताक़त बढ़ाकर बाल्कन प्रायद्वीप (दक्षिण-पूर्वी यूरोप का इलाका) तक अपने साम्राज्य को फैलाए।

सैन्यवाद

(i) यूरोपीय देश अपने सैनिक शक्ति को मजबूत करने के लिए देश के कुल राष्ट्रीय आय का लगभग 85% सैनिको पर खर्च कर रहे थे।

(ii) 1913-14 तक फ्रांस के पास लगभग 8 लाख, जर्मनी में 7.5 लाख और रूस में 15 लाख सेना थी।

(iii) जल सेना के क्षेत्र में शुरू से ही इंग्लैंड शक्तिशाली था, लेकिन 1912 में जर्मनी ने इंपरेटर नामक विशाल जहाज बनाकर इंग्लैंड को नीचा दिखाया। इस प्रकार यूरोप में जर्मनी इंग्लैंड के बाद दूसरा शक्तिशाली राष्ट्र बन गया था।

गुटों का निर्माण

(i) यूरोप में गुटबंदी का जन्मदाता जर्मनी के चांसलर बिस्मार्क को माना जाता है, जिसने 1879 में ऑस्ट्रिया के साथ द्वैध संधि की थी।

(ii) 1882 में एक त्रिगुट (ट्रिपल एलायंस) बना, जिसमें जर्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी और इटली देश शामिल हुए।

(iii) इस त्रिगुट के विरोध में फ्रांस, रूस और इंग्लैंड ने 1907 में त्रिदेशीय संधि (ट्रिपल एतॉत) बनाई।

युद्ध की शुरुआत

(i) 28 जून 1914 को ऑस्ट्रिया-हंगरी के राजकुमार आर्क ड्यूक फार्डिनेंड की बोस्निया की राजधानी साराजेवो में हत्या कर दी गई।

(ii) ऑस्ट्रिया ने इस घटना के लिए सर्बिया को जिम्मेदार ठहराया और सर्बिया के समक्ष मांगे रखी। सर्बिया ने मांगो को स्वीकार करने से इंकार कर दिया। फलतः 28 जुलाई 1914 को ऑस्ट्रिया ने सर्बिया के खिलाफ़ युद्ध की घोषणा कर दी।

(iii) रूस ने सर्बिया को पूर्ण सहायता का वचन पहले ही दिया था, अतः रूस भी युद्ध की तैयारी में लग गया। रूस के साथ त्रिदेशीय संधि होने के कारण फ्रांस भी युद्ध में शामिल हो गया।

(iv) जर्मनी त्रिगुट एलायंस का हिस्सा था, इसलिए उसने ऑस्ट्रिया को युद्ध में सहयोग किया और 1 अगस्त 1914 को रूस के खिलाफ तथा 3 अगस्त 1914 को फ्रांस के खिलाफ़ युद्ध की घोषणा कर दी।

(v) इसे देखकर इंग्लैंड ने भी जर्मनी के खिलाफ़ युद्ध की घोषणा कर दी।

(vi) जापान ने जर्मनी के उपनिवेश हथियाने के उद्देश्य से जर्मनी के खिलाफ़ युद्ध की घोषणा कर दी।

(vii) युद्ध के समय जर्मनी के सैनिकों ने इंग्लैंड के बंदरगाह पर लुसितानिया नामक जहाज को डूबा दिया जिसमें अमेरिकी लोग मारे गय। इससे गुस्सा होकर अमेरिका ने भी 6 अप्रैल 1917 को जर्मनी के विरुद्ध युद्ध की घोषणा कर दी।

युद्ध का अंत

(i) युद्ध से रूस के 6 लाख से अधिक सैनिक मारे जा चुके थे। अतः मार्च 1918 में रूस – जर्मनी के मध्य एक शांति संधि हुई और रूस युद्ध से पूर्णतः अलग हो गया।

(ii) रूस के अलग होने के बाद लगभग जितने देश युद्ध में शामिल थे उन देशों की जनता ने युद्ध का अंत करने के लिए अपनी ही सरकार के खिलाफ आवाज उठाना शुरू कर दिया।

(iii) इंग्लैंड और फ्रांस के साथ अमेरिका के युद्ध में शामिल हो जाने से जर्मनी तथा उसके सहयोगी देशों की हार होने लगी। धीरे-धीरे वे युद्ध से अलग होने लगे 3 नवंबर 1918 को ऑस्ट्रिया-हंगरी के सम्राट ने आत्मसमर्पण कर दिया। इसके बाद 11 नवंबर 1918 को जर्मनी ने भी युद्ध विराम संधि पर हस्ताक्षर कर दिए। इस तरह से युद्ध समाप्त हो गया।

वर्साय की संधि

(i) 28 जून 1919 को विजय देशों (मित्र राष्ट्रों) तथा पराजित राष्ट्रों के मध्य वर्साय शहर में एक संधि हुई, जिसे ‘वर्साय की संधि‘ के नाम से जाना जाता है।

(ii) इस संधि में अमेरिका के राष्ट्रपति वुडरो विल्सन, इंग्लैंड के प्रधानमंत्री लायड जॉर्ज और फ्रांस के प्रधानमंत्री जॉर्ज क्लिमेंशू तीन प्रमुख व्यक्ति थे, जो शांति संधि की शर्ते तय कर रहे थे और सारा दोष पराजित राष्ट्रों के मत्थे मढ रहे थे।

(iii) संधि में जर्मनी को युद्ध का जिम्मेवार बताया गया।

(iv) जर्मनी के कोयला खदानों को 15 वर्ष के लिए फ्रांस को दे दिया गया। जर्मनी को अपने देश के कुछ भाग डेनमार्क, बेल्जियम, पोलैंड और चेकोस्लोवाकिया को देना पड़ा।

(v) इस संधि के बाद जर्मनी को एक लाख से अधिक सेना नहीं रखने का निश्चय हुआ। जर्मनी को वायु सेना और पनडुब्बियों रखने का अधिकार छीन लिया गया।

(vi) जर्मनी के सारे उपनिवेश विजेता राष्ट्रों ने आपस में बांट लिया। युद्ध में मित्र राष्ट्रों को जो भी हानि हुई उसका हर्जाना 6 अरब 10 करोड़ पौंड जर्मनी को भरना पड़ा।

(vii) ऑस्ट्रिया से कहा गया कि वह हंगरी, चेकोस्लोवाकिया, युगोस्लाविया और पोलैंड की स्वतंत्रता को मान्यता दे।

लीग ऑफ नेशंस

(i) अमेरिका के राष्ट्रपति वुडरो विल्सन के द्वारा 10 जनवरी 1920 को लीग ऑफ़ नेशंस यानी राष्ट्रसंघ की स्थापना की गई। इसका मुख्य उद्देश्य था अंतरराष्ट्रीय झगड़ों का शांतिपूर्ण निपटारा करना।

(ii) इसकी स्थापना के लिए वुडरो विल्सन को नोबेल पुरस्कार भी मिला था। यही लीग ऑफ नेशंस आगे चलकर 1945 में राष्ट्रसंघ कहा जाने लगा।

प्रथम विश्व युद्ध के परिणाम

(i) अंतरराष्ट्रीय शांति के लिए लीग ऑफ नेशंस की स्थापना हुई।

(ii) कई राष्ट्रों में राजतंत्र समाप्त हो गए और वहां लोकतांत्रिक व्यवस्था का उदय हुआ।

(iii) रूस का रोमानोव, जर्मनी का होहेंजोलर्न, ऑस्ट्रिया-हंगरी का हेब्सबर्ग तथा तुर्की का उस्मानिया वंश समाप्त हो गया।

(iv) ऑस्ट्रिया और हंगरी दो अलग स्वतंत्र राज्य बन गए। चेकोस्लोवाकिया, युगोस्लाविया, पोलैंड इत्यादि स्वतंत्र देश के रूप में उभरे।

(v) यूरोप का वर्चस्व समाप्त हुआ और संयुक्त राज्य अमेरिका विश्व शक्ति बनकर उभरा।

(vi) वर्साय की संधि में पराजित राष्ट्रों पर जिस तरह से दोष थोपे गए तथा उनका अपमान किया गया इसने अगले दूसरे विश्वयुद्ध का बीज बोया गया।

द्वितीय विश्वयुद्ध

(i) 1 सितंबर 1939 से लेकर 2 सितंबर 1945 तक लड़ा जाने वाला यह युद्ध जिसमें 61 देशों ने भाग लिया था।

(ii) इसमें 5 करोड़ से अधिक लोग मारे गए और यूरोप के अनेक प्राचीन नगर पूरी तरह से नष्ट हो गया।

(iii) इस युद्ध में उस जमाने में लगभग 13 खरब 84 अरब 90 करोड़ डॉलर की बर्बादी हुई थी।

1919 के वर्साय संधि की विसंगतियां

इस संधि में जिस तरह से विजयी मित्र राष्ट्रों ने पराजित जर्मनी को दोषी मानकर उस पर तरह-तरह के दंड लगाए थे तथा संधि पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया था इससे स्पष्ट था कि अगला विश्वयुद्ध होकर रहेगा और वही हुआ। इस संधि से असंतुष्ट देशों ने 1936 के अंत तक इस समझौते से अपने आप को अलग कर लिया।

दुबारा गुटबंदी

👉 धुरी राष्ट्रों का एक अलग गुट बन गया, जो वर्साय की संधि में थोपी गई शर्तों से मुक्ति चाहते थे। इसमें जर्मनी, इटली, जापान इत्यादि देश थे।

मित्र राष्ट्रों का एक अलग गुट बना जिन्हें वर्साय की संधि से बहुत लाभ हुआ था। इनमें फ्रांस, इंग्लैंड, चेकोस्लोवाकिया, पोलैंड इत्यादि देश थे।

पेरिस शांति सम्मेलन का वचन विमुखता

👉 राष्ट्र संघ ने छोटे-छोटे देशों के मामलों को तो आसानी से सुलझा दिया मगर बड़े राष्ट्रों के मामले में उसने अपने आप को अक्षम पाया और अवसर आने पर सभी समर्थ राष्ट्र अपने वचन से पीछे हटते गए। जैसे:–

(i) जापान ने चीन पर आक्रमण करके उसके क्षेत्र मंचूड़िया पर 1931 में कब्जा कर लिया।
(ii) इटली ने एबिसिनिया (इथोपिया) पर कब्जा कर लिया।
(iii) जर्मनी ने चेक गणराज्य को हड़प लिया।

1929 की विश्वव्यापी आर्थिक मंदी

👉 प्रथम विश्वयुद्ध के बाद 1929 से 1930 के काल में विश्वव्यापी आर्थिक मंदी आया। जिससे पूरे विश्व में क्रय शक्ति का ह्रास हुआ और कीमतों में गिरावट हुई। यूरोप को अमेरिका से ऋण मिलना बंद हो गया।

जर्मनी, इटली तथा जापान की साम्राज्यवादी महत्वाकांक्षा

(i) जर्मनी में हिटलर ने 1920 ई. में नेशनल सोशलिस्ट पार्टी अर्थात नाजी दल का स्थापना किया और अंततः 1933 में वह जर्मनी का प्रधानमंत्री बना।

(ii) प्रथम विश्व युद्ध के बाद जिस तरह से जर्मनी तथा इटली देशों को अपमानित किया गया था, उसका बदला लेने के लिए ये दोनो देश उत्सुक भी थे और अपने राष्ट्र का नाम गौरवान्वित भी करना चाहते थे।

तुष्टीकरण की नीति

(i) हिटलर ने खुले तौर पर वर्साय की संधि का उल्लंघन किया और जर्मनी की सेना तथा हथियारों का गुप्त रूप से निर्माण शुरू कर दिया। जर्मनी इन गतिविधियों के बारे में ब्रिटेन और फ्रांस को पता था।

(ii) इंग्लैंड तथा फ्रांस जैसे पूंजीवादी देश रूस को नफरत की दृष्टि से देखते थे। वे चाहते थे कि हिटलर रूस पर हमला कर दे जिससे दोनों देश लड़कर कमजोर हो जाए और अंत में वे हस्तक्षेप करके दोनों देशों को बर्बाद कर दे।

म्यूनिख समझौता

(i) हिटलर चेकोस्लोवाकिया के एक क्षेत्र सुडेटनलैंड पर अधिकार करना चाहता था। इसके लिए जर्मनी के म्यूनिख शहर में 1938 को इंग्लैंड, फ्रांस, इटली तथा जर्मनी के बीच म्यूनिख समझौता हुआ। जिसमें हिटलर को सुडेटनलैंड पर अधिकार की मान्यता मिल गई।

(ii) हिटलर ने 1939 में पूरे चेकोस्लोवाकिया पर अधिकार कर लिया। इसके बाद उसने डेंजिंग बंदरगाह और पोलिश गलियारे की मांग पोलैंड से की। पोलैंड इसके लिए तैयार नहीं हुआ उसने मना कर दिया।

द्वितीय विश्व युद्ध का आरंभ तथा घटनाक्रम

(i) 1 सितंबर 1939 को जर्मनी ने पोलैंड पर आक्रमण किया तथा इसी के साथ द्वितीय विश्व युद्ध का शुरुआत हो गया। इसके बाद ब्रिटेन और फ्रांस ने 3 सितंबर 1939 को जर्मनी के विरुद्ध युद्ध की घोषणा कर दी।

(ii) इसके बाद इटली भी जर्मनी की ओर से युद्ध में शामिल हो गया। 9 अप्रैल 1940 को जर्मनी ने नॉर्वे और डेनमार्क को हराया तथा जून 1940 तक बेल्जियम और फ्रांस पर भी कब्जा जमा लिया। अंततः 22 जून 1940 को फ्रांस ने आत्मसमर्पण कर दिया।

(iii) इधर सोवियत संघ (रूस) ने अपनी सुरक्षा के लिए आसपास के कुछ देशों जैसे एस्टोनिया, लाटविया, लिथुआनिया, फिनलैंड इत्यादि से संधि करके इन देशों में अपनी सेना रखने की अनुमति ले ली।

जर्मनी का रूस पर आक्रमण

फ्रांस जैसे देश को पराजित करने के बाद घमंड के नशे में चूर होकर जर्मनी ने 22 जून 1941 को सोवियत संघ पर आक्रमण किया। परंतु इंग्लैंड के सहयोग से रूस की सेना ने जर्मनी को हराने में सफलता प्राप्त की।

👉 मित्र राष्ट्र जैसे अमेरिका, इंग्लैंड, रूस और फ्रांस ने मिलकर जर्मनी को पराजित किया। 6 जून 1944 को जर्मन सेना हार गई। अंततः 7 मई 1945 ई. को जर्मनी ने मित्र राष्ट्रों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया

जापान का अमेरिका पर आक्रमण

(i) जापान ने 7 दिसंबर 1941 को हवाई द्वीप स्थित पर्ल हार्वर के अमेरिकी नौसैनिक अड्डे पर हमला किया। इससे गुस्सा होकर अमेरिका ने 8 दिसंबर 1941 को जापान के विरुद्ध युद्ध की घोषणा कर दी।

(ii) 6 अगस्त 1945 को अमेरिका ने जापान के एक शहर हिरोशिमा पर फैटमैन नामक परमाणु बम गिराया, जिससे पूरा हिरोशिमा नष्ट हो गया।

(iii) इसके बाद फिर से 9 अगस्त 1945 को अमेरिका ने जापान के दूसरे शहर नागासाकी पर लिटिल बॉय नामक परमाणु बम गिराया। अंततः जापान ने 2 सितंबर 1945 को मित्र राष्ट्रों के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया इसके साथ ही द्वितीय विश्वयुद्ध का अंत हो गया।

द्वितीय विश्व युद्ध के परिणाम

(i) इस युद्ध के बाद यूरोपीय महाशक्ति जैसे ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, जापान इत्यादि की स्थिति खराब हो गई।

(ii) संयुक्त राज्य अमेरिका और सोवियत संघ (रूस) नया महाशक्ति के रूप में उभर कर सामने आया। अफ्रीका तथा एशिया में उपनिवेशवाद का अंत हो गया। हमारे भारत देश को भी 15 अगस्त 1947 को इंग्लैंड से स्वतंत्रता मिल गई।

संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना

(i) द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद विश्व शांति को कायम रखने के लिए तथा भविष्य में युद्ध को रोकने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना 24 अक्टूबर 1945 को की गई। वर्तमान में इसमें 193 देश हैं।

(ii) इसका मुख्यालय संयुक्त राज्य अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में है। वर्तमान में इसके महासचिव एंटोनियो गुटेरेस है।

विश्व में गुटों का निर्माण

(i) द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद संपूर्ण विश्व 3 गुटों में बंट गया। पहला गुट साम्यवादी खेमा का है, जिसका नेतृत्व सोवियत संघ (रूस) कर रहा था।

(ii) दूसरा गुट पूंजीवादी खेमा का है, जिसका नेतृत्व संयुक्त राज्य अमेरिका कर रहा था। तीसरा खेमा गुटनिरपेक्ष राज्यों के संघ के रूप में सामने आया। ये देश हाल ही में स्वतंत्र हुए थे और विकासशील राष्ट्र थे। अपना भारत देश भी इसी गुट में शामिल है।

(iii) गुटनिरपेक्ष खेमा का आरंभ हमारे देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु के द्वारा ही किया गया था।

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दोस्तों उम्मीद करता हूं कि ऊपर दिए गए कक्षा 9वीं के इतिहास के पाठ 04 विश्व युद्धों की इतिहास (vishwa yudh ka itihas) का नोट्स और उसका प्रश्न को पढ़कर आपको कैसा लगा, कॉमेंट करके जरूर बताएं। धन्यवाद !

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