आज के इस पोस्ट में हमलोग कक्षा 10वीं अर्थशास्त्र का पाठ ‘वैश्वीकरण’ का नोट्स को देखने वाले है। vaishvikaran
वैश्वीकरण (vaishvikaran) |
☛ 20वीं शताब्दी से एक नए वैश्विक बाजार का युग शुरू हुआ। जिसमें वस्तुओं और सेवाओं का व्यापार देश और राज्यों की सीमाओं को पार कर पूरी दुनिया में होने लगी है।
प्रश्न 1. मॉल (Mall) किसे कहते है?
उत्तर– ऐसा बाजार, जिसमें एक छत के नीचे उपभोग की सारी छोटी एवं बड़ी वस्तुएँ उपलब्ध होती है, उसे मॉल (Mall) कहते हैं। मॉल भारत में एक नई अवधारणा है जो वैश्वीकरण और उदारीकरण के कारण आई है।
प्रश्न 2. निजीकरण किसे कहते है?
उत्तर– जब सरकार अपने सरकारी कंपनियाँ का पूरा या कुछ हिस्सा निजी कंपनियों को बेच देती है, तो उसे निजीकरण कहते है। निजी कंपनियाँ इसे बेहतर तरीके से चला सकती है। भारत में 1991 से सरकार ने निजीकरण की नीति अपनाई है।
प्रश्न 3. उदारीकरण किसे कहते है?
उत्तर– जब सरकार व्यापार पर लगे फालतू नियमों, लाइसेंस, कोटा जैसी बंदिशों को हटा देती है, तो उसे उदारीकरण कहते है। उदारीकरण के कारण व्यापार और उद्योग आसानी से चल सकते है। भारत में 1991 से उदारीकरण लागू किया गया।
प्रश्न 4. वैश्वीकरण किसे कहते है?
उत्तर– निजीकरण और उदारीकरण की नीति के द्वारा जब देश के बाजार और अर्थव्यवस्था को दुनिया के बाकी देशों के साथ जोड़ा जाता है, तो उसे वैश्वीकरण कहते है।
☛ वैश्वीकरण से दुनिया भर में पूँजी, वस्तु, सेवा, तकनीक और लोगों का आदान-प्रदान आसानी से हो सकता है।
☞ वैश्वीकरण के मुख्य पाँच अंग है :-
(i) व्यवसाय और व्यापार संबंधी अवरोधों की कमी :- व्यापार की बाधाएँ कम करके विदेशों और भारत के बीच वस्तुओं और सेवाओं का लेन-देन आसान किया जा सकता है। तथा विदेशी कंपनियाँ भारत में, और भारतीय कंपनियाँ विदेशों में व्यापार कर सकती है।
(ii) पूँजी का निर्बाध प्रवाह :- पूँजी का निर्बाध प्रवाह से विदेशी निवेशक भारत में निवेश कर सकते हैं। तथा भारतीय निवेशक विदेशों में पैसा लगा सकते हैं।
(iii) प्रौद्योगिकी (तकनीक) का निर्बाध प्रवाह :- ऐसा वातावरण कायम करना कि कोई भी देश किसी दूसरे देश से तकनीक, बिना रुकावट के मंगवा सकता है।
(iv) श्रम का निर्बाध प्रवाह :- ऐसा वातावरण कायम करना कि लोग एक देश से दूसरे देश में काम के लिए जा सकें। लेकिन अभी इसमें कुछ दिक्कतें हैं, क्योंकि विकसित देश इसमें रुकावट डालते हैं।
(v) पूँजी की पूर्ण परिवर्तनशीलता :- पूँजी (जैसे रुपया, डॉलर) को एक मुद्रा से दूसरी मुद्रा में बिना किसी रोकटोक के बदला जा सकता है।
प्रश्न 5. वैश्वीक गाँव किसे कहते है?
उत्तर– ऐसा आधुनिक इलाका जहाँ अलग-अलग देशों के लोग एक साथ मिलकर रह सकें, उसे वैश्वीक गाँव कहते है। भारत में मुंबई के पास एक बड़ी कंपनी ने ऐसा “वैश्वीक गाँव” बनाना शुरू किया है।
प्रश्न 6. बहुराष्ट्रीय कंपनी किसे कहते है?
उत्तर– ऐसा कंपनी जो एक से ज्यादा देशों में व्यापार और उत्पादन करता है, उसे बहुराष्ट्रीय कंपनी कहते है। जैसे– फोर्ड मोटर्स, सैमसंग, कोका कोला, नोकिया, इंफोसिस, टाटा मोटर्स आदि।
बहुराष्ट्रीय कंपनियों की कार्य-प्रणाली
(i) उत्पादन लागत घटाने का लक्ष्य :- ये कंपनियाँ वहाँ फैक्ट्री लगाती हैं जहाँ सस्ता श्रम, सस्ता कच्चा माल, सस्ते संसाधन मिलते हों।
उदाहरण:- डाबर कंपनी नेपाल में उत्पादन करती है क्योंकि वहाँ जमीन और मजदूर सस्ते हैं।
(ii) विश्व स्तर पर उत्पादन :- बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ दुनिया के अलग-अलग देशों में सामान और सेवाएँ बनाती हैं। इससे ये कंपनियाँ ज़्यादा मुनाफा कमाती हैं।
(iii) आउटसोर्सिंग :- ये कंपनियाँ सारा काम खुद नहीं करतीं है। वे अलग-अलग देशों में अलग-अलग काम देती हैं, जहाँ वह काम सस्ते में और अच्छे से हो सके।
बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ अपने उत्पादन को कैसे फैलाती हैं?
(i) स्थानीय कंपनियों को खरीदकर :- बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ किसी देश की स्थानीय कंपनियों को खरीद लेती हैं। फिर उसी नाम या ब्रांड के साथ उत्पादन करती हैं। जैसे– कोका कोला ने भारत की पारले कंपनी से ‘थम्स अप’ ब्रांड को खरीद लिया।
(ii) स्थानीय कंपनियों के साथ साझेदारी करना :- कभी-कभी ये कंपनियाँ स्थानीय कंपनियों के साथ मिलकर उत्पादन करती हैं। इससे स्थानीय कंपनियों को नई तकनीक और पूँजी मिलती है, जिससे वे ज्यादा उत्पादन कर पाती हैं।
(iii) छोटे उत्पादकों का मदद लेना :- बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ अपने माल को बनवाने के लिए छोटे उत्पादकों से काम करवाती हैं।इससे उनका उत्पादन खर्च कम होता है, और वे बड़े स्तर पर उत्पादन कर पाते हैं।
प्रश्न 7. निवेश किसे कहते है?
उत्तर– जब हम पैसे खर्च करके कोई ऐसी चीज़ खरीदते हैं, जो भविष्य में लाभ या फायदा दे, तो उसे निवेश कहते हैं। जैसे– भूमि, भवन, मशीन आदि
प्रश्न 8. विदेशी निवेश किसे कहते है?
उत्तर– बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा किए गए निवेश को विदेशी निवेश कहते हैं। यह निवेश लाभ कमाने के उद्देश्य से किया जाता है।
वैश्वीकरण को संभव बनाने वाले दो मुख्य कारक
(i) प्रौद्योगिकी में प्रगति :- यातायात तकनीक के द्वारा सामान ले जाने के खर्च और समय में कमी आई है। और कंटेनर का उपयोग होने से सामान सस्ते में भेजा जा सकता है। तथा संचार और सूचना तकनीक (फोन, मोबाइल) के द्वारा तुरंत संपर्क संभव हुआ है।
जैसे– न्यूयॉर्क का एक प्रकाशक अपने डिज़ाइन को मुंबई भेजता है। मुंबई में वह किताब छपती है, और फिर वापस न्यूयॉर्क जाती है। और भुगतान भी ऑनलाइन (ई-बैंकिंग) से तुरंत हो जाता है।
इस तरह हम देखते हैं कि सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के विकास ने लोगों को नजदीक लाकर वैश्वीकरण की प्रक्रिया को काफी तेज किया है।
(ii) विदेश व्यापार तथा विदेशी निवेश का उदारीकरण :- भारत ने विदेशी व्यापार और विदेशी निवेश पर रोक लगा रखी थी। लेकिन बाद में भारत ने 1991 ईस्वी में उदारीकृत व्यापार नीति लागू की। जिसके द्वारा विदेश व्यापार और निवेश पर लगे अवरोध (रोक-टोक) को हटा दिया गया।
प्रश्न 9. व्यापार अवरोधक किसे कहते है?
उत्तर– विदेशी व्यापार में वृद्धि या कटौती करने के लिए सरकार विदेशी वस्तुओं पर कुछ प्रतिबंध लगाता है, जिसे व्यापार अवरोधक कहा जाता है।
विश्व व्यापार संगठन
☛ विश्व व्यापार संगठन (WTO) एक ऐसा अंतर्राष्ट्रीय संगठन है, जिसका उद्देश्य दुनिया भर में व्यापार को आसान और खुला बनाना है। इसकी स्थापना जनवरी 1995 में हुई थी। और वर्ष 2006 तक 149 देश इसके सदस्य बन चुके है। इसका मुख्यालय जेनेवा (स्विट्ज़रलैंड) में है।
☞ विश्व व्यापार संगठन व्यापार के नियम बनाता है। और सभी देशों से नियमों का पालन करवाता है। तथा सभी को मुक्त व्यापार (Free Trade) की सुविधा देता है।
भारत में वैश्वीकरण क्यों?
(i) भारत में पूँजी की कमी है। वैश्वीकरण से विदेशी पूँजी भारत आएगी।
(ii) भारत के उद्योगों की उत्पादकता बढ़ेगी।
(iii) विदेशी प्रतिस्पर्धा के कारण भारतीय कंपनियाँ अपनी उत्पादन प्रक्रिया सुधारेगी। इससे प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता बढ़ेगी।
(iv) भारत में सस्ता श्रम (labour) है।
(v) भारत का निर्यात बढ़ेगा, रोजगार के नए अवसर मिलेंगे और बेरोजगारी कम होगी।
भारत में वैश्वीकरण के फायदे (पक्ष तर्क)
(i) प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को प्रोत्साहन :- भारत को बाहर से पूँजी (पैसे) मिलेंगे जिससे विकास होगा।
(ii) प्रतियोगिता शक्ति में वृद्धि :- भारतीय कंपनियाँ बेहतर चीजें बनाने की होड़ में लगेंगी।
(iii) नई प्रौद्योगिकी के प्रयोग में सहायक :- विदेशों में बनी नई मशीनें और तकनीक भारत में आएँगी।
(iv) अच्छी उपभोक्ता वस्तुओं की प्राप्ति :- अच्छी क्वालिटी की चीजें सस्ती कीमत पर मिलने लगेंगी।
(v) नये बाजार तक पहुँच :- भारत की चीजें अब विदेशों में भी बिक सकेंगी।
(vi) उत्पादन के स्तर को उन्नत करना :- बेहतर मशीनों से अच्छी चीजें बनेंगी।
(vii) बैंकिंग तथा वित्तीय क्षेत्र में सुधार :- बैंकिंग और पैसे से जुड़ी सेवाएँ और बेहतर होंगी।
(viii) मानवीय पूँजी की क्षमता का विकास :- इससे इंसानों की क्षमता बढ़ती है और देश को कुशल श्रमिक मिलते हैं।
भारत में वैश्वीकरण पर विवाद :- कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि इससे गरीब और मजदूरों को नुकसान हो सकता है। और वैश्वीकरण से बड़ी कंपनियाँ फायदा उठाती हैं, लेकिन छोटे कामगार पीछे छूट जाते हैं।
वैश्वीकरण ऐतिहासिक परिवेश में (1991 से पहले का वैश्वीकरण)
➢ पहला वैश्वीकरण दौर (1870–1914) के समय दुनिया के देशों में व्यापार, श्रम और पूँजी का प्रवाह होता था। पहले के समय में मजदूर बिना रोक-टोक दूसरे देशों में जा सकते थे। और भाप के जहाज, रेल और तार (Telegram) से संपर्क आसान हो गया था। जैसे आज अमेरिका का दबदबा है, वैसे ही तब ब्रिटेन का राजनीतिक और आर्थिक दबदबा था।
बिहार में वैश्वीकरण का प्रभाव
⪼ बिहार के विकास के लिए बाहर से पूँजी की ज़रूरत है। और निवेश वहीं होता है जहाँ बिजली, सड़क, पानी और कानून-व्यवस्था अच्छी हो। लेकिन बिहार में बिजली की समस्या है, पर सड़क और अन्य सुविधाओं में सुधार हो रहा है।
➢ वैश्वीकरण के कारण बिहार में आधारभूत संरचना (जैसे सड़कें, पुल आदि) तेजी से बन रही हैं। वैश्वीकरण ने दुनिया को एक बाजार बना दिया है – बिहार भी इसका हिस्सा बन रहा है।
☛ डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम का कथन “देश की प्रगति के लिए बिहार की प्रगति जरूरी है।”
बिहार पर वैश्वीकरण के सकारात्मक प्रभाव
(i) कृषि उत्पादन में वृद्धि :- वैश्वीकरण से बिहार में कृषि का उत्पादन बढ़ा है।
(ii) निर्यातों में वृद्धि :- बिहार से वस्तुओं का निर्यात बढ़ा है।
(iii) विदेशी पूँजी निवेश :- बिहार में विदेशी कंपनियों ने पूँजी लगाने में दिलचस्पी दिखाई है। लेकिन अभी बिजली की कमी के कारण निवेश थोड़ा कम है, पर भविष्य में बढ़ने की संभावना है।
(iv) राज्य की आय में वृद्धि :- शुद्ध राज्य घरेलू उत्पाद (NSDP) और प्रति व्यक्ति आय में बढ़ोतरी हुई है। यानी राज्य और जनता की कमाई बढ़ी है।
(v) विश्वस्तरीय वस्तुओं की उपलब्धता :- मोबाइल, जूते, रेडीमेड कपड़े, कारें, इलेक्ट्रॉनिक सामान जैसे विदेशी प्रोडक्ट अब बिहार में आसानी से मिलते हैं।
(vi) रोजगार के अवसर बढ़े :- उच्च शिक्षा और प्रशिक्षण प्राप्त युवाओं को भारत और विदेशों में नौकरी मिल रही है। बिहार के कई सॉफ्टवेयर इंजीनियर अमेरिका और इंग्लैंड में काम कर रहे हैं।
बिहार पर वैश्वीकरण के नकारात्मक प्रभाव
(i) कृषि और कृषि आधारित उद्योगों की उपेक्षा :- बिहार एक कृषि प्रधान राज्य है। और यहाँ उद्योग-धंधे कम हैं, इसलिए कृषि में निवेश बहुत ज़रूरी है। लेकिन वैश्वीकरण के बाद भी कृषि और इससे जुड़े उद्योगों में पर्याप्त निवेश नहीं हुआ।
(ii) कुटीर और लघु उद्योगों पर बुरा असर :- बिहार में छोटे उद्योग जैसे कुटीर और हस्तशिल्प उद्योग अधिक हैं। बहुराष्ट्रीय कंपनियों की चीजें (जैसे चीनी खिलौने) सस्ती और अच्छी होती हैं। इससे हमारे छोटे उद्योगों को नुकसान हुआ और उनके उत्पाद बाजार में कम बिकने लगे।
(iii) रोज़गार पर बुरा असर :- छोटे उद्योग बंद होने से कई मज़दूर बेरोज़गार हो गए। और कंपनियाँ लागत कम करने के लिए स्थायी नौकरी की जगह अस्थायी काम देने लगी हैं। इससे मजदूरों की नौकरी अब सुरक्षित नहीं रही।
(iv) कमज़ोर आधारभूत संरचना के कारण निवेश कम :- बिहार में बिजली, सड़क, एयरपोर्ट, होटल जैसी सुविधाओं की कमी है। इसी वजह से विदेशी निवेशक बिहार में पूँजी नहीं लगाना चाहते है। सरकार ने कुछ सुधार किए हैं, पर अभी और काम बाकी है।
1991 के आर्थिक सुधार
☞ 1991 में सरकार की आमदनी कम और खर्च ज़्यादा हो गया था। जिससे महँगाई तेजी से बढ़ रही थी। आयात बहुत ज़्यादा होता था, लेकिन निर्यात कम होता था। विदेशी मुद्रा (डॉलर आदि) का भंडार लगभग खत्म हो गया था – सिर्फ 15 दिन का भुगतान बचा था। तब भारत को 49 टन सोना इंग्लैंड के बैंक में गिरवी रखना पड़ा। 1990-91 के खाड़ी युद्ध से हालत और खराब हो गई। इस संकट से निकलने के लिए सरकार ने एक नीति अपनाई, जिसे नई आर्थिक नीति कहते है।
आर्थिक सुधारों का अर्थ
☛ आर्थिक सुधार :- ऐसी नीतियाँ जो 1991 से शुरू की गईं ताकि उत्पादन बढ़े, काम में कुशलता आए, लाभ और प्रतिस्पर्धा बढ़े।
☞ इन सुधारों के तीन मुख्य आधार उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण था, इसे ही LPG (Liberalisation Privatisation Globalisation) नीति कहते हैं।
आर्थिक सुधारों / नई आर्थिक नीति के उद्देश्य
(i) उत्पादन की कुशलता और गुणवत्ता बढ़ाना।
(ii) प्रतियोगिता की क्षमता को मजबूत करना।
(iii) विदेशी निवेश और नई तकनीक का ज़्यादा से ज़्यादा उपयोग करना।
(iv) अर्थव्यवस्था की विकास दर को तेज़ करना।
(v) दुनिया के संसाधनों का उपयोग भारत के विकास के लिए करना।
(vi) आर्थिक सुधारों या नई आर्थिक नीति की मुख्य विशेषताएँ अर्थव्यवस्था का उदारीकरण, निजीकरण तथा वैश्वीकरण करना है।
☛ आम आदमी :- आम आदमी का मतलब ऐसे लोग जो मध्यम वर्ग या निम्न वर्ग से होते हैं। और ये लोग सामान्य जीवन की बुनियादी सुविधाओं से वंचित रहते हैं या उन्हें मुश्किल से प्राप्त करते हैं। भारत में करीब 85% लोग ऐसे हैं, जिनकी आय कम है और जो साधारण जीवन जीते हैं।
वैश्वीकरण का आम आदमी पर अच्छा प्रभाव
(i) आधुनिक चीज़ों की उपलब्धता :- अब आम आदमी के लिए भी रेडियो की जगह कलर टीवी, मोबाइल, कूलर जैसे आधुनिक साधन उपलब्ध हैं।
(ii) रोज़गार के अवसर बढ़े :- बड़ी-बड़ी कंपनियाँ भारत आईं जिससे नई फैक्ट्रियाँ और नौकरी के मौके बढ़े। खासकर कुशल लोगों के लिए ज़्यादा नौकरियाँ बनीं।
(iii) नई तकनीक का फायदा :- विदेशी तकनीक भारत में आई, जिससे सस्ती और बेहतर सेवा आम लोगों तक पहुँची।
वैश्वीकरण का आम आदमी पर बुरा प्रभाव
(i) कम कुशल लोगों की बेरोजगारी :- नई फैक्ट्रियों में मशीनों से काम होने लगा, जिससे अकुशल और अर्धकुशल लोगों को काम मिलना मुश्किल हो गया।
(ii) बढ़ती प्रतियोगिता :- विदेशी कंपनियाँ सस्ती और बढ़िया चीज़ें बनाकर भारत में बेच रही हैं। इससे छोटे दुकानदार, स्थानीय व्यवसायी और घरेलू उद्योग कमजोर हो गए हैं।
(iii) श्रमिक संगठनों की कमजोरी :- पहले मजदूरों की मांगों के लिए श्रम संगठन मज़बूती से आवाज उठाते थे। वैश्वीकरण के बाद श्रम कानूनों में ढील आई, जिससे ये संगठन कमजोर हो गए। अब आम मजदूरों को सही वेतन और सुविधाएँ पाना मुश्किल हो गया है।
(iv) मध्यम और छोटे उत्पादकों की परेशानी :- बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ भारत में आ गईं, जिनके पास ज्यादा पूँजी और तकनीक है। इससे मध्यम और छोटे उद्योगों को अपने व्यापार को बनाए रखना मुश्किल हो गया।
जैसे बड़ी मछली छोटी मछली को खा जाती है, वैसे ही बड़ी कंपनियाँ छोटे कारोबारों को पीछे कर रही हैं।
(v) कृषि और ग्रामीण क्षेत्र का संकट :- विदेशी और देशी पूँजीपति अब फार्म हाउस बनाकर कम मज़दूरों से ज़्यादा उत्पादन कर रहे हैं। इससे गाँव के छोटे और मध्यम किसान संकट में हैं, क्योंकि वे कम पूँजी में टिक नहीं पा रहे है।
Bharati Bhawan Point
☞ एड्म स्मिथ के अनुसार, मुक्त व्यापार एक ऐसी नीति है, जो देशी तथा विदेशी वस्तुओं में किसी प्रकार का अंतर नहीं करती है और आयातों पर कोई अतिरिक्त भार भी नहीं डालती है।
☛ 1769 में जेम्स वाट ने भाप (वाष्प) इंजन बनाया। इससे कारखाना प्रणाली की शुरुआत हुई।
⪼ 1914 से 1945 के बीच दो बड़े युद्ध हुए। इससे देशों की उत्पादन व अर्थव्यवस्था बर्बाद हो गई। और अंतरराष्ट्रीय व्यापार भी बहुत घट गया। युद्ध के बाद संयुक्त राष्ट्र संघ (UNO) बना गया।
☞ UNO ने कई संस्थाएँ बनाईं :- IMF (International Monetary Fund), World Bank, WTO (World Trade Organisation)। इन संस्थाओं ने दुनिया के व्यापार व वैश्वीकरण को बढ़ाने में मदद की।
प्रश्न 10. प्रत्यक्ष विदेशी निवेश किसे कहते है?
उत्तर– जब बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ, दूसरे देशों की कंपनियों को खरीदकर वहाँ फैक्ट्री लगाती हैं, तो इसे प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) कहते हैं।
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दोस्तों उम्मीद करता हूं कि ऊपर दिए गए कक्षा 10वीं के अर्थशास्त्र के पाठ 06 वैश्वीकरण (vaishvikaran) का नोट्स और उसका प्रश्न को पढ़कर आपको कैसा लगा, कॉमेंट करके जरूर बताएं। धन्यवाद !