आज के इस पोस्ट में हमलोग कक्षा 10वीं अर्थशास्त्र का पाठ ‘उपभोक्ता जागरण एवं संरक्षण’ का नोट्स को देखने वाले है। upbhokta jagran evam sanrakshan
| उपभोक्ता जागरण एवं संरक्षण |
प्रश्न 1. उपभोक्ता किसे कहते है?
उत्तर– जब कोई व्यक्ति अपनी जरूरतों के लिए वस्तुओं एवं सेवाओं को खरीदता और इस्तमाल करता है, तो उसे उपभोक्ता कहते हैं।
उपभोक्ता का महत्त्व
(i) बाजार में उपभोक्ता सबसे महत्वपूर्ण होता है।
(ii) महात्मा गांधी ने कहा था “ग्राहक हमारी दुकान में आने वाला सबसे महत्त्वपूर्ण व्यक्ति है। वह हम पर निर्भर नहीं, हम उस पर निर्भर हैं।”
(iii) अगर ग्राहक (उपभोक्ता) नहीं होंगे तो कोई सामान खरीदेगा ही नहीं। तो सारा उत्पादन बेकार हो जाएगा।
☛ उत्पादक (Producer) – जो वस्तु बनाता है।
☞ उपभोक्ता (Consumer) – जो वस्तु खरीदता और इस्तेमाल करता है। उत्पादन की पूरी प्रक्रिया उपभोक्ता पर निर्भर करती है। क्योंकि उपभोक्ता माँग करेगा तभी उत्पादन होगा।
प्रश्न 2. उपभोक्ता जागरण किसे कहते है?
उत्तर– उपभोक्ताओं को वस्तु के मूल्य निर्माण एवं गुणवत्ता के प्रति जागरूक बनाने को उपभोक्ता जागरण कहते है।
⪼ उपभोक्ता जागरूकता आंदोलन सर्वप्रथम इंगलैंड में प्रारंभ हुआ। उपभोक्ता अधिकारों की घोषणा सर्वप्रथम 1962 में अमेरिका में हुई। राल्फ नादर उपभोक्ता आंदोलन के प्रवर्तक माने जाते हैं।
सामान खरीदते वक्त रखे जाने वाले सावधानी
(i) सामान खरीदते समय वस्तु का गुण, मात्रा, वस्तु बनाने में उपयुक्त तत्व आदि का जांच करना चाहिए।
(ii) सामान को खरीदते समय है उसका गारंटी कार्ड और रसीद अवश्य प्राप्त करें।
(iii) सामान को खरीदते समय मूल्य और सही वजन जांच करें।
उपभोक्ता राहत के विभिन्न तरीके
(i) सामान की खराबी ठीक कराना :- अगर खरीदा हुआ सामान खराब निकला, तो दुकानदार उसे ठीक कर देगा।
(ii) सामान बदलवाना :- अगर सामान ज्यादा खराब है, तो उपभोक्ता उसी तरह का नया सामान ले सकता है।
(iii) पैसे वापस लेना :- उपभोक्ता चाहे तो दुकानदार से अपने दिए हुए पैसे वापस भी ले सकता है।
(iv) सेवा में गलती ठीक कराना :- अगर कोई सेवा (जैसे- मरम्मत, पेंटिंग आदि) ठीक से नहीं हुई है, तो उसे सही कराना।
उपभोक्ता जागरूकता हेतु आकर्षक नारे
(i) सतर्क उपभोक्ता ही सुरक्षित उपभोक्ता है।
(ii) ग्राहक, सावधान।
(iii) अपने अधिकारों को पहचानों।
(iv) जागो ग्राहक जागो।
(v) उपभोक्ता के रूप में अपने अधिकारों की रक्षा करों
उपभोक्ता शोषण के मुख्य कारण
(i) मिलावट :- महंगी चीजों में सस्ती या खराब चीजें मिलाकर बेचना। जैसे – दूध में पानी मिलाना।
(ii) कम तौलना :- दुकानदार मापतौल में चोरी करता है, कम वजन देता है।
(iii) घटिया सामान देना :- अच्छी क्वालिटी बताकर खराब या घटिया माल बेच देना।
(iv) ज्यादा कीमत लेना :- असली दाम से कहीं ज्यादा पैसे वसूल करना।
(v) डुप्लीकेट माल देना :- असली ब्रांड की जगह नकली या कॉपी सामान दे देना।
जागरूक उपभोक्ता के लक्षण
(i) कॉलेज/स्कूल की जाँच करें :- छात्र जहाँ दाखिला लेना है, वो राज्य सरकार या U.G.C. से मान्यता प्राप्त है या नहीं, पहले देख लें।
(ii) क्रेडिट कार्ड पर तुरंत साइन करें
(iii) दवा सही दुकान से लें
(iv) पेट्रोल की मात्रा देख लें
(v) गैस सिलिंडर का एक्सपायरी डेट देखें
(vi) वस्तु पर ISI, AGMARK, HALLMARK देखें।
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986
➢ भारत सरकार ने उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा करने के लिए 1986 ईस्वी में एक कानून बनाया, जिसे उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम कहते है। और विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस 15 मार्च को मनाया जाता है। भारत में 24 दिसंबर को ‘राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।
☞ इस कानून को बनाने से पहले भारत सरकार ने अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड आदि देशों के उपभोक्ता कानूनों का अध्ययन किया।
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम का उद्देश्य
(i) उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा करना।
(ii) उपभोक्ताओं को ठगने या धोखा देने से बचाना।
(iii) उपभोक्ता को यह हक देना कि वह बाजार में
बेची जाने वाली वस्तुओं के बारे में सवाल कर सके और शिकायत दर्ज करा सके।
☛ राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन ⇒ 1800 11 4000
☞ उपभोक्ता संगठन की वेबसाइट ⇒ www. cuts.international.org
⪼ उपभोक्ता फोरम की जानकारी ⇒ ncdrc.nic.in
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 6 के तहत उपभोक्ता के अधिकार
(i) सुरक्षा का अधिकार :- उपभोक्ता को ऐसी वस्तुओं से सुरक्षित रहने का अधिकार है, जो उसके शरीर या संपत्ति को नुकसान पहुँचा सकती हैं। जैसे– बिजली का आयरन करंट मार दे, डॉक्टर की लापरवाही से मरीज को नुकसान हो
(ii) सूचना पाने का अधिकार :- उपभोक्ता को हक है कि वह वस्तुओं या सेवाओं के बारे में पूरी जानकारी ले सके। जैसे– पैकेट पर कीमत, इस्तेमाल की तारीख, गुणवत्ता आदि देख सके।
(iii) पसंद या चुनाव का अधिकार :- उपभोक्ता को कोई भी ब्रांड, किस्म, रंग, आकार या दाम वाली वस्तु चुनने की आज़ादी है।
(iv) सुनवाई का अधिकार :- उपभोक्ता को हक है कि वह अपने हित की बात किसी उपयुक्त मंच (जैसे उपभोक्ता फोरम) में कह सके। अपनी समस्या वहाँ रख सके और उसका समाधान पा सके।
(v) शिकायत करने व मुआवजा पाने का अधिकार :- अगर खरीदी गई चीज़ या सेवा खराब निकली, तो उपभोक्ता को मुआवजा या क्षतिपूर्ति लेने का अधिकार है।
(vi) उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार :- उपभोक्ता को यह अधिकार है कि वह कीमत, उपयोगिता, गुणवत्ता और अपने अधिकारों की पूरी जानकारी हासिल कर सके। ताकि कोई उसे धोखा न दे सके।
☛ उपभोक्ताओं के अधिकार की रक्षा के लिए केंद्र सरकार ने “केन्द्रीय उपभोक्ता संरक्षण परिषद्” तथा राज्य सरकार ने “राज्य उपभोक्ता संरक्षण परिषद्” बनाई है।
उपभोक्ता के कर्तव्य
☞ उपभोक्ता का कर्तव्य है, कि खरीदारी करते समय सावधान रहे। जैसे– हमेशा रसीद (बिल) लें, सामान की गुणवत्ता देख लें तथा उत्पादन व खत्म होने की तारीख (expiry) जरूर देखें।
⪼ उपभोक्ता की शिकायतों को सुलझाने के लिए तीन स्तर की व्यवस्था बनाई गई है। इसे त्रिस्तरीय अर्द्ध-न्यायिक व्यवस्था कहते हैं।
(i) जिला स्तर पर – ‘जिला मंच’ (District Forum)
(ii) राज्य स्तर पर – ‘राज्य आयोग’
(iii) राष्ट्रीय स्तर पर – ‘राष्ट्रीय आयोग’
➢ अगर राष्ट्रीय आयोग के फैसले से भी उपभोक्ता संतुष्ट नहीं है, तो वह आदेश के 30 दिनों के अंदर ‘उच्चतम न्यायालय’ (Supreme Court) में अपील कर सकता है।
☞ भारत में 582 जिला फोरम, 35 राज्य आयोग और एक राष्ट्रीय आयोग काम कर रहे हैं, इनके पास अब तक करीब 24 लाख शिकायतें दर्ज हुई हैं। इनमें से करीब 84% मामलों को सुलझा भी दिया गया है।
शिकायत कहां की जाए
(i) अगर मामला 20 लाख रुपये से कम का है, तो शिकायत जिला फोरम (District Forum) में करनी चाहिए।
(ii) अगर मामला 20 लाख रुपये से ज्यादा लेकिन 1 करोड़ रुपये से कम का है, तो शिकायत राज्य आयोग (State Commission) में होगी।
(iii) अगर मामला 1 करोड़ रुपये से भी ज्यादा का है, तो शिकायत राष्ट्रीय आयोग (National Commission) में करनी चाहिए।
शिकायत कैसे करें?
(i) सादा कागज पर शिकायत लिख सकते हैं। और उपभोक्ता द्वारा शिकायत करने के लिए आवेदन शुल्क नहीं लगता है।
(ii) शिकायतकर्ता (आप) और जिससे शिकायत है (दूसरी पार्टी) — दोनों के नाम और पते।
(iii) शिकायत से जुड़े सभी तथ्य, कब और कहाँ घटना हुई।
(iv) आरोपों को साबित करने के लिए सभी दस्तावेज़ (बिल, रसीद आदि)।
(v) शिकायत पर आपके या आपके अधिकृत एजेंट के हस्ताक्षर हों। फिर इसे भेजें ताकि आपका मामला सुलझाया जा सके।
मानवाधिकार आयोग
☞ मानवाधिकार आयोग एक राष्ट्रीय संस्था है, जो लोगों के मानव अधिकारों की रक्षा करती है। इसे “राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग” भी कहते हैं। इसकी स्थापना 1993 ईस्वी में हुई थी। इसके अध्यक्ष भारत के सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड चीफ जस्टिस होते हैं। हर राज्य में भी “राज्य मानवाधिकार आयोग” होते हैं, जो राज्यों के मामलों को देखते हैं।
☛ महिलाओं के अत्याचार या शोषण की शिकायतों के लिए “राष्ट्रीय महिला आयोग” (देश में) और “राज्य महिला आयोग” (राज्य में) बनाए गए हैं।
सूचना आयोग
➢ उपभोक्ता को अपने अधिकार तभी मिल सकते हैं जब उसे पूरी सही जानकारी मिले। इसके लिए सरकार ने “राष्ट्रीय सूचना आयोग” और “राज्य सूचना आयोग” बनाया है। भारत सरकार ने ‘सूचना का अधिकार’ अधिनियम 2005 में पारित किया।
⪼ खाद्य पदार्थों की शुद्धता की जाँच के लिए एगमार्क चिह्न का प्रयोग होता है, जबकि स्वर्णाभूषणों की परिशुद्धता को सुनिश्चित करने के लिए हॉल मार्क का प्रयोग होता है।
अन्य जानकारी
☞ भारत सरकार द्वारा 1986 ईस्वी में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम (Consumer Protection Act) पारित हुआ, जिसे संक्षेप में कोपरा (COPRA) भी कहते हैं।
➢ 1986 ईस्वी के बाल-श्रम उन्मूलन अधिनियम द्वारा सरकार ने 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों के घरेलू नौकर, चाय की दुकानों और ढाबों आदि में काम करने पर रोक लगा दी।
☛ उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए सरकार ने उत्पादों का मानक तय करने के लिए और उत्पादों की गुणवत्ता जाँच करने के लिए भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) बनाया। इसे पहले भारतीय मानक संस्थान (ISI) कहा जाता था।
☞ भारतीय मानक ब्यूरो अलग-अलग वस्तुओं व सेवाओं का मानक (standard) तय करता है और प्रमाणन (certification) देता है।
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दोस्तों उम्मीद करता हूं कि ऊपर दिए गए कक्षा 10वीं अर्थशास्त्र के पाठ 07 उपभोक्ता जागरण एवं संरक्षण (upbhokta jagran evam sanrakshan) का नोट्स और उसका प्रश्न को पढ़कर आपको कैसा लगा, कॉमेंट करके जरूर बताएं। धन्यवाद !









