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Bihar Board Class 7th Geography Chapter 9 Notes मानव पर्यावरण अन्तःक्रिया थार प्रदेश में जन जीवन | Thar pradesh me janjivan

आज के इस पोस्ट में हमलोग कक्षा 7वीं हमारी दुनिया का पाठ ‘मानव पर्यावरण अन्तःक्रिया थार प्रदेश में जन जीवन’ का नोट्स को देखने वाले है। Thar pradesh me janjivan 

Bihar Board Class 7th Geography मानव पर्यावरण अन्तःक्रिया थार प्रदेश में जन जीवन | Thar pradesh me janjivan

मानव पर्यावरण अन्तःक्रिया थार प्रदेश में जन जीवन

दुनिया में कुछ जगहें बहुत गर्म (आग की तरह) या बहुत ठंडी (बर्फ की तरह) हैं। ये इलाके रेगिस्तान कहलाते हैं।

रेगिस्तान = रेगिस्तान एक शुष्क प्रदेश है, जिस की विशेषताएँ अत्यधिक उच्च तथा निम्न तापमान एवं विरल वनस्पति हैं।

रेगिस्तान की विशेषता

(i) बहुत कम बारिश होती है।
(ii) बहुत कम पेड़-पौधे होते हैं।
(iii) तापमान या तो बहुत ज़्यादा या बहुत कम होता है।
(iv) यहां थोड़ा-बहुत पानी मिलता है।

सहारा रेगिस्तान (गर्म रेगिस्तान)

सहारा दुनिया का सबसे बड़ा रेगिस्तान है। यह उत्तरी अफ्रीका में फैला है। इसका क्षेत्रफल लगभग 8.54 लाख वर्ग किमी है। सहारा रेगिस्तान 11 देशों में फैला हुआ है:- 

अल्जीरिया, चाड, मिस्र, लीबिया, माली, मौरितानिया, मोरक्को, नाइजर, सूडान, ट्यूनिशिया और पश्चिमी सहारा।

लोग सोचते हैं कि रेगिस्तान सिर्फ रेत से ढँके होते हैं। परंतु सहारा में रेत के बड़े-बड़े टीले (बालू के टीले), बजरी के मैदान और चट्टानों के पठार भी हैं, जो 2500 मीटर तक ऊँचे हैं।

सहारा का अतीत

आश्चर्य की बात है कि बहुत पहले सहारा हरा-भरा इलाका था। गुफ़ाओं की चित्रकारी से पता चलता है कि वहाँ नदियाँ और मगरमच्छ तथा विभिन्न प्रकार के जानवर थे। लेकिन जलवायु बदलने से यह इलाका गर्म और सूखा रेगिस्तान बन गया।

सहारा के अल अजीजिया (लीबिया) का सबसे अधिकतम तापमान 1922 में 57.7°C दर्ज किया गया था।

सहारा की जलवायु

सहारा की जलवायु बहुत गर्म और सूखी (शुष्क) है। यहाँ बारिश बहुत कम समय के लिए होती है।आसमान ज़्यादातर साफ़ और बिना बादलों का रहता है। दिन के समय तापमान 50°C से भी ऊपर पहुँच जाता है। और रात में तापमान गिरकर 0°C तक पहुँच जाता है।

वनस्पतिजात एवं प्राणिजात

सहारा में कैक्टस, खजूर, ऐकेशिया आदि पेड़ मिलते है। और यहाँ पर ऊँट, लकड़बग्घा, सियार, लोमड़ी, बिच्छू, साँप और छिपकली आदि जानवर पाए जाते है।

सहारा के लोग

इतनी कठिन जलवायु में भी बेदुईन और तुआरेग जैसे समुदाय के लोग रहते हैं। ये लोग चलवासी (घूमकर रहने वाले) होते हैं। यह ऊँट, बकरी, भेड़ और घोड़े पालते हैं। और इनसे विभिन्न वस्तु प्राप्त करते है। यह लोग गर्मी और धूल-भरी आँधियों से बचने के लिए भारी कपड़े पहनते हैं।

सहारा में मरूद्यान और मिस्त्र की नील घाटी में लोग बसते हैं क्योंकि वहाँ पानी मिलता है। वहाँ लोग खजूर के पेड़, चावल, गेहूँ, जौ और सेम जैसी फसलें उगाते हैं। मिस्त्र की कपास दुनिया भर में प्रसिद्ध है।

अल्जीरिया, लीबिया और मिस्त्र में तेल मिलने से यहाँ तेजी से विकास हो रहा है। यहाँ लोहा, फॉस्फोरस, मैंगनीज और यूरेनियम जैसे खनिज पाए जाते है।

आज सहारा में मस्जिदों के साथ-साथ ऊँची इमारतें और काँच की खिड़कियों वाले भवन बन गई हैं।ऊँटों के रास्तों की जगह सुपर हाइवे (सड़कें) बन गई हैं। नमक का व्यापार ऊँटों की जगह ट्रक से होने लगा है। तुआरेग लोग अब पर्यटकों के गाइड (मार्गदर्शक) बनते हैं। कई लोग अब शहरों में जाकर तेल और गैस के कामों में नौकरी कर रहे हैं।

लद्दाख : ठंडा रेगिस्तान

(i) लद्दाख शब्द दो शब्दों से बना है:- “ला” = पहाड़ी दर्रा + “दाख” = देश। मतलब हुआ “पहाड़ों के दर्रों का देश”।

(ii) लद्दाख को “खा-पा-चान” भी कहते हैं, जिसका मतलब है हिमभूमि (बर्फ की धरती)।

(iii) लद्दाख जम्मू और कश्मीर के पूर्व में है। यह बृहत् हिमालय (Greater Himalayas) में स्थित है। इसे ठंडा रेगिस्तान भी कहा जाता है।

(iv) लद्दाख की राजधानी लेह है। इसके उत्तर में काराकोरम पर्वत और दक्षिण में जास्कर पर्वत है। लद्दाख की प्रमुख नदी सिंधु है। ये नदियाँ गहरी घाटियाँ और गॉर्ज (महाखड्ड) बनाती हैं। यहाँ कई हिमानियाँ (Glaciers) हैं, जैसे- गैग्री हिमानी।

(v) ‘द्रास’, जो पृथ्वी के सबसे ठंडे स्थानों में से एक, लद्दाख में ही स्थित है। राष्ट्रीय राजमार्ग-1, लेह को जोजीला दर्रे के रास्ते कश्मीर घाटी से जोड़ता है।

(vi) लद्दाख की ऊँचाई कारगिल में 3000 मीटर और काराकोरम में 8000 मीटर से भी ज़्यादा है। ज्यादा ऊँचाई के कारण यहाँ की हवा पतली और सूरज की गर्मी तेज महसूस होती है।

(vii) ग्रीष्म ऋतु (गर्मियों) में दिन में तापमान 0°C से थोड़ा ऊपर और रात में -30°C तक गिर जाता है।शीत ऋतु (सर्दियों) में तापमान -40°C से भी कम हो जाता है। लद्दाख हिमालय के वृष्टि-छाया क्षेत्र में है, इसलिए यहाँ बहुत कम बारिश होती है।

वनस्पतिजात एवं प्राणिजात

यहाँ बहुत सूखापन (शुष्कता) होने की वजह से पेड़-पौधे कम हैं। कहीं-कहीं घास और छोटी झाड़ियाँ मिलती हैं, जो जानवर चरते हैं। घाटियों में शरपत (विलो) और पॉप्लर के पेड़ पाए जाते हैं। गर्मियों में सेब, खुबानी और अखरोट के पेड़ भी उगते हैं।

यहां रॉबिन, रेडस्टार्ट, तिब्बती स्नोकॉक, रैवेन और हृप जैसे पक्षी पाए जाते है। इनमें कुछ प्रवासी पक्षी भी होते हैं।

लद्दाख में जंगली बकरी, जंगली भेड़, याक और खास तरह के कुत्ते को पाला जाता है। इनसे लोग दूध, मांस और खाल प्राप्त करते हैं। याक के दूध से पनीर और मक्खन बनता हैं। जबकि भेड़ और बकरी के बालों से ऊनी कपड़े बनते हैं।

यहाँ के अधिकतर लोग मुसलमान या बौद्ध होते हैं।और लद्दाख में कई बौद्ध मठ (गोंपा) हैं, जैसे:- हेमिस, थिकसे, शे और लामायुरू।

गर्मियों में यहां के लोग जौ, आलू, मटर, सेम और शलजम उगाते हैं। और सर्दियों में बहुत ठंड पड़ने पर लोग धार्मिक कामों और त्योहारों में व्यस्त रहते हैं।

क्या आप जानते है?

चीरू (तिब्बती एंटीलोप) नाम का जानवर लगभग खत्म होने की कगार पर है। इसका शिकार ‘शाहतूश’ ऊन के लिए होता है, जो बहुत हल्का और बहुत गर्म होता है।

क्रिकेट का सबसे अच्छा बल्ला शरपत (विलो) की लकड़ी से बनता है, जो लद्दाख में भी पाई जाती है।

मनाली-लेह राजमार्ग चार दर्रों से गुजरता है – रोहतांग ला, बारालाचा ला, लुनगालाचा ला एवं टंगलंग ला। यह राजमार्ग केवल जुलाई से सितंबर के बीच खुलता है।

अपने देश के पश्चिमी भाग में थार का रेगिस्तान है। थार राजस्थान और गुजरात में पड़ता है। यह पूरा क्षेत्र रेतीला है। बीच में अरावली की पहाडियाँ और जगह-जगह बालू के टीले मिलते हैं। पूरा क्षेत्र शुष्क और अत्यधिक गर्म होता है। दिन के समय आँधियाँ चलती रहती हैं और बालू के कण उडते रहते हैं लेकिन रात होते ही तापमान में कमी आ जाती है और पूरा इलाका ठंडा हो जाता है। इस इलाके में औसत वर्षा सालभर में मात्र 25 से.मी. ही होती है।

कम वर्षा और बालू के कारण यहाँ कंटीली झाड़ियाँ, कीकर, बबूल, खजूर, खेजड़ी, ज्वार पाठा, नागफनी जैसी वनस्पतियाँ ही होती हैं क्योंकि ये कम जल में ही उग सकती हैं। इन वनस्पतियों की पत्तियाँ चिकनी छोटी और मोटी होती हैं और तने कांटेदार होते हैं।

लोग बालू की आँधियों और तेज धूप की गर्मी से बचने के लिए सिर पर पगड़ी बांधते है, जिसे ये लोग साफा कहते हैं।

इन इलाकों में पीने का पानी बहुत मुश्किल से मिलता है। रेतीले मैदानों में दूर-दूर पर कहीं-कहीं पानी के बाबड़ी या कुएँ मिलते हैं जो बहुत गहरे होते हैं यहाँ पर कुछ हरियाली भी मिलती है। ऐसी जगह को ‘नखलिस्तान‘ या ‘मरूद्यान‘ कहते हैं।

Read Also:- कक्षा 7वीं हमारी दुनिया 

यहाँ के लोग पशुपालन करते हैं जिनसे इन्हें दूध, माँस, चमड़ा मिलता है। ऊँट का रेगिस्तान में बहुत महत्व है। यातायात में ऊँट काम आते हैं। इसे रेगिस्तान का जहाज भी कहते हैं। इनके बालो से कम्बल, रजाई कालीन भी बनते हैं।थार प्रदेश में जिप्सम, संगमरमर, छींटदार इमारती पत्थर, लिग्नाइट (कोयला), तांबा, अभ्रक, नमक इत्यादि मिलता है। संगमरमर एवं लाख की मूर्त्तियाँ, चूडियों, हाथी दाँत की वस्तुओं की नक्काशी, कपड़ों की रंगाई और छपाई इनका मुख्य व्यवसाय है।

थार रेगिस्तान के क्षेत्र में बसे मुख्य नगर बीकानेर, जैसलमेर, बाड़मेर, जोधपुर हैं। पानी की कमी को दूर करने के लिए सतलज नदी पर बाँध बनाकर इन्दिरा गाँधी नहर जिसे राजस्थान नहर भी कहा जाता है, बनाई गई है। इस नहर से बीकानेर, गंगानगर, जैसलमेर जैसे जिलों में सिंचाई की सुविधा बढ़ी है।

सही विकल्प को चुनें।

(1) थार का रेगिस्तान फैला है-
(क) गुजरात-महाराष्ट्र
(ख) गुजरात-राजस्थान
(ग) पंजाब-राजस्थान
(घ) राजस्थान-मध्यप्रदेश

(2) साफा कहते हैं-
(क) सफाई वाले कपडे को
(ख) पूरी आस्तीन वाली कमीज को
(ग) सिर पर बाँधने वाली पगड़ी को
(घ) कमर में बाधने वाला कपड़ा

(3) थार प्रदेश में पाये जाने वाले खनिज हैं-
(क) संगमरमर-अभ्रक
(ख) बॉक्साइट-संगमरमर
(ग) संगमरमर-जिप्सम
(घ) सगमरमर-कोयला

(4) नखलिस्तान का अर्थ है-
(क) एक बहुत छोटा प्रदेश
(ख) ठडी जलवायु का क्षेत्र
(ग) रेगिस्तान में हरियाली व जल वाला क्षेत्र।
(घ) राजस्थान-मध्यप्रदेश

ii. खाली जगहों को भरिए-

(1) भारत के पश्चिमी भाग में….थार….का रेगिस्तान है।
(2) रेगिस्तान का जहाज….ऊँट….कहलाता है।
(3) राजस्थान नहर….सतलज….नदी पर बनाया गया बांध है।
(4) थार रेगिस्तान का मुख्य शहर….बीकानेर, जैसलमेर, बाड़मेर, जोधपुर….है।

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-

(1) थार प्रदेश में जनसंख्या कम क्यों है?
उत्तर— थार प्रदेश में जनसंख्या इसलिए कम है क्योंकि वहाँ का जीवन बहुत ही संघर्षपूर्ण है। जीवन यापन के साधनों का अभाव है। सड़कों की कमी से यात्रा करना कठिन है। दिन में काफी गर्म तथा रात में भारी ठंड झेलना पड़ता है।

(2) आपके प्रदेश के जनजीवन और थार प्रदेश के जनजीवन में अंतरों की सूची बनाइए।
उत्तर – हमारे प्रदेश के जनजीवन और थार प्रदेश के जनजीवन में अंतरों की सूची निम्नलिखित है :

हमारे प्रदेश का जन-जीवन
(i) केवल गर्मी के मौसम में ही गर्मी पड़ती है केवल जाड़े में रात में जाड़ा पड़ा पड़ता है
(ii) वर्षा चालू में सामान्य वर्षा होती है हर प्रकार का वाहन मिलता है पानी भी कोई किस्मत नहीं है हर तरह के जन्न की प्रमुखता है

थार प्रदेश का जन-जीवन

(i) सालों भर गर्मी पड़ती है। बालों पर रात में वाड़ा पड़ता वर्षा नाहीं के बराबर होती है केवल ऊँट ही वाहन है पानी की भारी किल्लत है केवल बजारे की प्रमुखता है

(3) थार प्रदेश में जल की उपलब्धता कैसे बढ़ाई जा सकती है?
उत्तर— वर्षा के जल को एकत्र कर थार प्रदेश में जल की उपलब्धता को बढ़ाई जा सकती है। यह जल पीने से लेकर सिंचाई के काम में भी आ सकता है।

(4) ऊँट थार क्षेत्र की जीवन रेखा है। कैसे?
उत्तर— थार क्षेत्र में ऊंट एक मुख्य सवारी है। ऊंट को रेगिस्तान का जहाज कहा जाता है। थार क्षेत्र में ऊंट एक मात्र यातायात का साधन है। ऊँटनी के दूध का उपयोग खोवा, पनीर, चाय बनाने में किया जाता है।

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दोस्तों उम्मीद करता हूं कि ऊपर दिए गए कक्षा 7वीं के हमारी दुनिया के पाठ 09 मानव पर्यावरण अन्तःक्रिया थार प्रदेश में जन जीवन (Thar pradesh me janjivan) का नोट्स और उसका प्रश्न को पढ़कर आपको कैसा लगा, कॉमेंट करके जरूर बताएं। धन्यवाद !

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