आज के इस पोस्ट में हमलोग कक्षा 10वीं इतिहास का पाठ ‘शहरीकरण एवं शहरी जीवन’ का नोट्स को देखने वाले है। shaharikaran evam shahri jivan
| शहरीकरण एवं शहरी जीवन |
गाँव – गाँव की जनसंख्या का एक बड़ा भाग कृषि व्यवसाय से जुड़ा होता है। इनकी आय का प्रमुख स्रोत कृषि संबंधी उत्पाद होते हैं। अतः गाँव की मुख्य विशेषता एक कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था है, जो मूलतः जीवन निर्वाह अर्थ व्यवस्था पर आधारित है।
प्रश्न 1. गंज (हाट) किसे कहते है?
उत्तर– ऐसा छोटा बाज़ार जहाँ कपड़ा, फल, सब्ज़ी, दूध जैसी रोज़मर्रा की चीज़ें बिकती हैं, उसे गंज या हाट या चौक कहते हैं।
प्रश्न 2. कस्बा किसे कहते है?
उत्तर– वैसा स्थान जो गांव से बड़ा लेकिन शहर से छोटा होता है, और जहाँ लोगों की ज़रूरी जरूरतें पूरी होती हैं, उसे कस्बा कहते हैं।
प्रश्न 3. शहर किसे कहते है?
उत्तर– वैसा स्थान जहाँ ज़्यादातर लोग खेती नहीं करते हैं, लेकिन उद्योग, व्यापार, नौकरी आदि काम करते हैं, उसे शहर कहते हैं। शहर गैर कृषि उत्पादन गतिविधियों का केन्द्र होता है।
प्रश्न 4. महानगर किसे कहते है?
उत्तर– किसी देश का अत्यंत बड़ा, विकसित एवं घनी आबादी वाला शहर को महानगर कहा जाता है। यह प्रायः राज्य या देश की राजधानी होती है।
प्रश्न 5. शहरीकरण किसे कहते है?
उत्तर– जब कोई गांव या कस्बा धीरे-धीरे शहर के रूप में विकसित होने लगता है, तो उसे शहरीकरण कहते हैं।
गांव और शहर में अंतर

☛ नगरीय जीवन और आधुनिकता एक-दूसरे के पूरक यानी साथ-साथ चलने वाले हैं। अर्थात् जहाँ शहर होता है, वहीं नई सोच, नई तकनीक, शिक्षा, व्यापार, उद्योग और सुविधाएँ तेजी से बढ़ती हैं। इसलिए शहर को आधुनिक व्यक्ति का क्षेत्र कहा जाता है, क्योंकि यहाँ के लोग आमतौर पर नए विचारों को अपनाते हैं, आधुनिक साधनों का उपयोग करते हैं और समय के साथ बदलाव लाते हैं।
आधुनिक शहरों की स्थापना के कारण
(i) औद्योगिक पूंजीवाद का उदय – कारखानों और उद्योगों के बढ़ने से शहरों का विकास हुआ।
(ii) औपनिवेशिक शासन की स्थापना – अंग्रेज़ों ने शासन चलाने और व्यापार बढ़ाने के लिए कई नए शहर बसाए।
(iii) लोकतांत्रिक आदर्श का विकास – जनता के अधिकार और समान अवसर की सोच से शहरों में नई संस्थाएँ बनीं।
शहरों के उदय से पैदा हुई समस्याएँ
(i) बाजारवाद का उदय – लोगों में वस्तुओं को अधिक खरीदने और बेचने की प्रवृत्ति बढ़ी।
(ii) जनसंख्या घनत्व में वृद्धि – शहरों में बहुत अधिक लोग बसने लगे, जिससे भीड़ बढ़ी।
(iii) मलिन बस्तियों का उदय – गरीब मजदूरों के लिए गंदी और तंग झोपड़ियाँ बन गईं।
(iv) आपराधिक प्रवृत्ति में वृद्धि – गरीबी और बेरोजगारी के कारण अपराध बढ़े।
(v) यातायात की समस्या – वाहनों की संख्या बढ़ने से जाम और दुर्घटनाएँ बढ़ीं।
(vi) स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी – भीड़ और गंदगी से बीमारियाँ फैलने लगीं।
(vii) प्रदूषण की समस्या – कारखानों और गाड़ियों से हवा और पानी प्रदूषित हो गए।
इंग्लैंड में औद्योगीकरण और शहरीकरण का असर
☞ औद्योगिक क्रांति ने इंग्लैंड के शहरों का रूप बहुत बदल दिया। जैसे-जैसे उद्योग बढ़े, वैसे-वैसे गाँवों के लोग रोज़गार की तलाश में शहरों की ओर आने लगे। इस तरह शहरीकरण यानी शहरों का विकास तेज़ी से हुआ।
⪼ 1850 ई. तक पश्चिमी देशों के ज़्यादातर शहर अभी भी गाँवों जैसे ही थे, यानी बहुत विकसित नहीं हुए थे। लीड्स और मैनचेस्टर जैसे शहर 18वीं शताब्दी के अंत में बने थे। और ये शहर कपड़ा उद्योग के लिए प्रसिद्ध थे। 1851 तक मैनचेस्टर की आबादी में तीन-चौथाई लोग गाँवों से आए प्रवासी मजदूर थे।
लंदन
(i) 1750 ई. तक इंग्लैंड और वेल्स का हर नौवाँ व्यक्ति लंदन में रहता था।
(ii) लंदन की आबादी लगभग 6,75,000 थी। और यह एक बहुत बड़ा शहर था।
(iii) 19वीं शताब्दी (1800 के बाद) में लंदन और भी तेज़ी से फैलने लगा।
(iv) 1810 से 1880 तक इसकी जनसंख्या 10 लाख से बढ़कर 40 लाख (4 गुना) हो गई।
(v) विश्व की पहली भूमिगत रेल 10 जनवरी 1863 ई० को लंदन में शुरू हुई। यह रेलवे लाइन लंदन की पैडिंग्ल और कैरिंग्टन स्ट्रीट के बीच स्थित थी। पहले दिन लगभग 10,000 यात्रियों ने यात्रा की। 1880 तक इसका नेटवर्क बहुत बढ़ गया, और हर साल लगभग 4 करोड़ लोग यात्रा करने लगे।
(vi) लेखक चार्ल्स डिकेन्स ने 1848 में अपने उपन्यास डॉम्बी एंड सन में लिखा कि भूमिगत रेल के निर्माण से कई मकान तोड़े गए, सड़कें बंद हुईं, और गरीब लोग उजड़ गए।
(vii) 1870 ई० में अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा कानून बना। इस कानून का मतलब था कि अब हर बच्चे को बुनियादी शिक्षा लेना ज़रूरी होगा।
(viii) 1902 ई० में फैक्ट्री कानून के अन्तर्गत बच्चों को कारखानों में काम करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया।
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(ix) वास्तुकार एबेनेज़र हावर्ड ने लंदन के चारों ओर हरी पट्टी विकसित करने की योजना बनाई। इस योजना को गार्डन सिटी (बगीचा का शहर) कहा गया। इसका उद्देश्य शहरों को सुंदर और स्वच्छ बनाना था।
(x) शहरों के विस्तार में भव्य इमारतें और परकोटे (बड़े घेरेदार दीवारें) बनाए गए। लंदन भारी संख्या में प्रवासियों को आकर्षित करने में सफल हुआ।
(xi) ब्रिटेन के प्रमुख औद्योगिक नगर थे — मैनचेस्टर, लंकाशायर, शेफील्ड और लीड्स।
(xii) लंदन जैसे बड़े शहरों में खैराती संस्थाएँ और स्थानीय शासन द्वारा जाड़ों में गरीबों के रहने के लिए रैन बसेरे और अजनबी घर बनाए गए।
(xiii) इतिहासकार डेविड थॉमसन के अनुसार — औद्योगीकरण से लोगों के नैतिक मूल्य बदल गए। पहले लोग ईमानदार और सहयोगी थे, लेकिन अब वे पैसे और स्वार्थ के पीछे भागने लगे।
(xiv) 1870 के दशक में लंदन में लगभग 20,000 अपराधी रहते थे। हेनरी मेह्यू ने बताया कि कई लोग अपराधों से ही अपनी जीविका चलाते थे।
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(xv) 1861 की जनगणना के अनुसार लंदन में घरेलू नौकरों की संख्या बहुत बढ़ गई, जिनमें ज़्यादातर महिलाएँ थीं।
(xvi) प्रथम विश्वयुद्ध (1914–1918) और द्वितीय विश्वयुद्ध (1939) के बीच की अवधि में ब्रिटिश सरकार ने मजदूर वर्ग के लिए 10 लाख मकान बनवाए।
(xvii) रेमंड अनवित और बैरी पार्कर ने “न्यू अर्जविक” नामक बगीचा उपशहर बनाया। इसमें चारों ओर हरे-भरे स्थान से घिरा सामुदायिक जीवन विकसित किया गया।
(xviii) शहरों में बढ़ती आबादी और समस्याओं को देखते हुए नगर प्रबंधन शुरू हुआ। इसने निम्न उपाय किए गए
- लोगों के रहने और और आवास की व्यवस्था
- जनस्वास्थ्य (Public Health) की देखभाल
- यातायात के साधनों का विकास — बसें, रेल, सड़कें आदि।
(xix) लंदन के पाँच मुख्य उद्योग थे —
- छपाई और स्टेशनरी उद्योग
- कपड़े और जूते का उद्योग
- धातु और इंजीनियरिंग उद्योग
- लकड़ी और फर्नीचर उद्योग
- चिकित्सा उपकरण, घड़ियाँ और कीमती धातुओं की वस्तुएँ
प्रश्न 6. टेनेमेंट्स किसे कहते हैं?
उत्तर– ऐसे सस्ते और भीड़भाड़ वाले मकान जो शहरों के गरीब इलाकों में होते हैं, जहाँ बहुत से लोग छोटे-छोटे कमरों में रहते हैं, उन्हें टेनेमेंट्स कहा जाता है।
प्रश्न 7. घेटो किसे कहते हैं?
उत्तर– शहर का वह इलाका जहाँ एक ही धर्म, जाति या समुदाय के लोग एक साथ रहते हैं, घेटो कहलाता है। पहले यह शब्द यूरोप में यहूदियों की बस्ती के लिए इस्तेमाल होता था।
प्रश्न 8. व्यक्तिवाद किसे कहते हैं?
उत्तर– जब किसी समाज में व्यक्ति की स्वतंत्रता और उसके अधिकारों को सबसे ज्यादा महत्व दिया जाता है, तो इसे व्यक्तिवाद कहा जाता है।
प्रश्न 9. लैसेज फेयर किसे कहते हैं?
उत्तर– ऐसी आर्थिक नीति जिसमें सरकार व्यापार या उद्योग में कोई दखल नहीं देती और पूंजीपतियों को पूरी स्वतंत्रता होती है, उसे लैसेज फेयर कहा जाता है।
सामाजिक बदलाव और शहरी जीवन
(i) शहरी जीवन ने महिलाओं और पुरुषों दोनों में व्यक्तिवाद की भावना पैदा की।
(ii) पारिवारिक रिश्ते पहले बहुत मजबूत थे, लेकिन अब ये थोड़े ढीले होने लगे।
(iii) महिलाओं के अधिकारों के लिए आंदोलन शुरू हुए जैसे: मताधिकार आंदोलन (महिलाओं को वोट देने का अधिकार), विवाहित महिलाओं के लिए संपत्ति में अधिकार।
(iv) लगभग 1870 ईस्वी के बाद महिलाएँ राजनीतिक गतिविधियों में हिस्सा लेने लगीं।
(v) द्वितीय विश्व युद्ध: पाश्चात्य देशों में महिलाएँ फैक्ट्रियों में काम करने लगीं।
(vi) शहरों के निर्माण से मध्यम वर्ग (middle class) भी मजबूत हुआ। यह वर्ग शिक्षित था और विभिन्न पेशों में काम करता था जैसे: शिक्षक, वकील, चिकित्सक, इंजीनियर, क्लर्क, अकाउंटेंट।
बंबई
(i) बंबई सात टापुओं का इलाका था। और यह औपनिवेशिक भारत की वाणिज्यिक राजधानी थी। और यह पुर्तगाली नियंत्रण में था।
(ii) 1661 में इंग्लैंड के सम्राट चार्ल्स द्वितीय का विवाह पुर्तगाल की राजकुमारी से हुआ।
(iii) पुर्तगाल ने दहेज में बंबई चार्ल्स द्वितीय को दे दिया। चार्ल्स द्वितीय ने इसे ईस्ट इंडिया कंपनी को दे दिया।
(iv) 1819 में आंग्ल-मराठा युद्धों में मराठों की पराजय के बाद ईस्ट इंडिया कंपनी ने बंबई को बंबई प्रेसीडेंसी की राजधानी बनाई।
(v) बंबई भारत का एक प्रमुख बंदरगाह है, जो अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का एक मुख्य केंद्र है। यहाँ से कपास और अफीम जैसे वस्तु निर्यात किया जाता था।
(vi) 1854 में पहली कपड़ा मिल मुंबई में स्थापित हुई। और 1921 तक 85 मिलें थीं, लगभग 1,46,000 मजदूर काम कर रहे थे।
(vii) 1931 तक लगभग एक चौथाई ही बम्बई के निवासी थे बाकी निवासी बाहर से आकर बसे थे।
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(viii) कपड़ा मिलों के कारण लोग बंबई में आकर बसने लगे, जिसके कारण बम्बई में आबादी का दबाव बढ़ गया। फलतः लोग घनी आबादी वाले चॉलों (बहुमंजिली इमारत) में रहते थे।
(ix) 1840 में लंदन का क्षेत्रफल प्रति व्यक्ति 155 वर्ग गज था जबकि बंबई का प्रति व्यक्ति क्षेत्रफल केवल 9.5 वर्ग गज था। 1872 में लंदन में प्रति मकान में औसतन 8 व्यक्ति रहते थे, जबकि बंबई में प्रति मकान में 20 व्यक्ति रहते थे।
(x) 1800 ई० के आसपास बम्बई फोर्ट एरिया शहर का एक केंद्र बिंदु था, जो दो भागों में बंटा हुआ था। एक भाग में नेटिव (स्थानीय निवासी) रहते थे और दूसरे भाग में यूरोपीय निवास (गोरे लोग) करते थे।
(xi) 1898 ई० में ‘सिटी ऑफ बॉम्बे इम्प्रूवमेंट ट्रस्ट‘ की स्थापना की गई। इसका उद्देश्य शहर की योजना बनाना और सुधार करना था।
(xii) 1918 ई. में बम्बई के मकानों के महंगे किराए को सिमित करने के लिए किराया कानून पारित किया गया।
(xiii) जमीन की कमी के कारण बंबई में शहर का विस्तार मुश्किल हुआ। इसे दूर करने के लिए 1784 में भूमि विकास परियोजना लागू की गई।
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(xiv) 1784 में बंबई के गवर्नर विलियम हॉर्नवी ने विशाल तटीय दीवार बनाने का प्रस्ताव मंजूर किया ताकि निचले इलाके समुद्र के पानी से बच सकें।
(xv) 1864 में मालाबार हिल से केलबा तक पश्चिमी तट विकसित करने का ठेका बैंक बे रिक्लेमेशन कम्पनी को मिला। इसने कोलाबा कॉजवे का निर्माण किया।
(xvi) मुंबई पोर्ट ट्रस्ट ने 1914 से 1918 के बीच एक सुखी गोदी का निर्माण किया और उसके खुदाई से जो मिट्टी निकाली उसका इस्तेमाल करके 22 एकड़ बालार्ड एस्टेट बनाया गया। इसके बाद मशहूर मरीन ड्राइव का निर्माण हुआ।
(xvii) बंबई को मायापुरी माना जाता है। 1925 तक बंबई नगर भारत की फिल्म राजधानी बन गया।
प्रश्न 10. भूमि विकास किसे कहते हैं?
उत्तर– दलदली या डूबी हुई जमीन को सुधारकर निर्माण, खेती या किसी अन्य उपयोग के योग्य बनाने की भूमि विकास कहते हैं।
सिंगापुर
(i) सिंगापुर एक सुनियोजित और आदर्श शहर माना जाता है।
(ii) 1965 ई० में पीपुल्स एक्शन पार्टी के अध्यक्ष ली कुआन येव के नेतृत्व में सिंगापुर को आजादी मिली।
(iii) सिंगापुर के सुनियोजित विकास के लिए आवास एवं विकास कार्यक्रम प्रारंभ किया गया। सरकार ने लगभग 86% लोगों को अच्छे मकान दिए।
(iv) आवासीय इलाकों में स्वास्थ्य का ध्यान रखा गया: मकानों में हवा चलने की व्यवस्था और स्वास्थ्य से जुड़ी सुविधाएँ बनाई गईं।
(v) सड़क और यातायात: शहर में सड़कों का निर्माण किया गया और यातायात नियम लागू किए गए ताकि यातायात नियंत्रित रहे।
(vi) शहर में लोगों के आने पर नियंत्रण रखा गया।
(vii) समुद्री जमीन को विकसित कर भव्य और आकर्षक सिंगापुर मरीना बनाया गया।
पेरिस
(i) 1852 में फ्रांस के सम्राट लुई नेपोलियन तृतीय ने पेरिस के पुनर्निर्माण का निर्णय लिया। यह कार्य सियाँ के प्रीफेक्ट बैरॉन हॉसमान, जो एक विख्यात और कुशल वास्तुकार था, को सौंपा गया।
(ii) पेरिस शहर को सुंदर और आधुनिक बनाने के लिए हॉसमान ने बड़ी पुनर्निर्माण योजना शुरू की थी। लेकिन इस योजना का बुरा असर भी पड़ा। इस योजना के चलते लगभग 3,50,000 लोग बेघर हो गए।
(iii) शहर में सीधी एवं चौड़ी सड़कें, बुलेवर्ड्स (छायादार सड़क), खुले मैदान का निर्माण किया गया।
(iv) शहर में शांति व्यवस्था के लिए पुलिस तैनात किए गए। पेरिस ऐसी राजधानी के रूप में जाना जाता है, जो केवल वास्तुकला के लिए नहीं बल्कि सामाजिक और बौद्धिक केन्द्र के रूप में विख्यात है।
(v) हॉसमान द्वारा पेरिस का पुनर्निर्माण ‘पेरिस का हॉसमानीकरण‘ कहलाता है।
(vi) 1860 में गॉनकोर्ट बंधु ने कहा कि अब पुरानी जीवन-शैली खत्म हो गई, और उसकी जगह उच्चवर्गीय संस्कृति आ गई है।
(vii) एक नाटक ‘मेजो न्यूवे’ (1866) में एक बूढ़ा दुकानदार दुख जताता है — “अब तो थोड़ी-सी सैर के लिए भी बहुत दूर जाना पड़ता है, सड़कों में सिर्फ पेड़, बेंच और लंबी खाली पटरियाँ हैं।”
पटना (पाटलिपुत्र)
(i) प्राचीन काल में पटना को पाटलीपुत्र के नाम से जाना जाता था। प्राचीन काल में यह नगर शिल्पकला, व्यापार, शिक्षा, सांस्कृतिक गतिविधियों का एक प्रमुख केन्द्र था।
(ii) छठी शताब्दी ईसा पूर्व में मगध के शासक आजातशत्रु ने पाटलिपुत्र में सैनिक शिविर बनवाया था। बाद में यह मगध साम्राज्य की राजधानी बना। इससे पहले मगध की राजधानी गिरिव्रज या राजगृह (अब राजगीर) थी।
(iii) शुरुआत में पाटलिपुत्र एक छोटा-सा गाँव था जिसे पाटलिग्राम कहा जाता था। मगध के राजा अजातशत्रु ने वैशाली के लिच्छवियों से युद्ध शुरू करने से पहले यहाँ मजबूत किला (दुर्ग) बनवाया था।
(iv) धीरे-धीरे यह गाँव एक बड़े नगर – पाटलिपुत्र में बदल गया। 457 ईसा पूर्व में अजातशत्रु के पुत्र उदयिन ने राजधानी को राजगृह से पाटलिपुत्र स्थानांतरित किया।
(v) पाटलिपुत्र नगर प्रशासन के अनेक पहलुओं पर चर्चा यूनान निवासी मेगास्थनीज की रचना ‘इंडिका‘ में उपलब्ध है। मेगास्थनीज चंद्रगुप्त मौर्य के दरबार में आया था।
(vi) मेगास्थनीज के अनुसार, पालिबोथ्रा (पाटलिपुत्र) गंगा और सोन (इरानोबाओस) के संगम पर बसा हुआ था। नगर की लंबाई 80 स्टेडिया और चौड़ाई 15 स्टेडिया थी। (1 स्टेडिया = लगभग 185 मीटर)
(vii) पाटलिपुत्रा में 570 बुर्ज (मीनारें) और 64 प्रवेशद्वार (गेट) थे। दीवार के बाहर एक चौड़ी और गहरी खाई (600 फुट चौड़ी, 60 फुट गहरी) थी, जिसमें पानी भरा रहता था — यह शहर की सुरक्षा के लिए थी।
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(viii) नगर के बीच में चंद्रगुप्त मौर्य का लकड़ी का महल था। और महल के स्तंभ सोने और चाँदी से सजे हुए थे।
(ix) पटना के विशाल भवनों के वैभव और सौंदर्य की चर्चा चीनी यात्री फाह्यान द्वारा किया गया है। फाहियान ने लिखा कि यह इतना सुंदर नगर था कि मानो देवताओं ने बनाया हो। उसने कहा कि देवताओं ने पत्थरों से दीवारें और द्वार बनाए, जिन पर अद्भुत नक्काशी और सुंदर खुदाई की गई थी।
(x) फाहियान के अनुसार, नगर में दो बड़े बौद्ध विहार थे। हर साल यहाँ बुद्ध और बोधिसत्त्व का जुलूस 20 रथों पर निकाला जाता था।
(xi) पटना के कुम्हरार में खुदाई (खोदाई) के दौरान पुराने पाटलिपुत्र नगर के अवशेष मिले हैं। खुदाई में लकड़ी के खंभे और 84 पत्थर के स्तंभों वाला विशाल भवन मिला है। कई इतिहासकारों का मानना है कि यह भवन सम्राट अशोक का राजमहल था।
(xii) कुम्हरार से गुप्तकालीन अस्पताल (आरोग्य विहार) का प्रमाण भी मिला है, जहाँ प्रसिद्ध वैद्य धन्वंतरि काम करते थे।
(xiii) गुप्त साम्राज्य के बाद पाटलिपुत्र का पतन हुआ। 7वीं शताब्दी में आए चीनी यात्री ह्वेनसांग ने लिखा कि यह नगर उजड़ चुका था।
(xiv) अफगान शासक शेरशाह सूरी ने 1541 ई. में गंगा-गंडक के संगम पर दुर्ग (किला) बनवाया, जहाँ आज जालान म्यूजियम है। इसी समय पाटलिपुत्र का नाम “पटना” पड़ा। पटना व्यापार और सेना (सामरिक) का प्रमुख केंद्र बन गया। इसके बारे में जानकारी अब्दुल्ला की रचना ‘तारीखे दाऊदी’ में मिलती है।
(xv) मुगल शासक अकबर के शासनकाल में पटना एक व्यापारिक केन्द्र के रूप में विख्यात था।
(xvi) 1666 ई० में सिखों के दसवें और अंतिम गुरू गोविन्द सिंह जी का जन्म पटना (पटना साहिब) में हुआ था। इसलिए आज यह पटना साहिब और तख्त श्री हरमंदिर साहिब के नाम से प्रसिद्ध सिख तीर्थस्थल है।
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(xvii) अठारहवीं शताब्दी में मुगल राजकुमार अजीमुशान ने इस नगर का नवनिर्माण कराया और इसे अजीमाबाद नाम दिया। पुनर्निर्माण पर लगभग एक करोड़ रूपये खर्च हुए।
(xviii) 1786 में पाटलिपुत्र में अनाज भंडारण के लिए गोदाम का निर्माण किया गया जिसे आज गोलघर के नाम से जाना जाता है। इसे कैप्टन जॉन गार्स्टिन ने अकाल के समय अनाज जमा करने के लिए बनवाया था।
(xix) 1769 ई. में अंग्रेजों ने बिहार के प्रशासन के लिए अधिकारी नियुक्त किए, क्योंकि उस समय बिहार बंगाल प्रेसीडेंसी के अधीन था।
(xx) 1773 ई. में “रेगुलेटिंग एक्ट” लाकर बिहार के प्रशासन को और सुदृढ़ किया गया। बाद में बिहार के शासन का सर्वोच्च पद लेफ्टिनेंट गवर्नर को दिया गया।
(xxi) 1856 में अंग्रेज यात्री राल्फ फिच नगर भ्रमण के लिए आया था। 1911 ई. के दिल्ली दरबार में घोषणा हुई कि बिहार को बंगाल से अलग करके नया राज्य बनाया जाएगा। और 1912 में पटना राजधानी बनी। 1 अप्रैल 1912 को बिहार एवं उड़ीसा को बंगाल से अलग कर पृथक राज्य का दर्जा दिया गया। और 15 नवंबर 2000 में झारखंड, बिहार से अलग हुआ।
(xxii) वर्तमान में पटना की आबादी 12 लाख (कहीं 20 लाख) से अधिक है और इसका क्षेत्रफल लगभग 2500 वर्ग किलोमीटर है। कोलकाता के बाद पटना पूर्वी भारत का सबसे बड़ा नगर है। और आबादी के घनत्व के अनुसार यह भारत का 14वाँ (कहीं 19वाँ) सर्वाधिक आबादी वाला नगर है।
(xxiii) भारत में पहली बार 1863 ई. में कलकत्ता (कोलकाता) में “धुआँ निरोधक कानून” (Smoke Nuisance Act) बनाया गया।
(xxiv) बंगाल धुआँ निरोधक आयोग (Bengal Smoke Nuisance Commission) की कोशिशों से कलकत्ता की फैक्ट्रियों और उद्योगों से निकलने वाले धुएँ को नियंत्रित किया गया।
BHARATI BHAWAN
☞ आधुनिक महानगर कितने विशाल और हैरान कर देनेवाले होते हैं, इसका अनुमान दुर्गाचरण राय के उपन्यास देवगानेर मर्त्य आगमन, अर्थात ‘धरती पर देवता उतरे’ से होता है। यह उपन्यास 1880 में लिखा गया। इसमें कलकत्ता महानगर, जो तत्कालीन अँगरेजी राज की राजधानी थी, को देखकर देवताओं में प्रतिक्रिया का विशद वर्णन किया गया है।
☛ पादरी ऐंड्रयू मीयर्न्स ने 1880 के दशक में दि विटर काड़ ऑफ आउटकास्ट लंदन नामक पुस्तक लिखी। इसमें उन्होंने उन कारणों पर प्रकाश डाला है जिनके कारण बच्चे कारखानों में कम मजदूरी पर कार्य करने की अपेक्षा आपराधिक कार्यों से अधिक धन कमाना पसंद करते थे। उनके अनुसार माना जाता है कि सात साल का बच्चा चोरी-चकारी करके हर हफ्ते 10 शिलिंग 6 पेंस कमा लेता है। अगर इसी उम्र का कोई लड़का उस चोर के बराबर कमाना चाहे तो इसके लिए उसे हफ्ते में माचिसों के 56 डिव्वे यानी रोजाना 1,296 माचिसें बनानी पड़ेंगीं।
⪼ संयमता आंदोलन 19वीं शताब्दी में इंग्लैंड और अमेरिका में चला एक सामाजिक आंदोलन था। इस आंदोलन का मुख्य उद्देश्य लोगों में शराब पीने की आदत को कम करना या रोकना था।
➣ आनंद बाग में लंदन के लोग अपना मनोरंजन करते थे, खेलते-कूदते थे एवं खाते-पीते थे। गरीब और मेहनत-मजदूरी करनेवाले लोग अवकाश का समय शराबघरों में व्यतीत कर अपना मनोरंजन करते थे। नाविकों ने अपने मिलनघर भी बना लिए थे जहाँ वे अपना मनोरंजन करते थे।
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दोस्तों उम्मीद करता हूं कि ऊपर दिए गए कक्षा 10वीं के इतिहास के पाठ 06 शहरीकरण एवं शहरी जीवन (shaharikaran evam shahri jivan) का नोट्स और उसका प्रश्न को पढ़कर आपको कैसा लगा, कॉमेंट करके जरूर बताएं। धन्यवाद !









