आज के इस पोस्ट में हमलोग कक्षा 10वीं भूगोल का पाठ ‘प्राकृतिक संसाधन’ का नोट्स को देखने वाले है। Prakritik sansadhan
प्राकृतिक संसाधन |
प्रश्न 1. भूमि किसे कहते है?
उत्तर– भूमि एक प्रकार का प्राकृतिक संसाधन है, जिसपर हम विभिन्न प्रकार के आर्थिक क्रियाएं (कृषि,पशुचारण,मत्स्य,वन्य) संपादित करते हैं। इसे नवीकरणीय और मौलिक संसाधन भी कहा जाता है।
👉 विश्व में 137 करोड़ हेक्टेयर भूमि पर कृषि कार्य होता है। जिसमें से 16.5% रूस, 13% अमेरिका, 11.9% भारत तथा 7.3% चीन के पास है। भारत का क्षेत्रफल 32.87 करोड़ हेक्टेयर है, जिसमें 48.83% भूमि पर कृषि कार्य होता है। और कृषि 53.8% रोजगार देता है।
भारत में भूमि का भौतिक स्वरूप
(i) मैदान क्षेत्र – 43%
(ii) पर्वत क्षेत्र – 30%
(iii) पठार क्षेत्र – 27%
👉 मैदान भाग का उपयोग कृषि एवं उद्योगों में होता है, जबकि पर्वत का उपयोग नदियों के प्रवाह(बहने) तथा पर्यटन के लिए होता है। और पठारी भाग से खनिज प्राप्त किया जाता है।
प्रश्न 2. मृदा किसे कहते है?
उत्तर– असंगठित पदार्थो से निर्मित पृथ्वी की सबसे ऊपरी पतली परत को मृदा कहते है। मृदा का निर्माण चट्टानों के टूटने के कारण होता है।
मृदा निर्माण के कारक
(i) उच्चावच या धाराकृति
(ii) मूल शैल या चट्टान
(iii) जलवायु
(iv) वनस्पति
(v) जैव पदार्थ
(vi) खनिज कण
(v) समय
👉 मृदा छह प्रकार के होते है–
(i) जलोढ़ मृदा
(ii) काली मृदा
(iii) लाल एवं पीली मृदा
(iv) लेटराइट मृदा
(v) मरुस्थलीय मृदा
(vi) पर्वतीय मृदा
जलोढ़ मृदा
प्रश्न 3. जलोढ़ मृदा किसे कहते है?
उत्तर– नदियों द्वारा बहाकर लाई गई मृदा को जलोढ़ मृदा कहते है ।
(i) जलोढ़ मिट्टी में बालू, सिल्ट और मिट्टी के कण के विभिन्न अनुपात में पाए जाते है।
(ii) जलोढ़ मिट्टी का रंग धुंधला से लेकर लालीमा लिए भूरे रंग तक होता है।
(iii) जलोढ़ मृदा में पोटाश, फास्फोरस और चुनापत्थर जैसे तत्व पाया जाता है, जबकि इसमें नाइट्रोजन एवं जैव पदार्थ की कमी होती है।
(iv) जलोढ़ मृदा गन्ना, चावल, गेहूं, मक्का, दलहन जैसे फसलों के लिए उपयुक्त मानी जाती हैं। और भारत में 6.4 करोड़ हेक्टेयर क्षेत्र पर जलोढ़ मृदा है।
(v) उत्तर भारत का मैदान जलोढ़ निर्मित है, जो हिमालय की तीन नदी सिन्धु, गंगा और ब्रह्मपुत्र द्वारा लाए गये जलोढ़ के निपेक्ष से बना है। राजस्थान एवं गुजरात में भी संकरी पट्टी के रूप में जलोढ़ मृदा फैली हुई है।
(vi) उत्तर बिहार में बालू प्रधान जलोढ़ मिट्टी को दियारा भूमी कहा जाता है, और यह मक्का की खेती के लिए विश्व प्रसिद्ध है।
👉 आयु के आधार पर जलोढ़ मृदा दो प्रकार के होते है :-
(i) बांगर – पुराने जलोढ़ मृदा को बांगर कहा जाता है। पुराने जलोढ़ मृदा में कंकर एवं बजरी की मात्रा अधिक होती है।
(ii) खादर – नवीन जलोढ़ मृदा को खादर कहा जाता है। खादर में बालू एवं मिट्टी के कण का मिश्रण होता है। और यह अधिक उपजाऊ होता है।
काली मिट्टी
(i) काली मिट्टी का रंग काला एल्युमिनियम एवं लौह यौगिक के उपस्थिति के कारण होता है।
(ii) काली मिट्टी में कपास की खेती अधिक होती है, इसीलिए इसे काली कपास मृदा भी कहते है। और काली मिट्टी को रेगुर मिट्टी भी कहा जाता है।
(iii) भारत में 6.4 करोड़ हेक्टेयर भूमि पर काली मिट्टी फैली हुई है।
(iv) काली मृदा में कैल्शियम कार्बोनेट, पोटाश और चूना अधिक मात्रा में पाई जाती है। लेकिन काली मिट्टी में फास्फोरस की कमी रहती है।
(v) काली मिट्टी महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश तथा तमिलनाडु राज्यों में पाया है। और काली मिट्टी में कपास, गन्ना, प्याज, गेहूं एवं फलों की खेती की जाती है।
लाल एवं पीली मृदा
(i) लाल एवं पीली मृदा में लोहांश (लोहे का अंश) की उपस्थिति के कारण इसका रंग लाल होता है। और जब लाल मिट्टी में जल मिलता है, तो इसका रंग पीला हो जाता है।
(ii) लाल मिट्टी भारत में 7.2 करोड़ हेक्टेयर भूमि पर पाया जाता है। इसका निर्माण आग्नेय चट्टान के टूटने से हुआ है।
(iii) लाल मिट्टी तमिलनाडु, कर्नाटक, गोवा, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, उड़ीसा, छोटा नागपुर और मेघालय के पठार के क्षेत्र में पाया जाता है।
(iv) ह्यूमस की कमी के कारण यह मिट्टी जलोढ़ और काली मिट्टी से कम उपजाऊ होती है। इस मिट्टी में उर्वरक और सिचाईं की व्यवस्था कर चावल, मक्का, मूंगफली, तम्बाकू और फलों का उत्पादन किया जा सकता है।
लैटराईट मृदा
(i) लैटराईट शब्द की उत्पत्ति ग्रीक भाषा के लैटर (LATER) शब्द से हुआ है, जिसका शाब्दिक अर्थ ईंट होता है।
(ii) भारत में लैटराईट मृदा का विस्तार 1.3 करोड़ हेक्टेयर भूमि पर है। और लैटराईट मृदा कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, उड़ीसा तथा असम राज्यों में पाया जाता है।
(iii) लैटराईट मृदा में एल्युमिनियम और लोह ऑक्साइड की उपस्थिति के कारण इसका रंग लाल होता है। और लैटराईट मिट्टी में ह्यूमस की मात्रा बहुत कम होती है।
(iv) कर्नाटक, केरल, आंध्रप्रदेश और तमिलनाडु में लैटराईट मृदा में चाय, कहवा और काजू का उत्पादन किया जाता है।
मरुस्थलीय मृदा
(i) मरुस्थलीय मृदा शुष्क ऋतु, अल्प वर्षा और ह्यूमस रहित बालू मिट्टी वाले क्षेत्रों में पाया जाता है।
(ii) मरुस्थलीय मृदा का रंग लाल या हल्का भूरा होता है।
(iii) मरुस्थलीय मृदा पंजाब, राजस्थान, सौराष्ट्र, कच्छ और हरियाणा में पायी जाती है।
(iv) मरुस्थलीय मृदा में वनस्पति और उर्वरक का कमी होता है। और इसमें सिंचाई की व्यवस्था कर कपास, चावल, गेहूं का खेती किया जाता है।
पर्वतीय मृदा
(i) पर्वतीय मृदा पर्वतीय और पहाड़ी क्षेत्रों में पाया जाता है। और यह मिट्टी अम्लीय एवं ह्यूमस रहित होते है।
(ii) पर्वतीय मृदा के ढलानों पर फलों के बागान एवं नदी घाटी में चावल का खेती किया जाता है।
👉 भूमि उपयोग के आधार पर भूमि को निम्न वर्ग में बाँटा गया है:-
(i) वन विस्तार
(ii) कृषि अयोग्य बंजर भूमि
(iii) गैर कृषि कार्य में संलग्न भूमि (मकान, घर)
(iv) स्थायी चारागाह एवं गोचर भूमि
(v) बाग़ बगीचे एवं उपवन में संलग्न भूमि
(vi) कृषि योग्य बंजर भूमि (जिसका प्रयोग 5 वर्ष से न हुआ हो)
(vii) वर्तमान परती भूमि
(viii) वर्तमान परती भूमि के अतिरिक्त (वह परती भूमि जहां 5 वर्ष से खेती न हुआ हो)
(ix) शुद्ध बोई गई भूमि
प्रश्न 4. शुद्ध (निवल) बोई गई भूमि किसे कहते है?
उत्तर– वह भूमि जिस पर फसलें उगाई और काटी जाती हैं, उसे शुद्ध (निवल) बोई गई भूमि क्षेत्र कहते है।
👉 भूमि उपयोग को दो कारक प्रभावित करते है।
(i) भौतिक कारक – भू-आकृति, जलवायु तथा मृदा
(ii) मानवीय कारक – जनसंख्या घनत्व, प्रोद्योगिकी क्षमता, संस्कृति एवं परंपरा
भूमि से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य
(i) भारत के कुल भौगोलिक क्षेत्र (32.8 लाख वर्ग किलोमीटर) का मात्र 93% भाग ही भूमि उपयोग के लिए है। जम्मू कश्मीर में पाक अधिकृत तथा चीन अधिकृत भूमि का सर्वेक्षण नहीं किया गया है।
(ii) भारत के कुल क्षेत्र का 54% भूमि कृषि योग्य है।
(iii) पंजाब एवं हरियाणा में कुल भूमि के 80% भाग पर खेती होती है, जबकि अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, मणिपुर एवं अंडमान निकोबार द्वीप समूह में 10% से भी कम क्षेत्र में खेती होती है।
(iv) किसी भी देश में पर्यावरण संतुलित रखने के लिए उनके क्षेत्र के 33% भू-भाग पर वन का विस्तार आवश्यक है।
(v) वन का विस्तार बढ़ाने के लिए 1952 ईस्वी में राष्ट्रीय वन निति बनाया गया। लेकिन वर्तमान में 20% भू-भाग पर वन का विस्तार है।
महत्वपूर्ण तथ्य
(i) खनन (खुदाई) के बाद उस स्थान का खाइयों एवं मलबों के साथ खुला छोड़ देने के कारण झारखंड, छतीसगढ़, मध्यप्रदेश जैसे राज्यों में भूमि निम्नीकरण हुआ है।
(ii) उड़ीसा में वनोन्मुलन के कारण भूमि निम्नीकरण हुआ है।
(iii) गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में अति पशुचारण से भूमि निम्नीकरण हुआ है।
(iv) पंजाब में अधिक सिंचाई के कारण भूमि निम्नीकरण हुआ है।
प्रश्न 5. भू-क्षरण (मृदा अपरदन या मिट्टी का कटाव) किसे कहते है?
उत्तर– मृदा को अपने स्थान से विविध क्रियाओं द्वारा स्थांतरित होने को भू-क्षरण कहते है।
भू–क्षरण के कारण
(i) गतिशील जल
(ii) पवन
(iii) समुद्री लहर
(iv) वनोन्मुलन
(v) अति पशुचारण
(vi) अधिक सिंचाई
प्रश्न 6. भू-संरक्षण किसे कहते है?
उत्तर– मिट्टी के कटाव को रोकने तथा मिट्टी के उत्पादकता को बढ़ाने की विधि को भू-संरक्षण कहते है।
भू-संरक्षण के उपाय
(i) फसल चक्र के द्वारा
(ii) पहाड़ी क्षेत्रों में समोच्य जुताई के द्वारा
(iii) पवन अपरदन वाले क्षेत्रों में पट्टिका कृषि के द्वारा
(iv) जलक्रांतता को कम करके।
प्रश्न 7. भूमि ह्रास किसे कहते है?
उत्तर– भूमि का भाग का कम होने को भूमि ह्रास कहते है। जनसंख्या का बढ़ाना, भूमि पर अधिक घर, सड़क, कारखानों आदि लगाने के कारण भूमि ह्रास हो रहा है।
प्रश्न 8. भूमि निम्नीकरण किसे कहते है?
उत्तर– भूमि के गुणवत्ता में कमी आने को भूमि निम्नीकरण कहते है। इसका मुख्य कारण अधिक रसायनों का उपयोग है।
प्रश्न 9. जलक्रांतता किसे कहते है?
उत्तर– अति सिंचाई के कारण भूमि में अत्यधिक जल का जमा होने को जलक्रांतता कहते है।
प्रश्न 10. समोच्य जुताई (कृषि) किसे कहते है?
उत्तर– पहाड़ी क्षेत्रों में अपरदन को रोकने के लिए खेत की जुताई वृताकार रूप से की जाती है, इसे समोच्य कृषि कहते है।
प्रश्न 11. पवन अपरदन किसे कहते है?
उत्तर– पवन द्वारा मैदान अथवा ढालू क्षेत्र से मृदा को उड़ा ले जाने की प्रक्रिया को पवन अपरदन कहा जाता है।
प्रश्न 12. पट्टिका कृषि किसे कहते है?
उत्तर– पवन अपरदन वालें क्षेत्रों में फसलों के बीच घास की पट्टिका विकसित करने को पट्टिका कृषि कहते है। इससे मृदा अपरदन कम होता है।
Read Also:- Prakritik sansadhan Ncert Class 10th Geography Note
प्रश्न 13. फसल चक्रण किसे कहते है?
उत्तर– दो खाद्यान्न फसलों के बीच दलहन या तिलहन फसल लगाने को फसल चक्रण कहते है। फसल चक्रण के कारण मिट्टी में राइजोबियम नामक जीवाणु की वृद्धि हो जाती है। जिससे मिट्टी पुनः उपजाऊ बन जाती है। इस विधी के द्वारा समय के बचत के साथ-साथ एक ही बार में कई तरह के फसल उत्पादित हो जाते है।
प्रश्न 14. अवनलिकाएँ किसे कहते है?
उत्तर– जब बहता हुआ जल मृदाओं को काटकर गहरी वाहिकाएँ (नलिकाएं) बनाता है, उसे अवनलिकाएँ कहते हैं।
प्रश्न 15. उत्खात भूमि किसे कहते है?
उत्तर– ऐसी भूमि जो जोतने (कृषि) योग्य नहीं रहती है, उसे उत्खात भूमि कहते हैं। और चंबल बेसिन में ऐसी भूमि को खड्ड भूमि कहा जाता है।
👉 मिट्टी के बनावट के आधार पर मिट्टी को दो भागों में बांट गया है।
(i) भौतिक बनावट (कणों के आधार पर) = बलुई मिट्टी, चिकनी मिट्टी और दोमट मिट्टी (जलोढ़ मिट्टी)
(ii) रासायनिक बनावट = अम्लीय मिट्टी (जिस मिट्टी का PH मान 7 से कम) और क्षारीय मिट्टी (जिस मिट्टी का PH मान 7 से ज्यादा)। जिस मिट्टी का PH मान 7 होता है, वह अच्छा होता है। मिट्टी की अम्लीयता को दूर करने के लिए उसमें चुना तथा मिट्टी की क्षारियता को दूर करने के लिए उसमें जिप्सम मिलाया जाता है।
👉 इंडियन कौंसिल ऑफ ऐग्रीकल्चरल रिसर्च (ICAR) ने भारत की मिट्टियों को आठ वर्गों में बांटा है।
(i) जलोढ़ मिट्टी (43% भाग पर पाया है)
(ii) लाल या पीली मिट्टी (19%)
(iii) काली मिट्टी (18%)
(iv) लेटराइट मृदा
(v) मरुस्थलीय (रेतीली) मृदा
(vi) पर्वतीय मृदा
(vii) क्षारीय या लवणीय मिट्टी
(viii) जैविक या दलदली मिट्टी या पिटमय
JOIN NOW
दोस्तों उम्मीद करता हूं कि ऊपर दिए गए कक्षा 10वीं के भूगोल के पाठ 01 प्राकृतिक संसाधन (Prakritik sansadhan) का नोट्स और उसका प्रश्न को पढ़कर आपको कैसा लगा, कॉमेंट करके जरूर बताएं। धन्यवाद !