Bihar Board Class 9th chapter 2 अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम | Ameriki swatantrata sangram class 9th History Notes & Solution
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Bihar Board Ncert Class 9th History Chapter 5 Notes नाजीवाद | najiwad Objective Question & Online Test

आज के इस पोस्ट में हमलोग कक्षा 9वीं इतिहास का पाठ ‘नाजीवाद’ का नोट्स को देखने वाले है। najiwad

Bihar Board Ncert Class 9th History Chapter 5 Notes नाजीवाद | najiwad Objective Question & Online Test

नाजीवाद (नात्सीवाद)

☛ प्रथम विश्व युद्ध (28 जुलाई 1914 से 11 नवंबर 1918 तक) में जर्मनी की हार के बाद देश में अराजकता की स्थिति पैदा हो गई। उस समय जर्मनी का शासक कैसर विलियम द्वितीय था, लेकिन वह इस खराब स्थिति को संभाल नहीं पाया। इसलिए उसने 10 नवंबर 1918 को सत्ता छोड़ हॉलैंड भाग गया।

☞ इसके बाद 11 नवंबर 1918 को सामाजवादी प्रजातांत्रिक दल का सरकार बनता है। इस सरकार का नेता फ्रेडरिक एबर्ट को चांसलर बनाया गया।

⪼ 11 नवंबर 1918 को, इस नई सरकार ने युद्ध समाप्त करने के लिए युद्ध विराम संधि (वर्साय की संधि) पर हस्ताक्षर किया।

➢ 5 फरवरी 1919 को संविधान सभा की पहली बैठक वाइमर नामक स्थान पर हुई। इसलिए इस संविधान को वाइमर संविधान या वाइमर गणतंत्र कहा गया। यह संविधान 10 अगस्त 1919 (11 अगस्त 1919) को लागू हो गया।

☛ वर्साय की संधि के द्वारा आल्सेस-लॉरेन क्षेत्र फ्रांस को वापस दे दिया गया। सार (Saar) क्षेत्र की कोयला खानें 15 साल के लिए फ्रांस को दे दी गईं। राइन घाटी को सेना-मुक्त घोषित कर दिया गया। जर्मनी को हथियार, सेना और नौसेना बहुत कम रखने की इजाजत थी।

☞ वर्साय की संधि के कारण जर्मनी में आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया। कल-कारखाने बन्द हो गये और बेरोजगारी बढ़ने लगी। कृषि की दशा भी अच्छी नहीं थी। औद्योगिक नगर को मित्र राष्ट्रों ने छिन लिया तथा समस्त जर्मन व्यापार नष्ट हो गया।

➢ जर्मनी पर 6 अरब 10 करोड़ पौंड का जुर्माना लगाया गया। चारो ओर निराशा एवं अराजकता का वातावरण था। तभी हिटलर का उदय होता है।

एडोल्फ हिटलर

(i) एडोल्फ हिटलर का जन्म 20 अप्रैल 1889 को ऑस्ट्रिया के ब्रौना शहर में हुआ था। बचपन में हिटलर चित्रकार (पेंटर) बनना चाहता था, लेकिन उसे कला विद्यालय में प्रवेश नहीं मिला, इसलिए उसकी यह इच्छा पूरी नहीं हुई। बाद में उसने सेना में नौकरी कर ली।

(ii) प्रथम विश्व युद्ध में उसने जर्मनी की तरफ से बहादुरी से लड़ाई लड़ी और उसके साहस के लिए उसे “Iron Cross” (आयरन क्रॉस) नामक सम्मान मिला।

(iii) युद्ध के बाद 1919 में जर्मन वर्कर पार्टी का नेता (फ़्यूहरर) बना। तथा 1920 में वह इसका नाम बदल कर नेशनल सोशलिस्ट जर्मन वर्कर्स पार्टी रख दिया। और बाद में इस पार्टी का नाम नाजी पार्टी बन गया।

(iv) जर्मनी के रूर शहर पर फ्रांस का कब्जा था। और ‘रूर’ शहर औद्योगिक रूप से काफी संपत्र था। अतः जर्मन वासियों ने फ्रांसीसियों का विरोध किया। इसी विरोध का लाभ उठाकर हिटलर, लूडेनर्डाफ के साथ मिलकर 1923 ई० में वाइमर गणतंत्र के खिलाफ विद्रोह कर दिया।

(v) विद्रोह असफल हुआ एवं हिटलर को बंदी बना लिया गया। जेल में ही हिटलर ने अपनी प्रसिद्ध आत्मकथा मेरा संघर्ष (‘मीनकैम्फ’) की रचना की।

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(vi) 1924 के अंत में हिटलर जेल से रिहा हुआ और उसने पार्टी को फिर से संगठित किया। उसने ‘स्वास्तिक’ (卐) को अपनी पार्टी का चिन्ह बनाया।

(vii) 1924 में हुए चुनाव में नाजी पार्टी को 32 सीटें मिलीं, लेकिन 1928 में यह घटकर सिर्फ 12 रह गईं। इसके बाद 1930 में 107 और 1932 में 230 सीट मिले।

(viii) बाद में राष्ट्रपति हिंडेनबर्ग ने 30 जनवरी 1933 को हिटलर को प्रधानमंत्री (चांसलर) नियुक्त कर दिया। इस तरह वाइमर गणतंत्र समाप्त हो गया और हिटलर संसद के चुनाव इस तरह कराया कि केवल नाजी पार्टी के लोग ही जीत सकें। इस नई संसद को तृतीय राइख (Third Reich) कहा गया।

👉मार्च 1933 में इनेबलिंग एक्ट नाम का कानून बनाया गया। इस कानून से हिटलर को संसद की अनुमति के बिना कानून बनाने और देश चलाने का पूरा अधिकार मिल गया।

गेस्टापो नाजी जर्मनी की गुप्त पुलिस थी। इसका काम हिटलर और नाजी पार्टी के विरोधियों की पहचान करना, उन्हें पकड़ना और सजा देना था।

(ix) अगस्त 1934 में राष्ट्रपति हिंडेनबर्ग की मृत्यु हो गई। इसके बाद हिटलर ने चांसलर और राष्ट्रपति दोनों पदों को मिलाकर खुद को सर्वोच्च शासक घोषित कर दिया। और एक जनता, एक साम्राज्य और एक नेता का नारा दिया।

पोलिश गलियारा उस रास्ते को कहा जाता है, जो वर्साय की संधि (1919) के बाद जर्मनी के बीच से काटकर पोलैंड को दे दिया गया था।

“राजमार्ग की डकैती” (Highway Robbery) एक मुहावरा है। जिसका मतलब किसी से जबरदस्ती, अनुचित तरीके से, उसका हक छीन लेना। हिटलर ने 1919 की वर्साय संधि को “राजमार्ग की डकैती” कहा।

हिटलर (नाजीवाद) के उत्कर्ष के कारण

(i) वर्साय की संधि (1919) – जर्मनी को अपमानित और कमजोर किया गया, जनता में गुस्सा फैला।

(ii) आर्थिक मंदी – बेरोज़गारी और गरीबी बढ़ी, लोग सरकार से निराश हो गए।

(iii) साम्यवाद का भय – लोग कम्युनिज़्म से डरते थे, हिटलर ने इसे रोकने का वादा किया।

(iv) यहूदी-विरोधी भावना – यहूदियों को समस्याओं का दोषी ठहराया गया।

(v) सैनिक प्रवृत्ति – जर्मन लोग मजबूत सेना और शक्तिशाली राष्ट्र चाहते थे।

(vi) गणतंत्र की विफलता – कमजोर सरकारें जनता की समस्याएँ हल नहीं कर सकीं।

(vii) सभी वर्गों का समर्थन – मजदूर, किसान, मध्यम वर्ग और उद्योगपति सभी ने साथ दिया।

नाजीवादी दर्शन — नाजीवाद, एडॉल्फ हिटलर की राजनीतिक विचारधारा थी। इसमें लोकतंत्र, स्वतंत्रता, मानव अधिकारों और अंतरराष्ट्रीय शांति की जगह तानाशाही, हिंसा, उग्र राष्ट्रवाद और नस्लभेद को महत्व दिया जाता था।

☛ “नात्सी” शब्द जर्मन भाषा के शब्द National (नात्सियोणाल) के शुरुआती अक्षरों से बना है। चूँकि हिटलर की पार्टी के नाम का पहला शब्द भी “National” था, इसलिए उस पार्टी के सदस्यों को नात्सी (Nazi) कहा जाने लगा।

नाजीवाद की विशेषता

(i) नाजीवाद लोकतांत्रिक व्यवस्था और
उदारवाद का विरोध करता था। हिटलर सत्ता में आते ही प्रेस और बोलने की आज़ादी खत्म कर दी, विरोधी दलों को खत्म कर दिया, स्कूलों, कॉलेजों और मीडिया पर नियंत्रण कर लिया।

(ii) नाजीवाद समाजवाद और साम्यवाद का विरोधी थी। हिटलर ने समाजवादी नेताओं को कुचल दिया, और पूँजीपतियों को अपने साथ मिला लिया।

(iii) सर्वसत्तावादी राज्यनाजीवाद के अनुसार राज्य सर्वोच्च है, राज्य के खिलाफ कुछ नहीं।

(iv) हिटलर ने जर्मनी के लोगों में बदला लेने और युद्ध भावना भरी। उसने जर्मन नस्ल को श्रेष्ठ माना।

(v) तानाशाही शासन और आतंक = हिटलर ने गुप्त पुलिस गेस्टापो बनाई और विरोधियों को जेलों में बंद या खत्म कर दिया।

(vi) नाजीवाद सेना की शक्ति और युद्ध को गौरव मानता था और हिंसा को उचित समझता था।

नाजीवाद का प्रभाव

(i) यूरोप में तानाशाही को बढ़ावा मिला।
(ii) विश्व शांति खतरे में पड़ी।
(iii) साम्यवाद विरोधी आंदोलन तेज हुए।
(iv) इंगलैंड और फ्रांस ने “तुष्टिकरण नीति” अपनाई (हिटलर को रोकने की बजाय मानते रहे)।
(v) अंत में द्वितीय विश्व युद्ध (1939–1945) शुरू हो गया।

हिटलर की विदेश नीति

प्रथम विश्व युद्ध के बाद पराजित जर्मनी पर वर्साय संधि की अपमानजनक शर्तें लाद दी गई थीं। सैनिक एवं आर्थिक रूप से जर्मनी को पंगु बना दिया गया था। अतः हिटलर ने इस स्थिति का फायदा उठाया और धीरे-धीरे एक मजबूत विदेश नीति बनाई ताकि जर्मनी फिर से शक्तिशाली बन सके।

उसने विदेश नीति के मूल सिद्धांत थे —

(i) वर्साय संधि को तोड़ना = हिटलर वर्साय संधि को अपमान मानता था। इसलिए उसका पहला उद्देश्य था कि इस संधि की सभी शर्तों को खत्म करना और जर्मनी को फिर से मजबूत बनाना।

(ii) सभी जर्मन लोगों को एकजुट करना।

(iii) जर्मनी का साम्राज्य बढ़ाना = हिटलर का मानना था कि जर्मनी को शक्तिशाली बनने के लिए अधिक भूमि चाहिए। इसलिए वह दूसरे देशों पर कब्जा करना चाहता था।

(iv) साम्यवाद फैलने से रोकना = हिटलर को साम्यवाद से बहुत डर था। इसलिए उसका लक्ष्य था कि रूस और अन्य साम्यवादी देशों की विचारधारा को रोकना।

इन सिद्धांतों की प्राप्ति के लिए उसने निम्नलिखित कदम उठाए :-

(i) राष्ट्रसंघ से अलग होना (1933) = हिटलर ने जेनेवा की निरस्त्रीकरण बैठक में कहा कि सभी देशों को बराबर हथियार रखने चाहिए। उसकी बात न मानी गई, इसलिए उसने 1933 में राष्ट्रसंघ की सदस्यता छोड़ दी।

(ii) वर्साय संधि को तोड़ना (1935) = हिटलर ने साफ कहा कि जर्मनी अब वर्साय संधि नहीं मानेगा। उसने सेना और हथियार बढ़ाना शुरू कर दिया।

(iii) पोलैंड से 10 साल का समझौता (1934) = हिटलर जानता था कि तुरंत युद्ध सही नहीं होगा, इसलिए उसने पोलैंड से समझौता किया।

(iv) ब्रिटेन से समझौता = जून 1935 में जर्मनी तथा ब्रिटेन के बीच समझौता हुआ, जिसके अनुसार ब्रिटेन ने स्वीकार कर लिया कि जर्मनी अपनी सैन्य शक्ति (स्थल तथा वायु सेना) बढ़ा सकता है, लेकिन उसकी नौसेना ब्रिटेन की नौसेना के 35% से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।

(v) रोम–बर्लिन धुरी (1936) = हिटलर ने
इटली के तानाशाह मुसोलिनी से दोस्ती की। दोनों ने स्पेन के तानाशाह फ्रैंको की मदद की। इस समझौते को रोम-बर्लिन धुरी कहा गया।

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(vi) कामिन्टर्न विरोधी समझौता = साम्यवाद से बचने के लिए जर्मनी, इटली एवं जापान के बीच यह समझौता 1936 ई० में संपन्न हुआ, जो आगे चलकर धुरी राष्ट्र के नाम से प्रसिद्ध हुआ।

(vii) ऑस्ट्रिया और चेकोस्लोवाकिया पर कब्जा = पहले ऑस्ट्रिया को जर्मनी में मिलाया गया।चेकोस्लोवाकिया के सुडेटनलैंड में जर्मन जाति के लोग रहते थे, फिर इंग्लैंड, फ्रांस एवं इटली के अनुरोध पर 1938 के म्यूनिख सम्मेलन में सुडेटनलैंड जर्मनी को दे दिया गया।

(viii) पोलैंड पर आक्रमण = हिटलर अब
डान्जिंग बंदरगाह और पोलिश गलियारे को लेना चाहता था। पोलैंड ने इनकार किया, तो हिटलर ने 1 सितम्बर 1939 को पोलैंड पर हमला कर दिया। तो फ्रांस, इंग्लैण्ड आदि ने हस्तक्षेप किया और इस प्रकार द्वितीय विश्व युद्ध (1939-1945) की शुरुआत हुई।

☛ पहले तो हिटलर को जीत मिली, लेकिन बाद में मित्र राष्ट्रों ने उसे हरा दिया। जब सेना बर्लिन पहुँच गई तब हिटलर ने 1945 में अपने बंकर में आत्महत्या कर ली। युद्ध के बाद दुनिया में शांति के लिए 24 अक्टूबर 1945 को संयुक्त राष्ट्र संघ (UNO) की स्थापना हुई।

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दोस्तों उम्मीद करता हूं कि ऊपर दिए गए कक्षा 9वीं के इतिहास के पाठ 05 नाजीवाद (najiwad) का नोट्स और उसका प्रश्न को पढ़कर आपको कैसा लगा, कॉमेंट करके जरूर बताएं। धन्यवाद !

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