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Bihar Board Class 10th Social Science Civics Chapter 1 लोकतंत्र में सत्ता की साझेदारी | loktantra mein satta ki sajhedari Ncert Notes

आज के इस पोस्ट में हमलोग कक्षा 10वीं राजनीतिक शास्त्र का पाठ ‘लोकतंत्र में सत्ता की साझेदारी’ का नोट्स को देखने वाले है। loktantra mein satta ki sajhedari

Bihar Board Class 10th Social Science Civics Chapter 1 लोकतंत्र में सत्ता की साझेदारी | loktantra mein satta ki sajhedari Ncert Notes

लोकतंत्र में सत्ता की साझेदारी

प्रश्न 1. राजनीतिक विज्ञान किसे कहते है?
उत्तर– राजनीतिक विज्ञान, सामाजिक विज्ञान की वह शाखा है, जिसके अंतर्गत संविधान, मौलिक अधिकार तथा मौलिक कर्तव्यों के बारे में अध्ययन करते है।

👉 राजनीतिक विज्ञान के पिता अरस्तू को कहा जाता है।

लोकतंत्र (Democracy) = डेमोस (जनता) + क्रेशिया (शासन) । लोकतंत्र का शाब्दिक अर्थ “ जनता का शासन”।

प्रश्न 2. लोकतंत्र किसे कहते है?
उत्तर– जनता का, जनता के लिए और जनता के द्वारा चलाया गया शासन व्यवस्था को लोकतंत्र कहते है। लोकतंत्र की यह परिभाषा अमेरिका के 16वें राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन ने दिया था।

(i) प्रत्यक्ष लोकतंत्र:- वैसा लोकतंत्र जिसमें जनता सीधे सरकार को चुनती है उसे प्रत्यक्ष लोकतंत्र कहा जाता है। उदहारण:- स्विटजरलैंड

(ii) अप्रत्यक्ष लोकतंत्र:- ऐसा लोकतंत्र जिसमें जनता अपने प्रतिनिधि के माध्यम से सरकार को चुनती है उसे अप्रत्यक्ष लोकतंत्र कहा जाता है।
उदहारण:- भारत

प्रश्न 3. धर्मनिरपेक्ष किसे कहते है?
उत्तर– जब कोई देश किसी विशेष धर्म या समुदाय को बढ़ावा न देकर, सभी धर्म को बराबर दृष्टिकोण से देखता है, तो उसे धर्मनिरपेक्ष कहते है।

👉 भारत एक लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष देश है। और यह अप्रत्यक्ष लोकतंत्र है।

प्रश्न 4. सत्ता की साझेदारी किसे कहते है?
उत्तर– जब समाज के सभी वर्ग के लोगों को सरकार में हिस्सेदारी दिया जाता है, तो उसे सत्ता की साझेदारी कहते है। विभिन्न समुदाय के लोगों के बीच का टकराव कम करने के लिए सत्ता में साझेदारी आवश्यक है।

>> लोकतंत्र में विविधता अच्छी होती है, लेकिन कभी कबार सामाजिक विविधता के कारण लोकतंत्र वाले देश में भी टकराव देखने को मिलता है।

लोकतंत्र में द्वंद्ववाद

👉 लोकतंत्र सैद्धांतिक रूप से समानता पर आधारित शासन प्रणाली है, लेकिन समानता के बाद भी इसमें अंतर दिखता है। सिद्धांत और व्यवहार के इस अंतर को ही लोकतंत्र में द्वंद्ववाद कहते है।

(i) अनुच्छेद 15 के अनुसार किसी भी व्यक्ति के साथ धर्म, लिंग, भाषा, जाति के आधार पर भेदभाव नही किया जायेगा।

(ii) अनुच्छेद 19 भारत के सभी नागरिकों को देश में कहीं भी जाने, निवास करने आदि का अधिकार लेता है। लेकिन इन अधिकारों के बाद भी महाराष्ट्र (मुंबई), कर्नाटक (मैसूर), असम आदि जैसे राज्यों में लोगों पर क्षेत्र के आधार पर भेदभाव किया जाता है।

👉 रेलवे भर्ती बोर्ड परीक्षा में मैसूर में बिहारी छात्रों को मिटा गया तथा असम में बिहारियों की हत्या कर दी गई।

>> मुंबई को भारत का वित्तीय राजधानी कहा जाता है।

बेल्जियम में सत्ता की साझेदारी

बेल्जियम यूरोप का एक देश है, और यह क्षेत्रफल में हरियाणा से छोटा है। यहां 59% डच भाषी (फ्लेमिश इलाका), 40% फ्रेंच भाषी (बेलेनिया इलाका) तथा 1% जर्मन भाषी के लोग रहते है। लेकिन बेल्जियम की राजधानी ब्रुसेल्स में 80% फ्रेंच भाषी और 20% डच भाषी के लोग रहते है।

(i) बेल्जियम मॉडल के द्वारा 1970 से 1993 के बीच संविधान में 4 बार संसोधन किया ताकि सभी लोग मिलजुलकर रह सके।

(ii) केंद्र सरकार में डच और फ्रेंच मंत्रीयो की संख्या समान किया तथा दोनों की अनुमति से कानून पारित किया गया।

(iii) क्षेत्रीय स्तर पर शक्ति का बंटवारा किया। तथा बेल्जियम की राजधानी ब्रुसेल्स में एक अलग सरकार बना।

(iv) केंद्र और राज्य सरकार के अलावा तीसरे स्तर पर सरकार का गठन (सामुदायिक सरकार) किया।

श्रीलंका में सत्ता की साझेदारी

👉 श्रीलंका, एशिया का एक द्वीपीय देश है, जो तमिलनाडु के रामेश्वरम से 24 km की दूरी पर स्थित है। और यह 1948 ईस्वी में आजाद हो गया। यहां पर सिहंली भाषी लोग 74% (बौद्ध धर्म), तमिल भाषी 18% (मूल तमिल 13% और भारतीय तमिल 5%) तथा ईसाई भाषी लोग 7% (दोनों भाषा) है।

श्रीलंका में सिहंली का दबदवा था और 1956 ईस्वी में सिहंली भाषा को राष्ट्रभाषा का दर्जा दिया। तथा सरकारी नौकरी, सरकारी स्कुल आदि जगहों पर सिंहलीयो को विशेष छूट दिया गया। और तमिलों के लिए किसी प्रकार का काम नहीं किया गया।

इसके बाद तमिल जनता नाराज होकर सरकार और राजनितिक पार्टियों को अपना दुश्मन मान लिया। तथा खूद की राजनितिक पार्टी बनाई और तमिल को राजभाषा बनाने की मांगे रखी।

लेकिन सरकार ने उनकी मांगे नहीं मानी। तब तमिल भाषी लोग उग्रसंगठन (लिट्टे) LTTE (लिबरेशन टाइगर्स ऑफ़ तमिल ईलम) बनाया। अभी तक सिहंली और तमिलों के बीच गृह युद्ध चल रहा है।

प्रश्न 5. क्या सत्ता में साझेदारी जरूरी है, अगर हाँ तो कैसे ?
उत्तर– हाँ, सत्ता में साझेदारी बहुत जरूरी है क्योंकि सत्ता में साझेदारी से विभिन्न समूहों के बीच टकराव की आशंका कम हो जाती है। और सत्ता के बटवारा से लोकतांत्रिक व्यवस्था भी ठीक रहता है। इसलिए सत्ता में साझेदारी को लोकतंत्र का आत्मा भी कहा जाता है।

👉 लोकतांत्रिक व्यवस्था में सामाजिक विभाजन अलग-अलग तरीकों से होता है।

(i) क्षेत्रीय भावना के आधार पर = अपने क्षेत्र से लगाव तथा दुसरे क्षेत्रो से अलगाव रखना ही क्षेत्रवाद कहलाता है। जो एक समाजिक बुराई है।

(ii) नस्ल या रंग के आधार पर = मैक्सिको ओलंपिक (1968) में अमेरिकी धावक टोमी स्मिथ और जॉन कार्लोस (अश्वेत), तथा आस्ट्रेलियाई धावक पीटर नार्मन के द्वारा 200 मीटर दौड़कर नस्लवाद का विरोध किया।

सामाजिक भेदभाव एवं विविधता की उत्पति

जन्म आधारित सामाजिक विभाजन = वैसा सामाजिक विभाजन जिसमें जन्म के आधार पर किसी व्यक्ति का समुदाय तय किया जाता है, उसे जन्म आधारित सामाजिक विभाजन कहते है।

सामाजिक विभिन्नता और सामाजिक विभाजन में अंतर

(i) सामाजिक विभिन्नता:- जब समाज में विभिन्न प्रकार के जाति, धर्म, लिंग के लोग रहते है, तो उसे सामाजिक विभिन्नता कहते है।

(ii) सामाजिक विभाजन:- जब जाति, धर्म, वंश, नस्ल(रंग), लिंग आदि के आधार पर समाज को बांटा जाता है, तो उसे सामाजिक विभाजन कहते है। और सामाजिक विभाजन देश के एकता एवं अखंडता के लिए खतरनाक होता है।

👉 समाजिक विभिन्नता हमेशा सामाजिक विभाजन का कारण बने यह आवश्यक नहीं है।

उत्तरी आयरलैंड और नीदरलैंड दोनों देशों में ईसाई धर्म है। और यह धर्म दो भाग (कैथोलिक और प्रोटेस्टेंट) में बांटा है। उत्तरी आयरलैंड और नीदरलैंड दोनों का कैथोलिक और प्रोटेस्टेंट धर्म गरीब है। उत्तरी आयरलैंड के कैथोलिक और प्रोटेस्टेंट के बीच हमेशा मार काट चलता रहता है, जबकि नीदरलैंड में ऐसा कुछ नहीं होता है।

जाति का राजनीति पर प्रभाव

जब राजनीति, जाति के आधार पर होने लगता है, तो इससे लोकतंत्र पर बुरा प्रभाव पड़ता है। तथा राजनीतिक दल अपने जाति वाले को विशेष अधिकार देने का चेष्टा करता हुआ। जिससे अन्य जाति के लोग पर बुरा प्रभाव देखने को मिलता है।

👉 उत्तरी आयरलैंड ग्रेट ब्रिटेन का हिस्सा है। उत्तरी आयरलैंड में कैथोलिक (44 फीसदी आबादी) और प्रोटेस्टेंट (53 फीसदी आबादी) है। कैथोलिक उत्तरी आयरलैंड को आयरलैंड से मिलाना चाहते है, जबकि प्रोटेस्टेंट ग्रेट ब्रिटेन से मिलना चाहते है।

1998 ईस्वी में ब्रिटेन की सरकार और नेशनलिस्टों के बीच एक शांति समझौता हुई और दोनों के बीच का टकराव खत्म हो गया। लेकिन यूगोस्लाविया के आपसी टकराव ने उसे कई भागों में बांट दिया।

सामाजिक विभाजन के तीन निर्धारक तत्त्व

👉 सामाजिक विभाजन की राजनीति तीन निर्धारक तत्त्व पर निर्भर करती है।

(i) स्वयं की पहचान की चेतना:- लोग अपनी पहचान स्व-अस्तित्व तक ही सीमित रखना चाहते हैं, क्योंकि प्रत्येक मनुष्य में राष्ट्रीय चेतना के अलावा उपराष्ट्रीय या स्थानीय चेतना भी होते हैं।

(ii) समाज के विभिन्न समुदायों की माँगों को राजनीतिक दल द्वारा उपस्थित करने का तरीका:- दूसरा महत्त्वपूर्ण तत्त्व है कि किसी समुदाय या क्षेत्र विशेष की माँगों को राजनीति दल कैसे उठा रहे हैं।

(iii) सरकार की माँगों के प्रति सोच:- सामाजिक विभाजन की राजनीति का परिणाम सरकार के रूप पर भी निर्भर करता है। यह भी महत्त्वपूर्ण है कि सरकार इन मांगों पर क्या प्रतिक्रिया व्यक्त करते हैं।

सामाजिक विभाजन में जाति, धर्म और लिंग विभेद के स्वरूप

(i) जातिगत असमानताएं:- जब समाज में जाति के आधार पर भेदभाव किया जाता है, तो उसे जातिगत असमानताएं कहते है।

(ii) वर्ण व्यवस्था:- वर्ण व्यवस्था के द्वारा प्राचीन काल में समाजिक को चार वर्गो में बांटा जाता था। जिसमें ब्राहमण, क्षत्रिय, वैश्य और शुद्र शामिल थे। इसमें सबसे अच्छा स्थिति ब्राहमण का था।

(iii) लैगिंक विभेद:- लिंग के आधार पर किया जाने वाला भेदभाव को लैगिंक विभेद कहते है। लिंग का अर्थ लड़का या लड़की से है।

👉 नारीवादी आंदोलन:- व्यक्तिगत, पारिवारिक जीवन और सार्वजानिक मामलों में महिलाओं के लिए समानता प्राप्त करने के उद्देश्य से महिलाओं द्वारा किये जाने वाले आंदोलन को नारीवादी आंदोलन कहा जाता हैं ।

>> सर्वप्रथम इंगलैंड में 1918 में महिलाओं को वोट देने का अधिकार प्राप्त हुआ। भारत के लोकसभा में महिला प्रतिनिधि की संख्या 59 है।

ग्रेड ब्रिटेन में 19.3%, अमेरिका में 16.3%, इटली में 16.1%, आयरलैंड में 16.2% महिला प्रतिनिधियों की संख्या हैं। कृषि कार्य क्षेत्र में महिलाओं की कुल भागीदारी 40 प्रतिशत है।

आज की तारीख में कुल पुरुष कामगरों में 53 प्रतिशत पुरुष और महिला कामगारों में 75 प्रतिशत महिलाएँ कृषि क्षेत्र में हैं।

👉 एक सर्वेक्षण के अनुसार एक औरत औसतन रोजाना साढ़े सात घंटे से ज्यादा काम है, जबकि एक आदमी औसतन रोज छः घंटे ही काम करता है।

धर्म, साम्प्रदायिकता और राजनीति

प्रश्न 6. साम्प्रदायिकता किसे कहते है?
उत्तर– एक धर्म को दुसरे धर्म से श्रेष्ट मानना ही साम्प्रदायिकता कहलाता है। सांप्रदायिकता का भयावह रूप तब हम देखते हैं, जब सांप्रदायिकता के कारण हिंसा, दंगा और नरसंहार होने लगते है।

गाँधी जी ने कहा था :- “धर्म को राजनीति से अलग नहीं किया जा सकता” |

👉 शासन का क्षैतिज बंटवारा (विधायिका, कार्यपालिका न्यायपालिका) और स्तरीय बंटवारा (केंद्र, राज्य, स्थानीय) होता है।

कुछ अन्य परिभाषा

(i) संविधान सभा:- चुने गए प्रतिनिधियों के वह सभा जो संविधान लिखने का कार्य करती है, उसे संविधान सभा कहा जाता है।

(ii) संसदीय शासन:- वैसा देश जहाँ प्रधानमंत्री देश का प्रमुख होता है, उसे संसदीय शासन वाला देश कहते हैं। उदाहरण:- भारत

(iii) एकात्मक शासन:- वैसा देश जहाँ सिर्फ केंद्र सरकार काम करती है, उसे एकात्मक शासन कहते हैं। उदाहरण:- इंग्लैण्ड

(iv) संघात्मक शासन:- वैसा देश जहां केंद्र और राज्य दोनों सरकार काम करती है, उसे संघात्मक शासन कहते हैं। उदाहरण:- भारत

(v) अल्पसंख्यक :- जिस धर्म के लोगों की संख्या कम होती है, उसे अल्पसंख्यक कहा जाता है।

(vi) बहुसंख्यक :- जिस धर्म के लोगों की संख्या अधिक होती है उसे बहुसंख्यक कहा जाता है।

(vii) सामाजिक विभेद:- जाति, भाषा, धर्म के आधार पर समाज में किया जाने वाला भेद-भाव को समाजिक विभेद कहते है। और यह जन्म के साथ शुरू हो जाता है।

(viii) भ्रुण हत्या:- भ्रुण हत्या एक प्रकार की समाजिक बुराई है। जिसके तहत माता के गर्भ में पल रहे शिशु की लिंग जांच अल्ट्रासाउंड या अन्य मशीन के माध्यम से किया जाता है। अगर जन्म लेने वाला लड़की हो तो उसे जान बुझकर गर्भपात करा दिया जाता है, इसे ही भ्रुण हत्या कहते है।

(ix) परिवारवाद (वंशवाद या भाई-भतीजा वाद):- शासन की वह पद्धति है, जिसमें एक ही परिवार, वंश या समूह से एक के बाद एक कई शासक बनते जाते हैं, उसे परिवारवाद कहते है। और यह लोकतंत्र के लिए खराब है। इसे लालू प्रसाद और जवाहर लाल नेहरू के शासनकाल में देखा जा सकता है।

(x) नस्लवाद (रंगभेद):- जब किसी देश, राज्य या समाज में रहने वाले नागरिको के बीच नस्ल के आधार पर भेदभाव होती है, उसे नस्लवाद कहते है।

👉 रंगभेद का विरोध करने वाला पहला व्यक्ति मार्टिन लूथर किंग थे। इन्हें अमेरिका का गांधी कहा जाता है।

विक्टर युगों का लिखा कथन

पुरुषों के पास दृष्टि होती है;
और स्त्रियों के पास अंतर दृष्टि ।
इसीलिए वे चीजों को;
अपेक्षाकृत अधिक दूर तक देख सकती है

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दोस्तों उम्मीद करता हूं कि ऊपर दिए गए कक्षा 10वीं के राजनीतिक शास्त्र के पाठ 01 लोकतंत्र में सत्ता की साझेदारी (loktantra mein satta ki sajhedari) का नोट्स और उसका प्रश्न को पढ़कर आपको कैसा लगा, कॉमेंट करके जरूर बताएं। धन्यवाद !

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