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Bihar Board Ncert Class 10th Social Science Geography Chapter 1 (ख) Notes Jal Sansadhan | जल संसाधन Objective Question

आज के इस पोस्ट में हमलोग कक्षा 10वीं भूगोल का पाठ ‘जल संसाधन’ का नोट्स को देखने वाले है। Jal Sansadhan

Bihar Board Ncert Class 10th Social Science Geography Chapter 1 (ख) Notes Jal Sansadhan | जल संसाधन Objective Question

जल संसाधन

प्रश्न 1. जल संसाधन किसे कहते है?
उत्तर– वैसे संसाधन जिनसे हमें जल प्राप्त होता है और जिनका उपयोग हम अपनी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए करते हैं, उसे जल संसाधन कहते है।

👉 जल स्रोत विविध रूपों में पाए जाते हैं:-

(i) भू-पृष्ठीय जल = भू-पृष्ठ पर पाए जाने वाले जल को भू-पृष्ठीय जल या धरातलीय कहते है। भू-पृष्ठीय जल का मुख्य स्रोत वर्षन है। जैसे– नदी-नाले, झील-तालाब का जल

(ii) भूमिगत जल या भौमजल = जब वर्षा का पानी जमीन की दरारों या छिद्रों से नीचे रिसकर कठोर चट्टानों पर रुककर जमा हो जाता है, तो उसे भूमिगत जल कहते हैं। इस प्रक्रिया से एकत्रित जल को भौम जल कहते है। अब तक हम 37% भूमिगत जल का प्रयोग करने में समर्थ हुए है।
(iii) वायुमंडलीय जल
(iv) महासागरीय जल

नोट :- हमारे जीवन में भू-पृष्ठीय और भूमिगत जल का प्रत्यक्ष उपयोग होता है।

महत्वपूर्ण तथ्य

(i) पृथ्वी की सतह का तीन चौथाई भाग जल से ढका है।
(ii) जल नवीकरणीय संसाधन है।
(iii) पृथ्वी के अधिकतर भू भाग पर जल की उपस्थिति के कारण पृथ्वी को नीला ग्रह कहा जाता है।
(iv) विश्व के कुल जल 96.5% जल महासागर में पाया जाता है, जो लवनीय (नमकीन) होता है।

(v) विश्व के कुल जल का 2.5% जल अलवणीय (पीने लायक या मृदु या मीठा) होता है।
(vi) महासागर सबसे बड़े जल संग्रह केंद्र होते हैं। इसी कारण महासागर को जलधि की संज्ञा दी जाती है।

(vii) विश्व का अधिकांश जल दक्षिण गोलार्द्ध में पाया जाता हैं, इसलिए दक्षिणी गोलार्ध को जल गोलार्द्ध कहा जाता है।

(viii) विश्व का अधिकांश स्थल उत्तरी गोलार्द्ध में पाया जाता है, इसलिए उत्तरी गोलार्ध को स्थल गोलार्द्ध कहा जाता है।

(ix) विश्व के मृदु जल का 75% जल चादर या हिमनद के रूप में पाई जाती है, और 25% भूमिगत जल स्वच्छ जल के रूप में पाई जाती है।

(x) प्राणियों में 65% तथा पौधों में 65-99% जल का अंश विद्यमान रहता है।

जल के विविध उपयोग

(i) पेयजल
(ii) जल विद्युत निर्माण
(iii) घरेलू कार्य
(iv) सिंचाई
(v) जल कृषि
(vi) उद्योग
(vii) स्वच्छता

जल संसाधन का वितरण एवं उपयोग

(i) भारत में विश्व के लगभग 16% आबादी निवास करती है और भारत में विश्व का लगभग 4% स्वच्छ जल ही उपलब्ध है।

(ii) भारत में प्रति वर्ष 4000 घन किलोमीटर में जल वर्षा से तथा 1869 घन किलोमीटर जल भू-पृष्ठीय जल से प्राप्त होता है।

(iii) कुल पृष्ठीय जल का लगभग 2/3 भाग देश की तीन बड़ी नदियों सिंधु, गंगा और ब्रह्मपुत्र में प्रवाहित होती है।

(iv) भारत में जलाशयों का जल भंडारण क्षमता लगभग 174 अरब घन मीटर हो गई है। जो देश की स्वतंत्रता के समय 18 अरब घन मीटर थी।

(v) भारत में केवल 690 अरब घनमीटर जल का ही उपयोग कर पाता है जो कुल जल का 32% है।

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(vi) भारत के उत्तरी मैदान में पंजाब से लेकर ब्रह्मपुत्र घाटी तक सर्वाधिक भूमिगत जल पाए जाते हैं। (लगभग 42%)

(vii) भारत में 443.9 अरब घन मीटर भूमिगत जल उपलब्ध है जिसका 19% जल उत्तर प्रदेश में है।

(viii) ब्रह्मपुत्र नदी का विश्व की बड़ी नदियों में आठवां स्थान है। और गंगा नदी का विश्व की बड़ी नदियों में दसवां स्थान है।

(ix) भारत में गंगा द्रोणी में उपयोग के योग्य जल भंडारण की क्षमता सर्वाधिक हैं। ब्रह्मपुत्र नदी का सर्वाधिक वार्षिक प्रवाह होता है, लेकिन उपयोग योग्य जल कम है।

(x) उपयोग जल भंडारण क्षमता के अनुपातिक की दृष्टि से ताप्ती नदी प्रथम स्थान है।

(xi) भारत में 1951 में प्रति व्यक्ति जल की उपलब्धता 5177 घन मीटर थी जो 2001 में 1829 घन मीटर हो गई। 2025 तक प्रति व्यक्ति जल की उपलब्धता उपलब्धता 1342 घन मीटर हो जाएगी।

(xii) अब तक हम नदियों के कुल प्रवाहित जल का मात्र 8.5% ही सिंचाई और विद्युत उत्पादन में उपयोग कर सके है, शेष 91.5% जल बहकर समुद्र में चला जाता है।

(xiii) भारत में जल का सबसे अधिक उपयोग सिचाई में होता है (कुल जल उपयोग कर 84%)।

(xiv) सरकारी आंकड़ों के अनुसार, देश में औसत वार्षिक जल उपलब्धता 1,869 बिलियन क्यूबिक मीटर (बी-सी- एम) आँकी गई है।

प्राचीन भारत में जलीय कृतियाँ

(i) श्रिगवेरा (इलाहाबाद के पास) – ईसा से 1 शताब्दी पहले यहाँ गंगा नदी की बाढ़ के पानी को जमा करने के लिए बहुत अच्छा जल संग्रहण तंत्र बनाया गया था।

(ii) चंद्रगुप्त मौर्य का समय में बड़े पैमाने पर बाँध, झीलें और सिंचाई तंत्रों का निर्माण करवाया गया।

(iii) कलिंग (ओडिशा), नागार्जुनकोंडा (आंध्र प्रदेश) बेन्नूर (कर्नाटक) और कोल्हापुर (महाराष्ट्र) में उत्कृष्ट सिंचाई तंत्र होने के सबूत मिलते हैं।

(iv) अपने समय की सबसे बड़ी कृत्रिम झीलों में से एक, भोपाल झील, 11वीं शताब्दी में बनाई गई।

(v) 14वीं शताब्दी में इल्तुतमिश ने दिल्ली में सिरी फोर्ट क्षेत्र में जल की सप्लाई के लिए हौज खास (एक विशिष्ट तालाब) बनवाया।

प्रश्न 2. बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजना किसे कहते है?
उत्तर– वैसे नदी घाटी परियोजना जिनमें नदी पर बाँध बनाकर एक साथ कई काम किए जाते हैं, उसे बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजना कहते है।

नोट :- बहुउद्देशीय परियोजना को प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने आधुनिक भारत का मन्दिर कहा है।

बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजना के उद्देश्य

(i) बाढ़ नियंत्रण
(ii) परिवहन
(iii) मृदा अपरदन पर रोक
(iv) मनोरंजन
(v) पेय एवं सिंचाई हेतु जल
(vi) वन्य जीवन संरक्षण
(vii) विद्युत उत्पादन
(viii) मत्स्य पालन
(ix) उद्योग के लिए जलापूर्ति
(x) जल कृषि
(xi) पर्यटन

बहुउद्देशीय परियोजनाओं के दुष्परिणाम

(i) बड़े बाँधों से गाँव और जमीन डूब जाते हैं।
(ii) लोगों को अपना घर छोड़कर पलायन करना पड़ता है।
(iii) खेती की जमीन और जंगल नष्ट हो जाते हैं।
(iv) बाँध टूटने पर भारी बाढ़ आ सकती है।
(v) जलभराव और मिट्टी खराब होने की समस्या होती है।

भारत की प्रमुख नदी घाटी परियोजना

(i) भाखड़ा-नांगल परियोजना – सतलज नदी
(ii) हीराकुंड परियोजना – महानदी
(iii) दामोदर घाटी परियोजना – दामोदर नदी
(iv) गोदावरी परियोजना – गोदावरी नदी
(v) स्वर्णरेखा परियोजना – स्वर्णरेखा नदी
(vi) सोन घाटी परियोजना – सोन नदी

नर्मदा बचाओ आंदोलन (1988)

☛ नर्मदा और उसकी सहायक नदियों पर 30 बड़े, 135 मंझले और 300 छोटे बांध बनाने का प्रस्ताव सरकार के द्वारा 1980 के बाद रखा गया। प्रस्तावित बांधो के निर्माण से गुजरात, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के 245 गांव को डूबने की आशंका थी। इसी कारण स्थानीय लोगों ने नर्मदा नदी पर सरदार सरोवर बांध बनाने का विरोध किया। इसे ही नर्मदा बचाओ आंदोलन कहा जाता है। और इसके नेता मेघा पाटेकर थे।

प्रश्न 3. जल संकट (जलाभाव या जल दुर्लभता) किसे कहते है?
उत्तर– जल की अनुपलब्धता (कमी) को जल संकट कहते हैं। जल संकट के कारण सूखाग्रस्त की स्थिति उत्पन्न होती है।

➣ स्वीडन के एक विशेषज्ञ फॉल्कन मार्क के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति को प्रतिदिन 1000 घनमीटर जल की आवश्यकता है। इससे कम जल की अनुपलब्धता जल संकट है।

☞ 1986 में भारत सरकार ने पेयजल की समस्या से निपटने के लिए राष्ट्रीय पेयजल मिशन चालू किया, जिसका नाम 1991 बदलकर राजीव गांधी राष्ट्रीय पेयजल मिशन कर दिया गया।

जल की कमी क्यों होती है?

☛ जब पानी का बहुत ज्यादा दोहन (निकासी) किया जाता है, जब उसका गलत या जरूरत से ज्यादा उपयोग होता है और जब समाज के कुछ हिस्सों को पानी ज्यादा तथा कुछ को बहुत कम मिलता है, तब जल की कमी की समस्या उत्पन्न होती है।

⪼ बिहार और पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों में पानी का ज्यादा दोहन (निकालने) करने से उसमें आर्सेनिक (संखिया) की मात्रा बढ़ गई है। राजस्थान और महाराष्ट्र में पानी का ज्यादा उपयोग करने से उसमें फ्लोराइड की मात्रा बढ़ गई है।

☞ 2007-08 में राजस्थान में पीने का पानी रेलगाड़ियों द्वारा कई महीनों तक भेजना पड़ा था।

☛ वर्तमान समय में भारत में कुल विद्युत का लगभग 22 प्रतिशत भाग जल-विद्युत से प्राप्त होता है।

⪼ केवल कानपुर में 180 चमड़े के कारखानें हैं जो प्रतिदिन 58 लाख लीटर मल-जल गंगा में विसर्जित करती है।

➣ पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम ने ‘जल मिशन’ के तहत भूमिगत जल को भरने पर ज़ोर दिया, ताकि खेतों, गाँवों, शहरों और उद्योगों को पर्याप्त पानी मिल सके।

प्रश्न 4. जल संरक्षण एवं प्रबंधन आवश्यकताएं क्यों है ?
उत्तर :- जल संसाधन के सीमित आपूर्ति, तेजी से फैलते प्रदूषण एवं समय की मांग को देखते हुए जल संसाधन का संरक्षण एवं प्रबंधन की आवश्यकता है।

☞ जल संकट को देखते हुए 9 सितंबर 1987 में राष्ट्रीय जल नीति बनाई गई। बाद में इसे सुधारकर सन् 2002 में नई राष्ट्रीय जल नीति प्रस्तुत की गई।

☛ निम्न सिद्धांतों को ध्यान में रखकर यह योजना निर्मित किया गया।
(i) जल की उपलब्धता बनाए रखना
(ii) पानी को प्रदूषित होने से बचाया जाए
(iii) प्रदूषित जल को स्वच्छ कर उसका पुनर्चक्रण करना।

जल संरक्षण की विधियाँ

(i) भूमिगत जल की पूर्ति – भूजल का स्तर घटने न पाए, इसके लिए बारिश के पानी को जमीन में पहुँचाना।
(ii) जल संभर प्रबंधन – नदियों, तालाबों और जलाशयों में पानी को सहेज कर रखना।
(iii) तकनीकी विकास – आधुनिक तकनीक का उपयोग करके पानी की बचत करना, जैसे ड्रिप सिंचाई या स्प्रिंकलर प्रणाली।

प्रश्न 5. वर्षा जल (पालर पानी) संग्रहण किसे कहते है?
उत्तर– वर्षा के जल को जमा करके रखने को वर्षा जल संग्रहण कहते है। मेघालय स्थित चेरापूंजी एवं मसिनराम में विश्व की सर्वाधिक वर्षा होती है।

(i) हमारे देश के भूमिगत जल (ज़मीन के नीचे का पानी) का लगभग 22% हिस्सा बारिश का पानी जमीन में समा जाने से भरता है।

(ii) राजस्थान के बिसनो, फलोदी और बाड़मेर जैसे शुष्क क्षेत्रों में वर्षा जल को एकत्रित करने के लिए गड्ढे का निर्माण किया गया है, जिसे टांका कहा जाता है। इसे जैसलमेर में खादीन तथा अन्य क्षेत्रों में जोहड़ कहा जाता है।

(iii) राजस्थान में वर्षा जल संग्रहण का कार्य तरुण भारत संघ नामक N.GO. (Non-Governmental Organisation) कर रही है।

(iv) राजस्थान और मेघालय में वर्षा जल का संग्रहण छत पर किया जाता है। जहाँ पेय जलसंकट का निवारण लगभग (25%) छत जल संग्रहण से होता है।

(v) मेघालय की राजधानी शिलांग से चेरापूँजी और मॉसिनराम 55 किलोमीटर की दूरी पर ही स्थित है और यह शहर पीने के जल की कमी की गंभीर समस्या का सामना करता है। शहर के लगभग हर घर में छत वर्षा जल संग्रहण की व्यवस्था है।

(vi) तमिलनाडु एक ऐसा राज्य है जहाँ पूरे राज्य में हर घर में वर्षाजल संग्रहण ढांचा बनाना आवश्यक कर दिया गया, जो व्यक्ति ऐसा नहीं करेंगे उसपर कानूनी कार्यवाह की जाएगी।

(vii) मेघालय में नदियों व झरनों के जल को बाँस के बने पाइपों द्वारा एकत्रित करके सिंचाई करने को बाँस ड्रिप सिचांई कहते है।

बिहार की प्रमुख नदी घाटी परियोजना

(i) सोन परियोजना
(ii) गंडक परियोजना
(iii) कोसी परियोजना

सोन परियोजना

(i) सोन नदी घाटी परियोजना बिहार की सबसे पहली परियोजना है। इस परियोजना का विकास ब्रिटिश सरकार ने 1874 ईस्वी में किया था।

(ii) इस परियोजना के तहत डेहरी से पूर्व और पश्चिम की ओर नहरें निकाली गईं, जिनकी कुल लंबाई 130 किमी है।

(iii) पूर्वी नहर से पटना, गया और औरंगाबाद जिलों की करीब 3 लाख हेक्टेयर ज़मीन सिंचाई पाती है।

(iv) पश्चिमी नहर से तीन शाखाएँ निकलीं – पहली शाखा से भोजपुर जिला सिंचित होता है। दूसरी शाखा से बक्सर जिला और तीसरी शाखा से चौसा क्षेत्र सिंचित होता है।

(v) इस तरह ये नहरें रोहतास, बक्सर और भोजपुर जिलों को पानी देती हैं।

(vi) 1968 में इंद्रपुरी (डेहरी से 10 किमी दूर) में एक बांध बनाया गया और इसे बहुउद्देशीय परियोजना बना दिया गया।

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(vii) इसके कारण यह इलाका, जो पहले सुखा पड़ता था, अब “बिहार का चावल का कटोरा”(Rice bowl of Bihar) कहलाने लगा।

(viii) परियोजना के तहत बिजली उत्पादन भी किया गया। पश्चिमी नहर पर बने शक्ति गृह से 6.6 मेगावाट बिजली बनती है। इसका उपयोग डलमियानगर के बड़े कारखानों में होता है।

(ix) पूर्वी नहर पर बारुन में शक्ति गृह बनाए गए, जहाँ से 3.3 मेगावाट बिजली पैदा होती है।
(x) पहले इंद्रपुरी जलाशय योजना को कदवन जलाशय योजना कहा जाता था।

(xi) भविष्य में यहाँ एक और बांध बनाने की योजना है, जिससे – सिंचाई और बेहतर हो सकेगी। और लगभग 450 मेगावाट बिजली का उत्पादन भी होगा।

(xii) यह परियोजना तीन राज्यों (बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश) से जुड़ी है। इसमें बिहार और झारखंड ने सहमति दे दी है, लेकिन उत्तर प्रदेश की सहमति अभी बाकी है।

(xiii) बिहार सरकार ने इस योजना को लागू करने के लिए राष्ट्रीय जल विद्युत निगम (NHPC) को शर्तों के साथ मंजूरी दी है। NHPC बांध बनाकर बिजली उत्पादन करेगा और जल संसाधन विभाग नहरों से सिंचाई करेगा। परियोजना की मंजूरी की प्रक्रिया चल रही है और इसका प्रबंधन बिहार जल विद्युत परियोजना (BHPC) भी कर रहा है।

Bharati bhawan Topic

☞ स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत की प्रमुख नदी घाटी परियोजनाएँ

(i) दामोदर घाटी परियोजना (DVC) = यह स्वतंत्र भारत की पहली नदी घाटी परियोजना है। दामोदर नदी झारखंड से निकलकर पश्चिम बंगाल में हुगली तक जाती है। इसे पहले “शोक नदी” कहा जाता था, क्योंकि यह बार-बार विनाशकारी बाढ़ लाती थी। इस घाटी में विशाल कोयले और लौह अयस्क के भंडार पाए जाते हैं। प्रमुख तापीय विद्युत केंद्र बोकारो, चंद्रपुरा, दुर्गापुर है।

(ii) भाखड़ा नांगल परियोजना = सतलज नदी पर, हिमाचल प्रदेश–पंजाब सीमा के निकट स्थित है। भाखड़ा बाँध की ऊँचाई 226 मीटर है, जो संसार के सर्वोच्च बाँधों में से एक है। इस बाँध से गोबिंद सागर झील (गुरु गोबिंद सिंह के नाम पर) बना है। यह भारत की सबसे बड़ी बहुउद्देशीय परियोजना है। इससे 60 लाख हेक्टेयर भूमि की सिचाई होती है।

⪼ यहां चार शक्तिगृह बनाए गए – एक भाखड़ा में, दो गंगुवाल में और एक कोटला में। विद्युत उत्पादन क्षमता 1,275 मेगावाट है। इससे पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान और जम्मू-कश्मीर को लाभ पहुँचा।

(iii) हीराकुद (हीराकुड) परियोजना = ओडिशा में महानदी पर स्थित है। यह संसार का सबसे लंबा बाँध है, जिसकी लंबाई 4,801 मीटर है। इसकी बिजली उत्पादन क्षमता 270 मेगावाट है।

(iv) कोसी परियोजना = उत्तर बिहार की अभिशप्त नदी कोसी पर आधारित है। इसके मुख्य उद्देश्य – बाढ़ नियंत्रण, सिचाई, भूमि संरक्षण, मलेरिया नियंत्रण और जलविद्युत उत्पादन हैं। विद्युत उत्पादन क्षमता 20,000 किलोवाट है, जिसमें से आधी बिजली नेपाल को दी जाती है।

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(v) चंबल घाटी परियोजना = यह चंबल नदी पर बनाई गई है। इसमें तीन बाँध गांधी सागर, राणा प्रताप सागर और कोटा बनाए गए है। इससे राजस्थान और मध्य प्रदेश में सिचाई तथा मिट्टी संरक्षण हुआ। सिचाई क्षमता 5 लाख हेक्टेयर है।

(vi) तुंगभद्रा परियोजना = यह कर्नाटक में स्थित है, दक्षिण भारत की सबसे बड़ी नदी घाटी परियोजना है। तुंगभद्रा नदी पर (मल्लापुरम के पास) 21 किलोमीटर लंबा बाँध बनाया गया। यह कर्नाटक और आंध्र प्रदेश की संयुक्त परियोजना है। इससे 4.9 लाख हेक्टेयर भूमि की सिचाई होती है। सैकड़ों छोटे-बड़े उद्योगों को बिजली मिलती है। विद्युत उत्पादन लगभग 1 लाख किलोवाट होता है।

(vii) नागार्जुन सागर परियोजना = कृष्णा नदी पर, आंध्र प्रदेश के गुंटूर और तेलंगाना के नलगोंडा जिले के बीच स्थित है। इसका नाम बौद्ध भिक्षु नागार्जुन के नाम पर रखा गया है। इससे 9 लाख हेक्टेयर भूमि की सिचाई होती है।

(viii) इंदिरा गांधी नहर परियोजना (राजस्थान नहर परियोजना) = इसका मुख्य उद्देश्य शुष्क भूमि को हरा-भरा बनाना और सिचाई की सुविधा प्रदान करना है। रावी और व्यास नदियों का जल सतलज में मिलाकर इस नहर का निर्माण किया गया है। इसका नाम इंदिरा गांधी के नाम पर रखा गया। यह संसार की सबसे लंबी नहर (लगभग 500 किमी लंबी) है। राजस्थान के गंगानगर, बीकानेर और जैसलमेर जिलों में सिचाई की सुविधा देती है। इसे राजस्थान नहर भी कहा जाता है।

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(ix) रिहंद परियोजना (उत्तर प्रदेश) = रिहंद परियोजना उत्तर प्रदेश में सोन नदी की सहायक नदी रिहंद पर बनाई गई है। इस परियोजना के अंतर्गत पिपरी नामक स्थान पर 990 मीटर लंबा और 92 मीटर ऊँचा बाँध बनाया गया है। यह बाँध सोन और रिहंद नदियों के संगम से 45 किलोमीटर तथा मिर्जापुर से लगभग 160 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

☛ बाँध से एक कृत्रिम झील बनी, जिसका नाम गोविंद बल्लभ पंत सागर रखा गया है। गोविंद बल्लभ पंत सागर भारत की सबसे बड़ी कृत्रिम झील है। इस झील में 10 लाख हेक्टेयर मीटर जल संचित करने की क्षमता है। रिहंद बाँध ओबरा (Obra) में बनाया गया है।

(x) शरावती नदी घाटी परियोजना (कर्नाटक) = शरावती नदी घाटी परियोजना कर्नाटक राज्य में शरावती नदी पर बनाई गई है। यह बाँध प्रसिद्ध जरसोपा (जोग) जलप्रपात से कुछ दूरी पर स्थित है। इस बाँध की लंबाई 2,160 मीटर और ऊँचाई 62 मीटर है।

☞ इस परियोजना से 9 लाख किलोवाट बिजली का उत्पादन किया जाता है। अमेरिका की बड़ी जलविद्युत परियोजनाओं के बाद यह विश्व की सबसे बड़ी परियोजनाओं में से एक है। इस परियोजना से दक्षिण भारत के सभी राज्यों के औद्योगिक विकास में तेज़ी आई है।

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दोस्तों उम्मीद करता हूं कि ऊपर दिए गए कक्षा 10वीं के हमारी दुनिया के पाठ 01 (ख) जल संसाधन (Jal Sansadhan) का नोट्स और उसका प्रश्न को पढ़कर आपको कैसा लगा, कॉमेंट करके जरूर बताएं। धन्यवाद !

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