आखिर तिरुपति बालाजी में लोग अपने बाल क्यों दान करते हैं? God Amazing fact in Hindi।
एक पौराणिक कथा के अनुसार जब माता लक्ष्मी भगवान विष्णु से रूठ कर पृथ्वी लोक चली गई। तब भगवान विष्णु उन्हें मनाने के लिए वैंकटेश रूप धारण करके पृथ्वी लोक पहुंच गए और चीटियों के टीले में निवास करने लगी।
उसी टीले पर एक गाय रोज आकर अपना दूध वहां गिराने लगी, जिसे पीकर वैंकटेश अपना पेट भरते थे। लेकिन एक दिन उस गाय के मालिक ने उस गाय को ऐसा करते देख लिया। तब उसने क्रोधित होकर अपनी कुल्हाड़ी से उस गाय पर प्रहार कर दिया।
उस कुल्हाड़ी के प्रहार से भगवान वेंकटेश के सिर पर चोट आ गई। साथ ही उस जगह के बाल भी गिर गए। जब गंधर्व की राजकुमारी नीला देवी ने यह देखा तो उन्होंने अपने सर के बाल को उखाड़ कर, अपनी शक्ति से बाला जी के सिर पर लगा दिया।
जिसे भगवान विष्णु का सर ठीक हो गया। तब भगवान बाला जी ने निला देवी से कहा कि आपने मेरे लिए अपने शारीरिक सुंदरता का परित्याग किया है। और यह त्याग, युगों युगों तक बना रहेगा।
लेकिन दोस्तों लोगों ने इस कहानी से त्याग का अर्थ तो कुछ सीखा ही नहीं। और केवल बालों का त्याग समझकर अपने बालों को दान करने लगे। God Amazing fact in Hindi।
हिंदु इतिहास के 5 सबसे बड़े महादानी
- number 5 दैत्यराज बलि, दोस्तों जब भगवान विष्णु के वामन अवतार ने दो पग में संपूर्ण पृथ्वी और स्वर्गों को नाप लिया। तब राजा बलि ने अपने वचन को पूरा करने के लिए, उनके तीसरे पग को रखने के लिए अपना सिर आगे कर दिया।
- Number 4, महारिषि दधीची, जब देवराज इंद्र को वृतासुर राक्षस के वध करने के लिए एक दिव्य अस्त्र की आवश्यकता थी। तब उस अस्त्र के लिए महर्षि दधीचि जी ने अपने प्राणों का त्याग कर अपनी हड्डियों से वज्र अस्त्र का निर्माण किया था।
- Number 3 एकलव्य, दोस्तों जब गुरु द्रोणाचार्य ने एकलव्य से उसका अंगूठा मांगा तब एकलव्य बिना सोचे अपना अंगूठा काटकर गुरु द्रोणचार्य को सौंप दिया था।
- Number 2 सूर्य पुत्र कर्ण, दोस्तों कर्ण ने देवराज इंद्र को अपना सोने का कवच और कुंडल काटकर दान में दे दिया था। तथा माता कुंती को उन्होंने दान के रूप में चार पांडवों का जीवन दिया।
- number 1 बर्बरीक, दोस्तों बर्बरीक ने हारे हुए पक्ष की ओर से युद्ध लड़ने का प्रण लिया था। अतः महाभारत को असंतुलित होने से बचाने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने बर्बरीक से उसका सर दान में मान लिया। और बर्बरीक ने हंसते हुए अपना सर काट कर दे दिया था।
महादेव के चार सबसे बड़े भक्त।
- Number 4, नंदी, दोस्तों नंदी महादेव की सेवा में हमेशा तत्पर रहते हैं, शायद ही महादेव का ऐसा कोई मंदिर होगा जहां भगवान नंदी की प्रतिमा न मौजूद हो।
- Number 3 भगवान विष्णु, दोस्तों महादेव भगवान विष्णु के आराध्य देव है। एक बार भगवान विष्णु महादेव के लिए अपने आंखें निकाल कर अर्पित करने ही वाले थे कि महादेव ने उन्हें ऐसा करने से रोक दिया। और उन्हें वरदान में सुदर्शन चक्र दिया था।
- Number 2, भीम राज कनप्पा, दोस्तों कनप्पा महादेव का परम भक्त था। एक बार महादेव की शिवलिंग से खून निकलने पर उसने अपनी दोनों आंखें निकाल कर शिवलिंग पर चढ़ा दी थी। तब महादेव ने प्रसन्न होकर उसे दर्शन दिए थे और उसकी आंखें भी लौटा दिए थे।
- Number 1 रावण, दोस्तों रावण से बड़ा शिव भक्त आज तक कोई नहीं हुआ। लोग जल और बेल पत्र से महादेव की पूजा करते हैं, लेकिन रावण महादेव को अपना शीश काट काट कर चढ़ाता था। और दोस्तों रावण ने ही शिव पांडवों की रचना की थी। तो दोस्तों अगर आप भी महादेव के भक्त तो comment में हर हर महादेव अवश्य लिखें। God Amazing fact in Hindi।
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भगवान विष्णु का वैकुंठ धाम कहा है।
दोस्तों आपने कभी सोचा है कि भगवान विष्णु का वैकुंठ धाम कहा है। जैसे की आपको पता होगा कि भगवान विष्णु के निवास स्थान को वैकुंठ धाम कहा जाता है। और इसी वैकुंठ धाम के तीन जगह बताई गई है।
- Number 1। पहली वैकुंठधाम। धरती पर जगह जगन्नाथ, बदरीनाथ और द्वारका पूरी को भी वैकुंठधाम कहा जाता है।
- number 2। दूसरे वैकुंठधाम। इसे हमारे धर्म ग्रंथों में ब्रह्मांड से पार और तीनों लोगों से ऊपर बताया गया है। इसकी देख रेख के लिए भगवान के 96 करोड़ पार्षद तैनात है। और यहां भगवान श्री हरि विष्णु अपनी पत्नी माता लक्ष्मी के साथ निवास करते हैं।
- Number 3 तीसरा वैकुंठ धाम। भगवान श्री कृष्ण ने द्वारका के बाद एक और नगर बसाया था। जिसे वैकुंठ नगर कहा जाता था। कुछ इतिहासकारों के मुताबिक अरावली की पहाड़ी श्रृंखला पर वही वैकुंठ धाम बसाया गया था। जहां कोई इंसान नहीं बल्कि केवल साधु संत रहा करते थे। हालांकि भारत के सबसे प्राचीन पर्वत अरावली का ही पर्वत है। और माना जाता है कि भगवान श्री कृष्ण यहीं पर अपना वैकुंठ धाम बसाया था। दोस्तों आपको इस बारे में क्या क्या हाल है. इस video को like करें और साथ ही साथ comment में जया श्री हरि ज़रूर लिखे।
आखिर महादेव पुत्र जालंधर का जन्म कैसे हुआ। जाने पूरी कहानी।
दोस्तों एक बार भगवान शिव ने अपना सारा तेज समुद्र में फ़ेंक दिया। इस तेज से महाशक्तिशाली जालंधर का जन्म हुआ। जालंधर की पत्नी वृंदा की पतिव्रता की शक्ति के कारण सभी देवी देवता मिलकर भी उसे नहीं मार सकते थे।
और जालंधर को इस बल का अभिमान हो गया। और वह कैलाश पर्वत जाकर माता पार्वती को अपनी पत्नी बनाने का आग्रह करने लगा। इससे माता पार्वती अत्यंत क्रोधित हो गई और उन्होंने महादेव को जालंधर का वध करने को कहा।
किंतु वृंदा के सत्यत्वत के कारण भगवान शिव का हर प्रहार जालंधर पर बेकार हो जाता था। तब भगवान विष्णु जालंधर का वेश धारण कर के वृंदा के पास पहुंच गए। वृंदा भगवान विष्णु को अपना पति जालंधर मानकर उनके साथ पत्नी के समान व्यवहार करने लगी।
जिससे वृंदा का पतिव्रता धर्म टूट गया और उसी समय भगवान शिव ने अपने राक्षस पुत्र जालंधर का वध कर दिया। दोस्तों comment section में हर हर महादेव और जय श्री विष्णु लिखना ना भूले। God Amazing fact in Hindi।