आज के इस पोस्ट में हमलोग कक्षा 9वीं अर्थशास्त्र का पाठ ‘बिहार के एक गांव की कहानी’ का नोट्स को देखने वाले है। fatehpur aur palampur
बिहार के एक गांव की कहानी |
प्रश्न 1. अर्थशास्त्र किसे कहते है?
उत्तर– सामाजिक विज्ञान की वह शाखा है, जिसमें वस्तुओं एवं सेवाओं के उत्पादन, वितरण, विनिमय, आय एवं बचत के बारे में अध्ययन करते हैं, उसे अर्थशास्त्र कहते है।
👉 अर्थशास्त्र का विकास इंग्लैंड में हुआ। और अर्थशास्त्र का जनक “एडम स्मिथ ” को कहा जाता है।
☞ श्री फतेहश्वर नारायण सिंह एक प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी, कर्मठ एवं आदर्श व्यक्ति थे। उन्हीं के नाम पर फतेहपुर गाँव का नाम “फतेहपुर” पड़ा।
➣ फतेहपुर गाँव अन्य गाँव, कस्बों की तुलना में काफी विकसित है। यहाँ सड़क, परिवहन के साधनों, बिजली, सिंचाई, विद्यालयों, कॉलेज और स्वास्थ्य केन्द्रों आदि मौजूद है।
⪼ अर्थव्यवस्था का अर्थ धन का इंतजाम करना होता है। और धन का इंतजाम वस्तु का उत्पादन करके या सेवा देकर किया जाता है।
👉 भारत की अर्थव्यवस्था विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। भारत, अमेरिका तथा चीन के बाद आता है। क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत विश्व में 7वें और जनसंख्या की दृष्टि से 2वें स्थान पर है।
प्रश्न 2. उत्पादन किसे कहते है?
उत्तर– जब मानवीय आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु किसी वस्तु का निर्माण किया जाता है, तो उसे उत्पादन कहते है।
या
☞ जब मनुष्य अपने आर्थिक प्रयास से प्रकृति द्वारा उपलब्ध वस्तुओं में परिवर्तन लाकर उन्हें अधिक उपयोगी बनाता है, तो उसे उत्पादन कहते हैं।
👉 उत्पादन के निम्नलिखित पाँच साधन हैं ।
(i) भूमि (Land)
(ii) श्रम (Labour)
(iii) पूँजी (Capital)
(iv) व्यवस्था या संगठन (Organisation)
(v) उद्यम या साहस (Enterprise)
भूमि (Land)
प्रश्न 3. भूमि किसे कहते है?
उत्तर– उत्पादन के लिए सर्वप्रथम भूमि की आवश्यकता पड़ती है। और प्रकृति द्वारा मुफ्त में दी गयी चीजों को भूमि कहा जाता है। भूमि एक स्थिर (सीमित) संसाधन है।
☞ प्रो० मार्शल के अनुसार “भूमि का मतलब केवल जमीन की ऊपरी सतह नहीं बल्कि उन सभी पदार्थों से है, जिन्हें प्रकृति ने मानव की सहायता के लिए (भूमि, जल, वायु, प्रकाश तथा गर्मी) मुफ़्त में प्रदान किया है।”
👉 भूमि मापने की इकाई हेक्टेयर है। एक हेक्टेयर, 100 मीटर की भुजा वाले वर्ग के क्षेत्रफल के बराबर होता है। भारत में कुल कृषि क्षेत्र के 40 प्रतिशत से भी कम क्षेत्र में ही सिंचाई होती है। शेष क्षेत्रों में खेती मुख्यतः वर्षा पर निर्भर है।
⪼ भौतिक साधनों के निर्माण में प्रकृति का अत्यधिक दोहन होता है। जैसे-एक मकान के निर्माण के लिए अनेक वृक्षों को काटना पड़ता है।
प्रश्न 4. बहुविध फसल प्रणाली किसे कहते है?
उत्तर– एक वर्ष में किसी भूमि पर एक से ज्यादा फसल पैदा करने को बहुविध फसल प्रणाली कहते हैं।
श्रम (Labour)
➣ श्रम उत्पादन का दूसरा महत्वपूर्ण साधन है। श्रम के बिना किसी प्रकार का उत्पादन सम्भव नहीं है। श्रम दो प्रकार के होते है (i) शारीरिक श्रम (ii) मानसिक श्रम
प्रश्न 5. मजदुरी किसे कहते है?
उत्तर– राष्ट्रीय आय का वह हिस्सा जो श्रमिकों को उनके परिश्रम के लिए दिया जाता है, उसे मजदुरी कहते है। श्रम शारीरिक या मानसिक हो सकती है।
☞ प्रो० मार्शल (Marshall) के अनुसार- “श्रम का मतलब मनुष्य के आर्थिक कार्य से है, चाहे वह हाथ से किया जाय या मस्तिष्क से“
पूंजी (Capital)
⪼ साधारण बोलचाल की भाषा में पूँजी का मतलब रुपये या पैसे से लगाया जाता है। लेकिन इसके अलावा बीज, कच्चा माल, मशीन, कारखाने, मकान आदि पूँजी के अन्तर्गत ही आते हैं।
☞ प्रो० मार्शल (Marshall) के अनुसार–”प्रकृति की निःशुल्क देन को छोड़कर वह सब सम्पत्ति जिससे आय प्राप्त होती है, उसे पूँजी कहते है।“
➣ भूमि से लगान के रूप में, श्रम से मजदूरी के रूप में, पूँजी से ब्याज के रूप में, व्यवस्थापक (नौकरी) से वेतन के रूप में तथा उद्यमी से ‘लाभ’ या ‘हानि’ के रूप में आय प्राप्त होता है।
संगठन (Organisation)
👉 भूमि, श्रम एवं पूँजी उत्पादन के साधन हैं, लेकिन उत्पादन के लिए आवश्यकता यह है कि इन्हें एकत्रित कर उत्पादन कार्य में लगाया जाए। संगठन उत्पादन प्रक्रिया का एक सक्रिय साधन माना गया है।
प्रश्न 6. संगठन किसे कहते है?
उत्तर– उत्पादन के विभिन्न साधनों को एकत्रित कर उन्हें उत्पादन में लगाने की क्रिया को व्यवस्था (संगठन) कहते हैं। और जो व्यक्ति यह कार्य करता है, उसे व्यवस्थापक अथवा संगठनकर्त्ता कहते हैं।
साहसी या उद्यमी
☞ उत्पादन करने में संगठनकर्ता (उत्पादनकर्त्ता) का मुख्य उद्देश्य लाभ प्राप्त करना होता है। लेकिन उत्पादन में घाटा भी हो सकता है। अर्थात् उत्पादन कार्य जोखिम से भरा हुआ होता है।
⪼ उत्पादन में जोखिम उठाने के कार्य को साहस कहते हैं, तथा जो व्यक्ति इस जोखिम को उठाता है उसे साहसी या उद्यमी कहते हैं।
उत्पादन के साधनों का महत्व
☞ प्राचीन काल में भूमि का महत्व ज़्यादा था, और जब जनसंख्या बढ़ी, तो लोगों को खेती करनी पड़ी और खुद से अनाज उगाना पड़ा। तो इसके लिए मेहनत (श्रम) ज़रूरी हो गई।
जिससे श्रम का महत्व बढ़ा। और इसके बाद खेती, कारखानों आदि के लिए पैसा (पूँजी) लगाना पड़े। और बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए ज़मीन, श्रम और पूँजी को सही तरह से जोड़ना पड़ा।
उत्पादन व उपयोगिता सृजन के तरीके
(i) रूप उपयोगिता = किसी वस्तु के रूप या आकार को बदलकर उपयोगी बनाना। जैसे- गेहूँ से आटा बनाना।
(ii) स्थान उपयोगिता = वस्तु को वहाँ पहुँचाना जहाँ उसकी ज़रूरत है। जैसे- गाँव से अनाज शहर में लाना।
(iii) समय उपयोगिता = वस्तु को सही समय पर इस्तेमाल के लिए रखना। जैसे- अनाज को सही समय तक भंडार करना।
(iv) स्वामित्व उपयोगिता = वस्तु का मालिक बदलना। जैसे- बाज़ार में वस्तु बेचना और ग्राहक उसका मालिक बन जाता है।
(v) सेवा उपयोगिता = सेवाएँ देना। जैसे- डॉक्टर का इलाज करना या बस ड्राइवर का बस चलाना।
(vi) ज्ञान उपयोगिता = सही जानकारी देना। जैसे- विज्ञापन या सलाह से ग्राहक को सही जानकारी मिलती है।
वस्तुओं एवं सेवाओं का वर्गीकरण
☞ वस्तुओं को दो वर्गों में विभाजित किया जाता है।
(i) उपभोग की वस्तुएँ = वैसी वस्तुएं जिन्हें लोग अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए इस्तेमाल करते हैं, उसे उपभोग की वस्तुएँ कहते है। जैसे– भोजन, कपड़े, जूते, घर, साबुन आदि।
☞ उपभोग की वस्तुएँ दो प्रकार की होती है। (क) एकल प्रयोग वस्तु (गैर टिकाऊ वस्तुएँ) और (ख) टिकाऊ वस्तुएँ।
(ii) उत्पादक वस्तुएँ = वैसी वस्तुएं जिनका उपयोग नई वस्तुओं के उत्पादन में किया जाता है, उसे उत्पादक वस्तुएँ कहते है। जैसे– मशीनें, औजार, कच्चा माल, कारखाने, खेती के औजार आदि।
☞ यह बार-बार इस्तेमाल की जा सकती हैं और दूसरी चीजें बनाने में मदद करती हैं। उत्पादक वस्तुएँ दो प्रकार की होती है। (क) एकल प्रयोग वस्तु (गैर टिकाऊ वस्तुएँ) और (ख) टिकाऊ वस्तुएँ।
पालमपुर गाँव का परिचय
☞ पालमपुर के लोगों का मुख्य पेशा कृषि है। यहां पर 75 प्रतिशत लोग कृषि कार्य करते हैं। गाँव में 450 परिवार रहते है । 150 परिवारों के पास, खेती के लिए भूमि नहीं है। बाकी 240 परिवारों के पास 2 हेक्टेयर से कम क्षेत्रफल वाले छोटे भूमि के टुकड़े हैं।
⪼ गांव की कुल जनसंख्या का एक तिहाई भाग दलित है। इनके घर गांव के एक कोने में छोटे घर होते हैं जो कि मिट्टी और फूस से होते हैं। पालमपुर गांव में एक हाई स्कूल, दो प्राथमिक विद्यालय, एक स्वास्थ्य केन्द्र और एक निजी अस्पताल भी है।
➣ पालमपुर गांव में 25 प्रतिशत लोग गैर कृषि कार्यों में लगे हुए हैं जैसे डेयरी दुकानदारी, लघुस्तरीय निर्माण, उद्योग, परिवहन इत्यादि।
प्रश्न 7. स्थायी पूँजी किसे कहते है?
उत्तर– वैसी वस्तु जिनका इस्तेमाल बार-बार किया जाता है, और लंबे समय तक चलती हैं, उसे स्थायी पूंजी कहते है। जैसे:- मशीनें, बिल्डिंग (कारखाने, गोदाम), ट्रैक्टर
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प्रश्न 8. कार्यशील पूँजी किसे कहते है?
उत्तर– वैसी वस्तु जो रोज़मर्रा के काम में आती हैं और जिनका उपयोग एक ही बार होता है, उसे कार्यशील पूँजी कहते है। जैसे:- कच्चा माल, मज़दूरी, बिजली-पानी का खर्चा
प्रश्न 9. मानव पूँजी किसे कहते है?
उत्तर– मानव पूँजी का मतलब होता है लोगों का ज्ञान, हुनर और स्वास्थ्य। जैसे:- अगर किसान या मज़दूर को नई तकनीक आती है, किसी डॉक्टर या इंजीनियर की पढ़ाई-लिखाई, किसी कारीगर का हुनर
👉 फसल मौसम के आधार पर तीन प्रकार का होता है-
(i) खरीफ फसल – वर्षा ऋतु (जून-जुलाई) में उपजाई जाने वाली फसल को खरीफ फसल कहते है। जैसे- चावल, ज्वार आदि।
(ii) रबी फसल – शीत ऋतु (अक्तूबर-नवम्बर) में उपजाई जाने वाली फसल को रबी फसल कहते है। जैसे- गेहूँ, जौ, आलू, चना, मसूर, मटर व सरसों आदि।
(iii) जायद फसल – ग्रीष्म ऋतु (मार्च-अप्रैल) में उपजाई जाने वाली फसल को जायद फसल कहते है। जैसे- तरबूज, खीरा, खरबूजा, ककड़ी, मूंग, सूरजमुखी इत्यादि।
खेती के परम्परागत तरीके
(i) कृषि में पारम्परिक बीजों का प्रयोग ।
(ii) कम सिचांई की आवश्यकता ।
(iii) उर्वरको के रूप में गाय के गोबर तथा खाद का प्रयोग ।
(iv) पारम्परिक हल का प्रयोग ।
(v) कुओं नदी, रहट, तालाब से सिंचाई ।
खेती के आधुनिक तरीके
(i) कृषि में अधिक उपज देने वाले HYV का प्रयोग।
(ii) अधिक सिंचाई की आवश्यकता।
(iii) रासायनिक खाद और कीटनाशकों का प्रयोग।
(iv) मशीनों का प्रयोग।
(v) नलकूपों और पम्पिंग सेट के द्वारा सिंचाई।
हरित क्रान्ति से भारतीय कृषि पर पड़े प्रभाव
(i) हरित क्रान्ति द्वारा भारतीय कृषकों ने अधिक उपज वाले बीजो (HYV के द्वारा) गेहुँ और चावल की खेती करना सीखा।
(ii) परम्परागत बीजों की तुलना में HYV अधिक उपज देने वाला बीज था।
(iii) किसानों ने कृषि में ट्रेक्टर और फसल काटने की मशीनों का उपयोग करना प्रारम्भ कर दिया।
(iv) रसायनिक खादों का प्रयोग करना शुरू किया।
हरित क्रान्ति से मृदा को नुकसान
(i) रासायनिक उर्वरकों के कारण मृदा की उर्वरता नष्ट होने लगी।
(ii) जल के अधिक प्रयोग से भौमजल स्तर नीचे गिरने लगा।
(iii) रासायनिक उवर्रक पानी में घुलकर मिट्टी के द्वारा नीचे चले जाते हैं और जल को दुषित करते हैं।
(iv) इससे बैक्टीरिया और सूक्ष्म जीवाणु नष्ट होते हैं जो मिट्टी के लिए उपयोगी हैं। उर्वरकों के अति प्रयोग से भूमि खेती के योग्य नहीं रहती।
पालमपुर गांव में भूमिहीन किसानों का संघर्ष
☞ पालमपुर गांव के भूमिहीन किसान दैनिक मज़दूरी पर काम करने के लिये मजबूर है। उन्हें अपने लिए प्रतिदिन काम ढूंढना पड़ता है। सरकार द्वारा मज़दूर की दैनिक दिहाड़ी न्यूनतम 60 रुपया निर्धारित की गई है। लेकिन 35-40 रुपये ही मिलते है।
पालमपुर के दुकानदार
☞ दुकानदार प्रतिदिन वस्तुओं को थोक रेट पर खरीदते है और गाँव में बेचते है। पालमपुर में ज्यादा लोग व्यापार नहीं करते है। गाँव में छोटे जनरल स्टोर में चावल, गेहूँ, चाय, तेल आदि चीजें मिलती हैं।
पालमपुर गांव में गैर कृषि क्रियाएं
(i) डेयरी = पालमपुर गांव के लोग भैंस पालते हैं और दूध को निकट के बड़े गांव रायगंज के दूध संग्रहण केंद्र में बेचते हैं।
(ii) लघु स्तरीय विनिर्माण = पालमपुर में निर्माण कार्य छोटे पैमाने पर किया जाता है और गांव के लगभग 50 लोग विनिर्माण कार्यों में लगे हुए हैं।
(iii) कुटीर उद्योग = गांव में गन्ना पेरने वाली मशीन लगी है। यह मशीनें बिजली से चलाई जाती है। किसान स्वयं उगाए तथा दूसरों से गन्ना खरीद कर गुड़ बनाते हैं और सहायपुर में व्यापारियों को बेचते हैं।
(iv) व्यापार कार्य = पालमपुर के व्यापारी शहरों के थोक बाजारों से अनेक प्रकार की वस्तुएं खरीदते हैं तथा उन्हें गांव में लाकर बेचते हैं।
(v) परिवहन = पालमपुर के लोग अनेक प्रकार के वाहन चलाते हैं जैसे– रिक्शा, जीप, ट्रैक्टर आदि
(vi) प्रशिक्षण सेवा = पालमपुर गांव में एक कंप्यूटर केंद्र खुला हुआ है इस केंद्र में कंप्यूटर प्रशिक्षण के रूप में दो कंप्यूटर डिग्री धारक महिलाएं भी काम करती हैं। बहुत संख्या में गांव के विद्यार्थी वहां कंप्यूटर सीखने भी आते हैं।
पालमपुर में लघुस्तरीय विनिर्माण उद्योग की विशेषताएँ
(i) सरल उत्पादन विधियों का इस्तेमाल।
(ii) ज़्यादातर काम घर पर ही परिवार के लोग मिलकर करते हैं।
(iii) श्रमिकों को भी कई बार किराए पर रखा जाता है।
(iv) इसके लिए बहुत ज़्यादा पैसा (पूँजी) नहीं चाहिए होता है।
(v) कम समय में तैयार माल।
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दोस्तों उम्मीद करता हूं कि ऊपर दिए गए कक्षा 9वीं के अर्थशास्त्र के पाठ 01 बिहार के एक गांव की कहानी (fatehpur aur palampur) का नोट्स और उसका प्रश्न को पढ़कर आपको कैसा लगा, कॉमेंट करके जरूर बताएं। धन्यवाद !