आज के इस पोस्ट में हमलोग कक्षा 10वीं भूगोल का पाठ ‘भारत : संसाधन एवं उपयोग’ का नोट्स को देखने वाले है। bharat sansadhan avn upyog
भारत : संसाधन एवं उपयोग |
प्रश्न 1. संसाधन किसे कहते है?
उत्तर– ऐसे वस्तु या पदार्थ जिसका उपयोग मानव अपनी आवश्यकता को पूरा करने के लिए करता है, उसे संसाधन कहते है। सेवा भी एक प्रकार का संसाधन हैं ।
☞ भूगोलविद, जिम्मरमैन का कथन – “संसाधन होते नहीं; बनते हैं।“
⪼ संसाधन किसी भी देश का आर्थिक-समाजिक मेरुदंड होता हैं। और संसाधन भौतिक (भूमि, मृदा, जल) या जैविक (वनस्पति, जीव-जंतु) दोनों हो सकता हैं।
👉 संसाधन तीन प्रकार के होते है।
(i) प्राकृतिक (प्रकृतिप्रदत्त) संसाधन:- वैसे संसाधन जो प्रकृति द्वारा प्रदान किया गया है, उसे प्राकृतिक संसाधन कहते है। जैसे- भूमि, हवा, पानी
(ii) मानव निर्मित संसाधन:- वैसे संसाधन जो मानव के द्वारा बनाए जाते है, उसे मानव निर्मित संसाधन कहते है। जैसे- मकान, सड़क, विद्यालय
(iii) मानव संसाधन:- मानव एक ऐसा संसाधन है, जो संसाधनों का निर्माण एवं उपयोग दोनों करता है।
प्राकृतिक संसाधनों का वर्गीकरण
(i) उत्पत्ति (स्रोत) के आधार पर
(ii) उपयोगिता के आधार पर
(iii) स्वामित्व के आधार पर
(iv) विकास के आधार पर
1. उत्पत्ति के आधार पर संसाधन दो प्रकार के होते है।
(i) जैव (जैविक) संसाधन = वैसे संसाधन जिसमें जीवन पाए जाते है अर्थात् सजीव होते है, उसे जैव संसाधन कहते है। जैसे– पेड़-पौधे, वन
(ii) अजैव (अजैविक) संसाधन = वैसे संसाधन जिसमें जीवन पाए नहीं जाते है अर्थात् निर्जीव होते है, उसे अजैव संसाधन कहते है।जैसे– खनिज, चट्टान
2. उपलब्धता (समाप्यता) के आधार पर संसाधन दो प्रकार के होते है।
(i) नवीकरणीय संसाधन – वैसे संसाधन जिसकी पुनः पूर्ति प्राकृतिक रूप से होती है और समाप्त नहीं होते है, उसे नवीकरणीय संसाधन (नवीकरण योग्य अथवा पुनः पूर्ति योग्य संसाधन) कहते है। जैसे– हवा, पानी
(ii) अनवीकरणीय (अचक्रिय) संसाधन – वैसे संसाधन जिसका भंडार सीमित होता है और जो समाप्त हो जाते है, उसे अनवीकरणीय संसाधन कहते है। जैसे– लोहा, कोयला
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3. स्वामित्व के आधार पर संसाधन तीन प्रकार के होते है।
(i) निजी (व्यक्तिगत) संसाधन – वैसा संसाधन जिसपर किसी व्यक्ति का अधिकार होता है, तो उसे निजी संसाधन कहते है। जैसे– भूमि, तालाब, घर
(ii) सामुदायिक संसाधन – वैसा संसाधन जिसपर किसी समुदाय (सभी व्यक्ति) का अधिकार होता है, उसे सामुदायिक संसाधन कहते है। जैसे– पार्क, मंदिर, तालाब
(iii) राष्ट्रीय संसाधन – वैसा संसाधन जिसपर किसी राष्ट्र का अधिकार होता है, उसे राष्ट्रीय संसाधन कहते है। और किसी राष्ट्र के अंदर पाए जाने वाले संसाधन पर राष्ट्र का अधिकार होता है।
➢ समुद्री क्षेत्र में राजनैतिक सीमा से 19.2 कि० मी० क्षेत्र तक राष्ट्रीय सम्पदा निहित हैं।
⪼ किसी देश की तट रेखा से 200 कि०मी० की दूरी तक का क्षेत्र’ अपवर्जक आर्थिक क्षेत्र‘ के नाम से जाना जाता है।
(iv) अंतर्राष्ट्रीय संसाधन – वैसा संसाधन जो किसी राष्ट्र के बाहर पाए जाते है, उसे अंतर्राष्ट्रीय संसाधन कहते है।
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4. विकास के आधार पर संसाधन चार प्रकार के होते है।
(i) संभावित संसाधन – वैसे संसाधन जिसका उपयोग भविष्य में होने की संभावना होती है, उसे संभावित संसाधन कहते है। जैसे- हिमालय के क्षेत्र का खनिज, राजस्थान और गुजरात का पवन और सौर उर्जा
➣ गुजरात के भुज में सौर ऊर्जा का आधुनिक उपक्रम बड़े स्तर पर लगाया जा रहा है।
(ii) विकसित संसाधन – वैसे संसाधन जिसका उपयोग वर्तमान में किया जा रहा होता है, उसे विकसित संसाधन कहते है।
(iii) भंडार संसाधन – वैसे संसाधन जो प्रचूर मात्रा में उपलब्ध हैं, लेकिन जिनका उपयोग करने के लिए तकनीक का विकास नहीं हुआ है, उन्हें भंडार संसाधन कहते हैं।
(iv) संचित कोष संसाधन – वैसे संसाधन जिसे उपलब्ध तकनीक के आधार पर उपयोग में लाया जा सकता है, लेकिन अभी उपयोग प्रारंभ नहीं हुआ है, उसे संचित कोष संसाधन कहते है। इसे भविष्य का पूँजी भी कहा जाता है। और यह भंडार संसाधन का अंश है।
प्रश्न 2. संसाधन नियोजन किसे कहते है?
उत्तर– संसाधन का विवेकपूर्ण उपयोग करना ही संसाधन नियोजन कहलाता है।
संसाधन नियोजन की प्रक्रिया
(i) देश के विभिन्न क्षेत्रों में उपलब्ध संसाधनों की पहचान करना।
(ii) संसाधन की मात्रा एवं गुणात्मक स्तर का निर्धारण करना।
(iii) विकास की योजनाओं को चरणबद्ध रूप से तैयार करना।
(iv) समुचित विकास के लिए उचित तकनीक अपनाना।
प्रश्न 3. डाकुओं की अर्थव्यवस्था किसे कहते है?
उत्तर– मानव एवं तकनीक की शोषणात्म्क दोहन प्रवृति को डाकुओं की अर्थवय्वस्था (Robber’s Economy) कहा जाता है।
संसाधनों का संरक्षण
⪼ संसाधन प्रकृति की देन है इसलिए मानव द्वारा इसका अंधाधुंध उपयोग किया गया जिसके कारण अनेक समस्याएँ पैदा हो गयी हैं।
प्रश्न 4. संसाधन संरक्षण किसे कहते है?
उत्तर– प्राकृतिक संसाधनों का समझदारी से उपयोग करना ताकि वे भविष्य के लिए भी उपलब्ध रह सके, उसे संसाधन संरक्षण कहते है।
☞ महात्मा गाँधी का कहना था “हमारे पास पेट भरने के लिए बहुत कुछ है, लेकिन पेटी भरने के लिए नहीं“
⪼ मेघा पाटेकर का संबंध नर्मदा बचाओ आन्दोलन से है। और सुन्दरलाल बहुगुणा का संबंध चिपको आन्दोलन से है। संदीप पांडे का संबंध वर्षा जल संचयन से है।
👉 संसाधन के संरक्षण हेतु अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अनेक सम्मेलन हुए हैं। सर्वप्रथम 1968 ई० में क्लब ऑफ रोम ने संसाधन संरक्षण की वकालत की थी।
➣ शुमशेर ने 1974 ईस्वी में स्मॉल इज ब्यूटीफुल नामक पुस्तक लिखा। इस पुस्तक में संसाधन संरक्षण से संबंधित गाँधीजी के विचार हैं।
☞ हमारा साझा भविष्य (Our Common Future) रिपोर्ट में सतत विकास और संसाधन संरक्षण पर बदल दिया गया है।
👉 पर्यावरण संरक्षण हेतु सबसे पहले स्टॉकहोम में विश्व शिखर सम्मेलन 1972 ई० में आयोजित हुआ था, इसी सम्मेलन के बाद प्रतिवर्ष 5 जून को पर्यावरण दिवस के रूप में मनाया जाता है।
प्रश्न 5. सतत् विकास (सतत् पोषणीय विकास) किसे कहते है?
उत्तर– जब संसाधनों का उपयोग, न केवल वर्तमान पीढ़ी बल्कि आने वाली भावी पीढ़ी को भी ध्यान में रखकर किया जाता है। तो ऐसा विकास को सतत् विकास कहते है।
स्मरणीय तथ्य
☞ प्रथम पृथ्वी सम्मेलन का आयोजन 3-14 जून 1992 को ब्राजील के रियो-डी-जेनेरो में किया गया। इसमें विभिन्न देशों के 178 प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इस सम्मेलन में ग्लोबल वार्मिंग, वन्य संरक्षण, कार्यक्रम 21 एवं रियो घोषणा आदि पर बात किया गया।
⪼ कार्यक्रम 21 (एजेंडा 21) = कार्यक्रम 21 एक घोषणा पत्र है, जिसे 1992 में ब्राजील के शहर रियो डी जेनेरो में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण और विकास सम्मेलन (UNCED) द्वारा जारी किया गया था। इसमें सतत् विकास को प्राप्त करने के लिए 21 कार्यक्रमों को तैयार किया गया था। इस पर होने वाले खर्च के लिए ‘विश्व पर्यावरण कोष‘ की स्थापना की गई है।
➢ द्वितीय पृथ्वी सम्मेलन का आयोजन 23-27 जून 1997 को न्यूयार्क में प्रथम सम्मेलन के मुल्यांकन के लिए 5 वर्ष बाद आयोजित हुआ, इसलिए इसे प्लस 5 सम्मेलन कहा जाता है।
⪼ क्योटो सम्मेलन – दिसम्बर 1997 में पृथ्वी को ग्लोबल वार्मिंग से बचाने के लिए जापान के क्योटो में सम्मेलन आयोजित हुए जिसमें 159 देशों ने भाग लिया। इसमें 6 गैसों (CO2, मीथेन, No, HFC, पर फ्लुरो कार्बन सल्फर हेक्सा क्लोराइड) को ग्लोबल वार्मिंग के लिए जिम्मेदार माना गया। और इस सम्मेलन को विश्व पर्यावरण सम्मेलन या ग्रीन हाउस सम्मेलन के नाम भी जाना जाता है।
☞ तृतीय पृथ्वी सम्मेलन का आयोग 10 वर्ष बाद 26 अगस्त-4 सितम्बर 2002 में जोहासबर्ग में आयोजित हुआ। इस सम्मेलन में पर्यावरण संबंधि 150 धाराओं पर विश्वस्तरीय सहमती तैयार करना था। लेकिन इस सम्मेलन का कोई परिणाम नहीं निकल सका। इस सम्मेलन में विश्व के विभिन्न देशो से लगभग 2000 प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
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दोस्तों उम्मीद करता हूं कि ऊपर दिए गए कक्षा 10वीं के हमारी दुनिया के पाठ 01 भारत : संसाधन एवं उपयोग (bharat sansadhan avn upyog) का नोट्स और उसका प्रश्न को पढ़कर आपको कैसा लगा, कॉमेंट करके जरूर बताएं। धन्यवाद !