आज के इस पोस्ट में हमलोग कक्षा 9वीं भौतिक विज्ञान का पाठ ‘ध्वनि’ का नोट्स को देखने वाले है। Class 9th Sound
ध्वनि (Sound) |
प्रश्न 1. ध्वनि किसे कहते है?
उत्तर– ध्वनि एक प्रकार का ऊर्जा (कंपन) है, जो किसी ठोस, द्रव या गैस से होकर संचारित होती है, और इन्हीं कंपनों को ध्वनि कहते है।
☛ ध्वनि कंपन द्वारा उत्पन्न होते है। और तरंगों के रूप में एक जगह से दूसरी जगह जाता है। सबसे अधिक तेज ध्वनि ठोस में उत्पन्न होती है। और सबसे कम गैस में उत्पन्न होती है। लेकिन निर्वात में ध्वनि उत्पन्न नहीं होती है। ध्वनि के संचरण के लिए माध्यम की आवश्यकता होती है।
☞ ध्वनि की चाल वायु में करीब 330 m/s, पानी में करीब 1500 m/s और लोहे में करीब 5000 m/s होती है।
👉 तरंग दो प्रकार की होती है।
(i) यांत्रिक तरंग :- वैसे तरंगें जिसके संचरण के लिए माध्यम की आवश्यकता होती है, उसे यांत्रिक तरंग कहते है। जैसे– ध्वनि तरंगें, भूकंपीय तरंगें
(ii) अयांत्रिक तरंग (विद्युत चुंबकीय तरंग) :- वैसे तरंग जिसके संचरण के लिए माध्यम की आवश्यकता नहीं होती है, उसे अयांत्रिक तरंग कहते है। और यह केवल निर्वात में संचारित होता है। जैसे– प्रकाश तरंगें, रेडियो तरंगें
⪼ यांत्रिक तरंग दो प्रकार की होती है।
(i) अनुदैर्ध्य तरंग :- वैसे तरंगें जिसमें माध्यम के कणों का दोलन (कंपन) तरंगों की दिशा के समांतर होता है, उसे अनुदैर्ध्य तरंग कहते है। इसमें संपीड़न और विरलता बनती है।
(ii) अनुप्रस्थ तरंग :- वैसे तरंगें जिसमें माध्यम के कणों का दोलन (कंपन) तरंगों की दिशा के लंबवत होता है, उसे अनुप्रस्थ तरंग कहते है।
☞ अनुप्रस्थ तरंग ठोस और द्रव में संचारित हो सकता है, जबकि अनुदैर्ध्य तरंग ठोस, द्रव तथा गैस तीनों में संचारित हो सकता है। इसलिए ध्वनि एक अनुदैर्ध्य तरंग है।
प्रश्न 2. दोलन (कंपन) किसे कहते है?
उत्तर– किसी वस्तु का अपनी माध्य स्थिति से बार-बार इधर-उधर गति करने को कंपन कहते है। और इसी गति को दोलन गति भी कहते हैं।
प्रश्न 3. आवृत्ति किसे कहते है?
उत्तर– प्रति सेकेण्ड होने वाले दोलनों (कंपनों) की संख्या को दोलन की आवृत्ति कहते हैं। इसे v (न्यू) से सूचित किया जाता है। आवृत्ति को SI मात्रक हर्ट्ज (Hz) होता है। 1 Hz आवृति एक दोलन प्रति सेकण्ड के बराबर होती है। जितना चक्कर लगता है, वहीं उसका आवृति होता है।
आवृति (v) = 1/ T (आवर्तकाल)
प्रश्न 4. आवर्तकाल किसे कहते है?
उत्तर– कंपित वस्तु द्वारा एक दोलन पूरा करने में जितना समय लगता है, उसे आवर्तकाल कहते हैं। इसका SI मात्रक सेकण्ड होता है।
प्रश्न 5. आयाम किसे कहते है?
उत्तर– कंपित वस्तु अपनी माध्य स्थिति से अधिकतम जिस दूरी तक जाती है, उसे उसका आयाम कहते हैं। इसे मीटर में मापा जाता है। आयाम, ध्वनि का ऊंचाई होता है।
प्रश्न 6. तरंगदैर्ध्य (Wavelength) किसे कहते है?
उत्तर– तरंग की लंबाई को तरंगदैर्ध्य कहते है। इसे लैम्डा(λ) से सूचित किया जाता है। इसका SI मात्रक मीटर (m) होता है।
ध्वनि की चाल (v), आवृत्ति (ν), और तरंगदैर्ध्य (λ) के बीच संबंध है:
प्रश्न 7. सोनिक बूम किसे कहते है?
उत्तर– जब कोई वस्तु (जैसे – फाइटर जेट या गोली) हवा में ध्वनि की गति से भी तेज़ चलती है, तो वो बहुत तेज़ आवाज़ पैदा करती है। इसी आवाज़ को सोनिक बूम कहते हैं।
प्रश्न 8. पराध्वनिक चाल किसे कहते है?
उत्तर– जब कोई वस्तु, वायु में ध्वनि की चाल से अधिक तेज गति करती है, तब यह कहा जाता है कि वस्तु पराध्वनिक चाल (supersonic speed) से चल रहा है।
प्रश्न 9. प्रघाती तरंगें किसे कहते है?
उत्तर– जब कोई ऐसी वस्तु जो आवाज़ करती है (जैसे – जहाज़ या गोली) अर्थात् ध्वनि की गति से भी तेज़ चलती है, तो वे हवा में तेज़ झटका जैसी लहरें बनाती है। इन्हीं झटकेदार लहरों को प्रघाती तरंगें (shock waves) कहते हैं।
विभिन्न ध्वनियाँ हमें भिन्न-भिन्न क्यों प्रतीत होती हैं।
हमें अलग-अलग ध्वनियाँ अलग-अलग इसलिए लगती हैं क्योंकि उनकी गुणवत्ता (quality), आवृत्ति (frequency), और गूंज या तारत्व (pitch) अलग होती है।
(i) आवृत्ति (Frequency) :- आवृत्ति, यह बताता है कि ध्वनि की तरंगें कितनी तेज़-तेज बन रही हैं। ज्यादा आवृत्ति, तेज़ आवाज़ (जैसे – सीटी) को और कम आवृत्ति, भारी आवाज़ (जैसे – ढोल) को दर्शाता है।
(ii) गूंज (Pitch) :- गूंज यह बताता है कि आवाज़ कितनी ऊँची या नीची सुनाई देती है। महिलाओं की आवाज़ आमतौर पर ऊँची पिच की होती है, जबकि पुरुषों की आवाज़ गहरी यानी नीची पिच की होती है।
(iii) प्रबलता :- प्रबलता ध्वनि का वह गुण है, जिससे हमें पता चलता है कि कोई आवाज़ तेज़ है या धीमी। तरंग जितनी ऊँची होगी, आवाज़ उतनी तेज़ होगी। और तरंग जितनी छोटी होगी, आवाज़ उतनी धीमी होगी।
प्रश्न 10. श्रव्य ध्वनि (श्रव्य परास) किसे कहते है?
उत्तर– जिन ध्वनि को हमारा कान सुन सकता है, उस ध्वनि को श्रव्य ध्वनि कहते है। और मानव 20 Hz से 20,000 Hz तक सुन सकता हैं।
प्रश्न 11. अवश्रव्य ध्वनि किसे कहते है?
उत्तर– 20 Hz से कम की आवाज़ को हमारा कान नहीं सुन सकता है, इसे अवश्रव्य ध्वनि कहते है। और इसे कुत्ता, बिल्ली जैसे जानवर सुन सकते हैं। जैसे- भूकम्प के समय पृथ्वी के कम्पन की ध्वनि
प्रश्न 12. पराश्रव्य ध्वनि किसे कहते है?
उत्तर– 20,000 Hz से ज़्यादा की आवाज़ को हमारा कान नहीं सुन सकता है, इसे पराश्रव्य ध्वनि कहते हैं। जैसे– चमगादड़ और कुछ मशीनें की आवाज
प्रश्न 13. ध्वनि का परावर्तन किसे कहते है?
उत्तर– जब आवाज़ किसी ठोस सतह से टकराकर लौटकर वापस आती है, तो उसे ध्वनि का परावर्तन कहते हैं।
ध्वनि चाहे अनुप्रस्थ हो या अनुदैर्ध्य हो, दोनों के परावर्तन पर दो नियम लागू होते हैं:-
(i) आपतित ध्वनि, परावर्तित ध्वनि और अभिलंब तीनों एक ही समतल (plane) में होते हैं।
☞ जब ध्वनि किसी सतह से टकराती है, तो टकराने वाली ध्वनि (आपतित ध्वनि), लौटने वाली ध्वनि (परावर्तित ध्वनि), और एक सीधी रेखा जो टकराने की जगह पर खड़ी होती है (अभिलंब), ये तीनों एक ही सतह पर होते हैं।
(ii) आपतन कोण (अभिलंब तथा आपतित ध्वनि के बीच का कोण) और परावर्तन कोण (अभिलंब और परावर्तित ध्वनि के बीच का कोण) बराबर होते हैं।
प्रश्न 14. स्टेथोस्कोप किसे कहते है?
उत्तर– जिस यंत्र की सहायता से डॉक्टर कान में लगाकर दिल की धड़कन को सुनता हैं, उसे स्टेथोस्कोप कहते हैं।
☛ दिल की धड़कन या नसों में बहते खून की आवाज़ बहुत धीमी होती है। अगर हम सीधे कान लगाकर सुनें, तो वह आवाज़ साफ़ नहीं आती। लेकिन जब डॉक्टर चोंगा को दिल पर रखते हैं, तो आवाज़ नली के अंदर से होती हुई कान तक पहुँचती है।
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➢ हॉर्न, बिगुल, मेगाफोन, लाउडस्पीकर आदि सभी चीज़ों में आवाज़ को दूर तक और तेज़ सुनाने के लिए खास डिज़ाइन होता है। इनकी बनावट शंकुनुमा (कन के आकार की) होती है।
⪼ आवाज़ अंदर की दीवारों से बार-बार टकराकर बाहर निकलती है। इस परावर्तन से आवाज़ एक दिशा में केंद्रित होती है और उसकी तेज़ी बढ़ जाती है।
☞ कर्णतूर्य (Ear Trumpet) या Hearing Aid = यह उन लोगों के लिए होता है जो कम सुन पाते हैं। इसका एक सिरा चौड़ा होता है और दूसरा सिरा संकीर्ण (छोटा)। जब आवाज़ इस यंत्र पर पड़ती है, तो वह छोटे से रास्ते से होकर कान तक जाती है। इससे आवाज़ केंद्रित होकर कान के अंदर ज़्यादा ताकत से पहुंचती है, जिससे कमज़ोर कान भी अच्छी तरह सुन सकता है।
प्रश्न 15. अनुरणन किसे कहते है?
उत्तर– जब मूल आवाज़ (main sound) खत्म हो जाती है, तब भी उसकी झलक या गूंज कुछ समय तक सुनाई देती है, तो इसे अनुरणन कहते हैं। जैसे– बड़े हॉल में तालियां बजने के बाद भी थोड़ी देर तक उसकी आवाज़ गूंजती रहती है।
☞ अनुरणन को कम करने के लिए सभाभवन या हॉल की दीवारों पर ऐसे पदार्थ लगाए जाते हैं, जो ध्वनि को सोख (अवशोषित) लें। जैसे– फाइबर बोर्ड, मोटे पर्दे, ध्वनि-रोधक सीटें
प्रश्न 16. प्रतिध्वनि (Echo) किसे कहते है?
उत्तर– जब आप किसी कुएं, गुंबद, या पहाड़ के सामने जोर से बोलते हैं, तो थोड़ी देर बाद वही आवाज़ दोबारा सुनाई देती है, इसे प्रतिध्वनि (Echo) कहते हैं। ऐसा तब होता है जब आपकी आवाज़ किसी दीवार या पहाड़ी जैसी सतह से टकराकर वापस लौटती है।
प्रतिध्वनि के उपयोग
(i) ध्वनी की चाल निकालना :- जब हम किसी बड़ी दीवार के सामने जोर से आवाज़ करते हैं, तो कुछ देर बाद वही आवाज़ टकराकर वापस आती है। आवाज़ करने के बाद, घड़ी से असली आवाज़ और उसकी प्रतिध्वनि के बीच का समय मापा जाता है। फिर दीवार की दूरी (जहाँ से ध्वनि टकराई) मापी जाती है।
☛ आवाज़ जाकर लौट आती है, इसलिए दूरी को 2 से गुणा करते हैं। इस तरह हम लगभग हवा में ध्वनि की चाल का पता लगा सकते हैं।
(ii) चमगादड़ :- चमगादड़ बहुत खास जीव हैं। यह बहुत ऊँची आवृत्ति (100,000 Hz) की ध्वनि तरंगें पैदा कर सकते हैं। जिसे इंसान सुन नहीं सकता है। चमगादड़ उड़ते समय ये तरंगें आगे भेजते हैं।
☞ जब कोई वस्तु (जैसे दीवार, पेड़, कीड़ा) सामने आती है, तो ये तरंगें टकराकर वापस लौटती हैं। जिससे चमगादड़ पता लगा लेते हैं कि सामने कोई वस्तु है या नहीं। और उसकी दूरी का अनुमान लगा लेते हैं और उससे बचकर उड़ जाते हैं।
(iii) प्रतिध्वनि का औषधिविज्ञान में उपयोग :- ध्वनि की प्रतिध्वनि का उपयोग डॉक्टर भी करते हैं, खासकर शरीर के अंदर की चीज़ों को देखने और बीमारी समझने में।
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☛ इकोकार्डियोग्राफी = इकोकार्डियोग्राफी एक ऐसा जांच है, जिसमें डॉक्टर हृदय की जांच करते हैं। इसमें बहुत तेज़ ध्वनि तरंगें दिल की तरफ भेजी जाती हैं। और ये तरंगें दिल से टकराकर वापस आती हैं। तथा कंप्यूटर इन लौटती तरंगों से दिल के हर भाग की तस्वीर बना लेता है। इससे डॉक्टर को दिल की चाल, धड़कन और किसी खराबी का पता चल जाता है।
☞ अल्ट्रासोनोग्राफी = अल्ट्रासोनोग्राफी एक ऐसा जांच है, जिसमें शरीर के अंदर के किसी विशेष अंग (जैसे पेट, किडनी, बच्चा आदि) को देखने के लिए की जाती है। इसमें पराश्रव्य तरंगें शरीर के अंदर भेजी जाती हैं। और कंप्यूटर इन तरंगों से उस अंग की अंदरूनी तस्वीर बना देता है।
⪼ पराश्रव्य तरंगों की तरंग की लंबाई (wavelength) बहुत छोटी होती है। हवा में इनकी तरंग की लंबाई लगभग 1.65 cm से भी कम होती है। यह तरंगें बहुत छोटी होती हैं, इसलिए इसका उपयोग अल्ट्रासाउंड, सफाई, मशीनें जाँचना आदि में होता है।
पराश्रव्य तरंगों के उपयोग
(i) द्रव में ध्वनि की चाल पता करना :- जब तरल पदार्थ (जैसे पानी, तेल) में पराश्रव्य तरंगें भेजी जाती हैं, तो इनसे उसकी चाल मापी जाती है। इससे उस पदार्थ के गुण (जैसे – घनत्व, रचना और ऊष्मा क्षमता) का पता लगाया जाता है।
(ii) समुद्र की गहराई मापना :- पराश्रव्य तरंगें समुद्र में नीचे भेजी जाती हैं। और यह तल से टकराकर वापस लौटती हैं। लौटने में लगे समय से समुद्र की गहराई मापी जाती है। इसका उपयोग जहाजों में और पनडुब्बियों को ढूँढ़ने में किया जाता है।
(iii) रासायनिक काम (स्कंदन) :- जब किसी द्रव में छोटे कण तैर रहे होते हैं, तो पराश्रव्य तरंगें उन्हें आपस में जोड़कर नीचे बिठा देती हैं। इसे स्कंदन कहते हैं। इससे कुछ रासायनिक क्रियाएँ भी तेज़ हो जाती हैं।
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(iv) सफाई और उद्योग में :- पराश्रव्य तरंगों से घड़ियों के पार्ट्स, मशीनों और बारीक चीजों को गहराई से साफ किया जाता है। तथा कपड़ों को रंगने या उनकी रंगत सुधारने में उपयोग होता है।
(v) धातुओं में दरार ढूँढ़ना :- बड़ी मशीनों, पुलों, भवनों आदि में जो धातु के टुकड़े इस्तेमाल होते हैं, उनके अंदर की दरारें और छेद बाहर से नहीं दिखती है। पराश्रव्य तरंगें भेजकर यह पता लगाया जाता है कि धातु के अंदर कहीं कोई दरार या छेद तो नहीं है।
(vi) जैविक और चिकित्सा में :- चूहा, मछली, मेंढ़क जैसे छोटे जीवों पर पराश्रव्य तरंगें डालकर उन्हें अंगहीन बनाया जाता है। या उन्हें मार दिया जाता है। पराश्रव्य तरंगों से सूक्ष्मजीवों (बैक्टीरिया) को नष्ट किया जा सकता है। तथा मस्तिष्क में ट्यूमर का पता लगाया जाता है।
☛ बिना ऑपरेशन, सिर्फ पराश्रव्य तरंगों से पथरी के टुकड़े कर दिए जाते हैं, जो बाद में शरीर से निकल जाता हैं। और आँख के मोतियाबिंद को हटाने में भी इन तरंगों का प्रयोग होता है।
☞ SONAR का पूरा नाम = Sound Navigation And Ranging (ध्वनि द्वारा दिशा और दूरी नापना)। SONAR तकनीक द्वारा समुद्र की गहराई और समुद्र में छिपी वस्तुओं (जैसे – चट्टानों, हिम शैल, डूबे हुए जहाजों तथा पनडुब्बी आदि) का पता लगाया जाता है।
मानव कान
प्रश्न 17. कान किसे कहते है?
उत्तर– ध्वनि को हम जिस ज्ञानेन्द्रिय द्वारा सुनते हैं, उसे कान कहते हैं। और कान के मुख्यतः तीन भाग होते है- बाहरी (बाह्य) कान, मध्य कान तथा आन्तरिक कान।
(i) बाहरी कान (Outer Ear) = इसमें दो भाग होते हैं। कर्ण पल्लव (बाहर का हिस्सा, जो आवाज़ को पकड़ता है) और कर्ण नलिका (एक सुरंग जैसी नली जो आवाज़ को अंदर भेजती है)। इसका काम आवाज़ को पकड़कर अंदर के हिस्सों तक पहुँचाना है।
(ii) मध्य कान (Middle Ear) = इसमें तीन छोटी हड्डियाँ होती हैं, जिन्हें मुग्दरक, निहाई , वलयक कहते है। ये हड्डियाँ आवाज़ को ज़्यादा ताकत देकर अगले भाग तक भेजती हैं।
☛ कर्ण पट :- नलिका के सिरे पर एक पतली झिल्ली दृढ़ता से तनी रहती है, जिसे कर्ण पट कहते हैं। जब ध्वनि कंपन कर्ण पटह तक पहुंचती है, तब कर्ण पटह भी कंपित होने लगता है। और उसके बाद ही हम किसी वस्तु की ध्वनि को सुन पाते है।
(iii) आंतरिक कान (Inner Ear) = इसमें एक घोंघे जैसी नली होती है, जिसे कर्णावर्त कहते हैं। यह द्रव से भरी होती है। इसमें विशेष कोशिकाएँ होती हैं, जो श्रवण तंत्रिका से जुड़ी होती हैं। इसका काम आवाज़ के कंपन को विद्युत संकेतों (electric signals) में बदलकर मस्तिष्क को भेजना होता है।
कान कैसे काम करता है? (कार्यविधि)
(i) जब कोई वस्तु कंपन करती है, तो वह हवा में ध्वनि तरंगें बनाती है।
(ii) ये तरंगें बाहरी कान द्वारा पकड़ी जाती हैं और कर्ण नलिका से होती हुई कर्णपट तक पहुँचती हैं।
(iii) कर्णपट इन तरंगों से कंपन करने लगता है। ये कंपन तीनों हड्डियों (मुग्दरक, निहाई, वलयक) में पहुँचते हैं।
(iv) हड्डियाँ मिलकर कंपन को और तेज़ और मज़बूत बना देती हैं। यह कंपन कर्णावर्त में चला जाता है, जहाँ तरल में लहरें बनती हैं।
(v) यह कंपन विद्युत संकेतों में बदलकर श्रवण तंत्रिका के माध्यम से मस्तिष्क तक जाता है। मस्तिष्क इसे पहचानता है और हम कहते हैं – “अरे! ये तो घंटी की आवाज़ है!”
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दोस्तों उम्मीद करता हूं कि ऊपर दिए गए कक्षा 9वीं के भौतिक विज्ञान के पाठ 06 ध्वनि (Class 9th Sound) का नोट्स और उसका प्रश्न को पढ़कर आपको कैसा लगा, कॉमेंट करके जरूर बताएं। धन्यवाद !